Home / National / चीन सीमा पर बीआरओ ने शुरू किया दुनिया की सबसे ऊंची सड़क का निर्माण
IAT NEWS INDO ASIAN TIMES ओडिशा की खबर, भुवनेश्वर की खबर, कटक की खबर, आज की ताजा खबर, भारत की ताजा खबर, ब्रेकिंग न्यूज, इंडिया की ताजा खबर

चीन सीमा पर बीआरओ ने शुरू किया दुनिया की सबसे ऊंची सड़क का निर्माण

  •  यह रणनीतिक सड़क 19,400 फीट ऊंचाई से उमलिंग ला दर्रा को पार करते हुए गुजरेगी

  •  महिला इंजीनियरों की पांच सदस्यीय टीम कर्नल पोनुंग डोमिंग के नेतृत्व में बनाएगी सड़क

नई दिल्ली, चीन के साथ बातचीत की मेज पर लटके लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ने रणनीतिक ‘लिकरू-मिग ला-फुकचे’ सड़क पर निर्माण शुरू कर दिया है। यह सड़क 19,400 फीट ऊंचाई से होकर गुजरेगी और उमलिंग ला दर्रा को पार करते हुए दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क बन जाएगी। यह सड़क चीन सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से महज तीन किमी. दूर है। सड़क निर्माण की कमान महिला इंजीनियरों की पांच सदस्यीय टीम कर्नल पोनुंग डोमिंग के नेतृत्व में संभाल रही हैं।
बीआरओ से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि नई सड़क अपने उच्चतम बिंदु पर 19,400 फीट की ऊंचाई पर जाएगी। तैयार होने पर यह सड़क उमलिंग ला दर्रे को पार करते हुए दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क होगी। दुनिया की मौजूदा सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क का निर्माण भी बीआरओ ने ही किया है। दो साल पहले बीआरओ ने 19,024 फीट की ऊंचाई पर लद्दाख के उमलिंग ला में दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क का निर्माण और ब्लैकटॉपिंग करके विश्व रिकॉर्ड बनाया था, जिसे वह खुद तोड़ने को तैयार है। ख़ास बात यह है कि लिकारू-मिग ला-फुकचे सड़क का निर्माण बीआरओ की एक महिला इकाई ने शुरू किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिला इंजीनियरों की पांच सदस्यीय टीम की कमान कर्नल पोनुंग डोमिंग संभाल रही हैं, जो सड़क निर्माण की निगरानी कर रही है।

अधिकारियों ने कहा कि लिकारू-मिग ला-फुकचे सड़क का निर्माण ऐसे समय में शुरू हुआ, जब लड़ाकू अभियानों का समर्थन करने के लिए लद्दाख में न्योमा उन्नत लैंडिंग ग्राउंड को अपग्रेड किया जा रहा है। न्योमा में हवाई पट्टी को सितंबर, 2009 में पुनः सक्रिय किया गया था। यह 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद दशकों तक उपयोग से बाहर थी। इससे पूर्व भारत ने नवंबर, 2008 में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित फुकचे में एक हवाई पट्टी को फिर से सक्रिय किया था, जिसका चीनियों ने विरोध किया था। दरअसल, 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद दशकों तक इस हवाई पट्टी का भी उपयोग बंद हो गया था।
बीआरओ ने इस सड़क का निर्माण तब शुरू किया है, जब दो दिन तक चली 19वें दौर की कोर कमांडर स्तरीय सैन्य वार्ता में भारत-चीन पूर्वी लद्दाख में शेष मुद्दों को शीघ्र हल करने पर सहमत हुए हैं। ये बैठक 13 और 14 अगस्त को भारतीय सीमा पर चुशुल-मोल्डो में हुई। दोनों देशों ने बैठक में अपने-अपने पक्ष रखे और कुछ मुद्दों पर सहमति जताई। भारत और चीन के बीच लद्दाख सेक्टर में एलएसी पर तीन साल से अधिक समय से सैन्य गतिरोध चल रहा है और लंबित समस्याओं के समाधान के लिए बातचीत अभी भी जारी है। पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी, पैन्गोंग झील, गोगरा (पीपी-17ए) और हॉट स्प्रिंग्स (पीपी-15) से सैनिकों की वापसी के बावजूद अभी लद्दाख क्षेत्र में भारतीय और चीनी सेनाओं के हजारों सैनिक और उन्नत हथियार तैनात हैं।

चीन के साथ दौलत बेग ओल्डी (डीओबी) सेक्टर में डेप्सांग और डेमचोक सेक्टर में चार्डिंग नाला जंक्शन (सीएनजे) की समस्याएं अभी बातचीत की मेज पर हैं। यह पहली बार है कि सीमा विवाद पर उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता दो दिनों तक चली और दो दिनों में कुल मिलाकर करीब 17 घंटे तक चर्चा हुई।बैठक में भारत ने डेप्सांग और डेमचोक समेत अन्य टकराव वाले पॉइंट से सैनिकों की जल्द वापसी को लेकर चीन पर दबाव डाला। वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान के मुताबिक बैठक में दोनों देशों ने खुले और दूरदर्शी तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया और शांति बनाए रखने पर जोर दिया है।
साभार -हिस

Share this news

About desk

Check Also

महाराष्ट्र विस चुनाव नतीजों पर प्रधानमंत्री ने जताया लोगों का आभार, कहा- यह विकास और सुशासन की ऐतिहासिक जीत

नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के निर्णायक नतीजों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वहां की …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *