सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि तीन सौ से ज्यादा ऐसी घटनाएं हुई हैं। याचिका में सांप्रदायिक हमले का जो आरोप लगाया गया है वो गलत है। तब कोर्ट ने कहा कि याचिका में लगाए गए आरोपों को वो स्वीकार नहीं कर रही है लेकिन आरोपों का वेरिफिकेशन होना चाहिए।
कोर्ट ने इस मामले पर 5 अगस्त को सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। इस याचिका में घृणा अपराधों पर लगाम लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पहले के दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन की भी अपील की गई है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा था कि देश भर में पांच सौ से ज्यादा ईसाई संस्थाओं पर हमले हुए हैं। उन्होंने हिंसा पर लगाम लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश का पालन करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की थी।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि हमें जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया जाए। तब कोर्ट ने कहा था कि तहसीन पूनावाला के मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही आदेश दे चुका है। हमें ये देखना है कि उसे लागू किया जा रहा है कि नहीं। हम व्यक्तिगत मामलों को नहीं देख सकते हैं।
साभार-हिस