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पाकिस्तानी अखबारों सेः तालिबान की तुर्की और यूएई से काबुल एयरपोर्ट को संभालने की अपील को दी प्रमुखता

  •  अमेरिका पसंद नहीं तो उन्हें बिना वैक्सीनेशन अपने होटलों में क्यों ठहराया जा रहा हैः फजलुर्रहमान

  •  पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के अक्टूबर में देश वापस आने की खबरों को भी दी जगह

  •  रोजनामा खबरें ने भारत में शहरों-कस्बों के नाम बदलने को मुस्लिम कल्चर पर हमला बताया

नई दिल्ली, पाकिस्तान से सोमवार को प्रकाशित अधिकांश समाचार पत्रों ने तालिबान के जरिए तुर्की और यूएई से काबुल एयरपोर्ट का कंट्रोल संभालने की अपील की खबरें प्रमुखता के साथ प्रकाशित की हैं। अखबारों ने लिखा है कि तालिबान ने तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात से एयरपोर्ट का तकनीकी पक्ष संभालने की गुजारिश की है। काबुल में अमेरिकी ड्रोन हमले में मियां-बीवी और चार बच्चों समेत 7 लोगों के मारे जाने की खबरें दी हैं। अखबारों का कहना है कि अमेरिका ने दावा किया है कि आईएसआईएस के आत्मघाती हमलावरों को उसने मार गिराया है। अखबारों ने यह भी लिखा है कि अमेरिकी जहाज अफगानिस्तान से मुसाफिरों को लेकर इस्लामाबाद पहुंच गया है।

अखबारों ने पीडीएम अध्यक्ष मौलाना फजलुर्रहमान का भी एक बयान छापा है जिसमें उन्होंने कहा है कि अमेरिका पसंद नहीं है तो पाकिस्तान के होटलों को क्यों खाली कराया गया और अमेरिकियों को होटलों में क्यों ठहराया जा रहा है? उनका कहना है कि अखबारों में बयान दिया जा रहा है कि हम अमेरिका के खिलाफ हैं लेकिन उनके लोगों को बिना वैक्सीनेशन के पाकिस्तान में ठहराया जा रहा है।
अखबारों ने ब्रिटेन में रह रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के अक्टूबर में देश वापस आने की खबरें भी दी हैं। अखबारों ने लिखा है कि पार्टी के सीनियर लीडरों ने कहा है कि नवाज शरीफ अक्टूबर में देश वापस आ सकते हैं। अखबारों ने कुछ टिक-टॉकर्स के बिना कपड़ों के इस्लामाबाद के सड़कों पर निकल आने की खबरें भी दी हैं। अखबारों ने लिखा है कि पुलिस ने इन लोगों को रोकने की कोई कोशिश नहीं की। उनकी इस हरकत से इस्लामाबाद और पाकिस्तान का सर शर्म से झुक गया है।
अखबारों ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के लीडर बिलावल भुट्टो के उस बयान को भी महत्व दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि इस्लामाबाद में बैठे व्यक्ति को सिंध की आवाम के हक पर डाका नहीं डालने देंगे। उनका कहना है कि देश में ऐसी हुकूमत चल रही है जो लोगों का दमन कर रही है। हम सबको मिलकर इमरान खान सरकार का मुकाबला करना है। अखबारों ने कराची में पीडीएम के फ्लॉप शो की खबरें भी छापी हैं। अखबारों ने लिखा है कि केंद्र के कई मंत्रियों ने कहा है कि इतिहास में इतनी अक्षम और गैर संजीदा विपक्ष किसी को नहीं मिला है। अखबारों ने बाजोड़ में अफगानिस्तान की तरफ से आतंकी हमले में 2 फौजियों के मारे जाने और जवाबी कार्रवाई में 3 आतंकी के मारे जाने और दो के जख्मी होने की खबरें दी हैं।

रोजनामा खबरें ने एक खबर में बताया है कि भारत में मुस्लिम कल्चर पर हमले तेज कर दिए गए हैं। मोहम्मदपुर और हुमायूंपुर के नाम बदलने की मुहिम शुरू की गई है। अखबार ने लिखा है कि राजधानी दिल्ली में भी इस तरह की मुहिम हिंदू संगठनों की तरफ से शुरू की गई है। नरेंद्र मोदी की सरकार में मुसलमानों की पहचान को खत्म करने का काम किया जा रहा है। मुसलमानों से जुड़े शहरों, कस्बों, मोहल्लों आदि के नामों को बदलने की कोशिश की जा रही है। अखबार का कहना है कि देशभर में मुसलमानों, ईसाइयों और सिख अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव के वारदात में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
रोजनामा एक्सप्रेस ने भी एक खबर दी है जिसमें बताया गया है कि ग्लोबल डेमोक्रेसी के लिए जारी किए गए आंकड़ों में भारत 27वें स्थान से 53 वें स्थान पर पहुंच गया है। एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के जरिए इकट्ठा किए गए इन आंकड़ों में बताया गया है कि भारत में डेमोक्रेसी का ग्राफ दिन पर दिन गिरता जा रहा है। अखबार ने एक और खबर दी है जिसमें बताया गया है कि अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री गुलबुद्दीन हिकमतयार ने कहा है कि भारत अपनी पूर्व की गलतियों को खुलकर स्वीकार करे और आगे से अफगानिस्तान के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने का ऐलान करे, तब कुछ बात बन सकती है।
साभार – हिस

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