नई दिल्ली , भारत-चीन सीमा विवाद मुद्दे पर कांग्रेस ने केन्द्र सरकार के जवाब पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को एक वक्तव्य जारी कर कहा कि हम भारत के विदेश मंत्री के इस कथन से पूर्णतया सहमत हैं कि हमारे जवानों का ‘सम्मान, सराहना और सत्कार’ किया जाना चाहिए, क्योंकि वे हमारे प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ डटकर खड़े हैं।
लेकिन क्या यह वही सम्मान की भावना थी, जिसने प्रधानमंत्री मोदी को 19 जून, 2020 की उस घटना के बाद, जिसमें हमारी सीमाओं की रक्षा करते हुए हमारे 20 जवानों ने अपने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया, यह कहने के लिए उत्प्रेरित किया, “न वहां कोई हमारी सीमा में घुस आया है और न ही कोई घुसा हुआ है”?
रमेश ने कहा कि विदेश मंत्री का यह दावा है कि चीन के साथ हमारे संबंध ”सामान्य नहीं” हैं। फिर हमने चीनी राजदूत को बुलाकर आपत्ति पत्र (डिमार्च) क्यों नहीं थमाया, जैसा हम पाकिस्तान के उच्चायुक्त के साथ करते हैं? उन्होंने कहा कि 2021-22 में 95 बिलियन डॉलर के आयात और 74 बिलियन डॉलर के व्यापार घाटे के साथ चीन पर हमारी व्यापार निर्भरता रिकॉर्ड उच्च स्तर पर क्यों पहुंच गई है? सितंबर 2022 में रूस के वोस्तोक-22 अभ्यास में हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों के साथ सैन्य अभ्यास क्यों किया?
रमेश ने कहा कि विदेश मंत्री का कहना है कि हम चीन को एलएसी की स्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं करने देंगे, लेकिन क्या चीनी सैनिकों ने पिछले दो सालों से डेपसांग में 18 किमी अंदर आकर यथास्थिति नहीं बदली है? क्या यह स्थिति इस वास्तविकता के मद्देनजर बदल नहीं जाती है कि हमारे सैनिक पूर्वी लद्दाख में ऐसे 1,000 वर्ग किमी क्षेत्र तक गश्त करने में असमर्थ हैं, जहां वे पहले गश्त करते थे? क्या यह स्थिति इस वास्तविकता के मद्देनजर नहीं बदल जाती कि हम ऐसे बफर जोन निर्धारण पर सहमत हो गए हैं, जो हमारे गश्ती दल को उन क्षेत्रों में जाने से रोकता है, जहां वे पहले जा सकते थे? विदेश मंत्री कब स्पष्ट शब्दों में यह घोषित करेंगे कि 2020 से पहले की यथास्थिति की बहाली ही हमारा उद्देश्य है?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि विदेश मंत्री ने कहा ”हम चीन पर दबाव बना रहे हैं”। फिर हमारा विशुद्ध प्रतिक्रियात्मक दृष्णिकोण क्यों हैं? 2020 से पहले की यथास्थिति की पूर्ण बहाली सुनिश्चित किए बिना हम कैलाश रेंज में अपनी सामरिक रूप से लाभप्रद स्थिति से पीछे क्यों हट गए? हम अधिक आक्रामक क्यों नहीं हुए और चीनियों को पीछे हटने को मजबूर करने के लिए जवाबी कार्रवाई क्यों नहीं की, जैसा कि हमने 1986 और 2013 में किया था? हम अपना दावा पुरजोर ढंग से पेश करने की बजाए चीनी घुसपैठ को ”अवधारणा का अंतर” बताकर उसे वैध ठहराना कब बंद करेंगे?
साभार-हिस
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