हरतालिका तीज व्रत का हिंदू धर्म बहुत महत्त्व है। अखण्ड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के लिए सुहागिन महिलाएं यह व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस साल हरतालिका तीज का व्रत 9 सितंबर को है. इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। वहीं कुवांरी कन्याएं यह व्रत अपने मन पसंद अर्थात मनवांछित वर प्राप्त करने के लिए रखती है। इस व्रत का पारण अगले दिन सुबह को किया जाता है. यह व्रत हिंदू धर्म में सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यह व्रत अत्यंत शुभ फलदायी होता है।
हरतालिका तीज पर 14 साल बाद रवियोग चित्रा नक्षत्र के कारण बन रहा है। यह शुभ योग 9 सितंबर को दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से अगले दिन 10 सितंबर को 12 बजक 57 मिनट तक रहेगा। हरतालिका तीज व्रत का पूजा का अति शुभ समय शाम 05 बजकर 16 मिनट से शाम को 06 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। शुभ समय 06 बजकर 45 मिनट से 08 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
हरतालिका तीज व्रत करने से पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की भी प्राप्ति होती है. संतान सुख भी इस व्रत के प्रभाव से मिलता है।
पूजा – विधि हरितालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
सबसे पहले मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाएं और भगवान गणेश को तिलक करके दूर्वा अर्पित करें।
इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमिपत्री अर्पित करें और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करने के बाद हरितालिका तीज व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
इसके बाद श्रीगणेश की आरती करें और भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग लगाएं।
साभार पी श्रीवास्तव