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क्या तमिलनाडु में संविधान का राज्य चलेगा: आलोक कुमार

नई दिल्ली। जिस सनातन को मुगल, मिशनरी व अंग्रेज समाप्त नहीं कर पाए, कुछ राजनेता उसका दिवा स्वप्न देख रहे हैं! विश्व हिंदू परिषद के केन्द्रीय कार्याध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता श्री आलोक कुमार ने आज कहा है कि तमिलनाडु के मुख्य मंत्री के पुत्र व राज्य के मंत्री श्री उदयनिधि के वक्तव्य की भाषा और भाव दोनों से ही मैं आश्चर्यचकित हूं।अहंकार व सत्ता के मद में चूर होकर वह जिस तरह की धमकियां उछाल रहे हैं, उसके पहले उन्होंने अपनी ताकत का भी विचार नहीं किया। ऐसी धमकियों के परिणाम गंभीर भी हो सकते हैं!!

श्री आलोक कुमार ने कहा कि सनातन धर्म को मुसलमान, मिशनरियों व अंग्रेजों से भी चुनौतियां आईं, फिर भी वह जीत गया। मुगलों व अंग्रेजों का राज्य भी चला गया। स्मरण रहे कि जो सनातन को नष्ट करने की बात करता है वह स्वयं नष्ट हो जाता है।

उन्होंने पूछा कि क्या उनका यह बयान उनकी सरकार का बयान है। यदि ऐसा है तो हम केंद्र सरकार से कहेंगे कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार देते हैं। सरकार का कर्तव्य है कि वह इसकी रक्षा करें। केवल विरोध नहीं, “सनातन को समाप्त” करने का अर्थ है कि वहां की सरकार अपने संवैधानिक दायित्व का पालन नहीं कर, कानून के रास्ते से भटक गई है। ऐसे में केंद्र को सोचना पड़ेगा कि उसके पास कौन-कौन से विकल्प हैं!

श्री आलोक कुमार ने यह भी कहा कि उन्होंने समानता और समता मूलक समाज व सोशल जस्टिस की बात की है तो, सनातन धर्म में उससे कोई असहमति है ही कहां? प्रत्येक व्यक्ति के हृदय में ईश्वर को देखने वाला धर्म, इससे जो समता मूलक समाज बनेगा और इससे जो सामाजिक न्याय प्राप्त होगा वह अन्यंत्र कहां से प्राप्त हो सकता है! द्रविड़ संस्कृति भी तो भारत में पैदा हुई आध्यात्मिक धाराओं में से एक अनोखी और सुंदर छवि वाली है। हम सभी संत तुरुवल्लूवर, अलवार व नयनार को पढ़कर अनुप्राणित होते हैं। सीएम पुत्र को विघटन व विनाश की जगह परस्पर सहमति व एकता के सूत्र ढूंढने चहिए। कंभ की रामायण और अन्य धर्म ग्रंथों के मूल में जाएं तो वे सब हमें यही तो सिखाते हैं। उन्हें उनका अध्ययन करना चाहिए।

विहिप कार्याध्यक्ष ने चेतावनी दी कि वे इस तरह की बातों को ना करें, जिनके परिणाम उनके लिए भी गंभीर हो सकते हैं!

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