पौराणिक कथाओं के अनुसार रावण का अंत करने के लिए श्री विष्णु जी ने भगवान श्रीराम जी का अवतार लिया था और उसी समय कई देवताओं ने अलग-अलग अवतार लिए थे, ताकि वह रावण का अंत करने में श्रीराम की सहायता कर सकें। उसी समय भगवान शिव ने अपना रुद्र अवतार लिया था। उनका 11 अवतार श्री हनुमान जी के रूप में था। कथाओं के अनुसार, भगवान शिव को विष्णु भगवान से एक वरदान प्राप्त हुआ था, वह वरदान था एक दास्य का। और भगवान शिव ने हनुमान बनकर उसी समय जन्म लिया। उस समय उन्होंने श्री राम की सेवा भी की और रावण वध में उनका साथ दिया। कुछ पौराणिक किताबों में ऐसे कई विशेषज्ञों ने इन सारी कथाओं के बारे में पुष्टि और सुबूत भी दिए हैं।
जनम होंने से पहले?
जब भगवान शिव का हनुमान जी का अवतार लेने का समय आया तो उस वक्त उन्होंने पार्वती जी से कहा कि वह अपने श्रीराम के दर्शन के लिए पृथ्वी पर जा रहें हैं । यह सुनते ही पार्वती जी विचलित होकर कहने लगी कि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती। मैं निश्चित ही तौर पर अपनी जान दे दूंगी। तो उस समय भगवान शिव उहापोह में फंस गए थे। एक तरफ पार्वती जी का मोह और दूसरी तरफ अंजनी मां का वरदान और भगवान श्रीराम की सेवा। तब उन्होंने पार्वती मां को अपने 11वें रुद्र अवतार के बारे में सब बताया। शंकर भगवान बोले कि एक वक्त ऐसा आएगा कि भगवान श्रीराम को मेरी सहायता की जरूरत पड़ेगी। इसीलिए उन्हें जाना ही पड़ेगा। उन्होंने पार्वती मां को यह भी बताया कि वह एक वानर का अवतार लेने वाले हैं और वह श्रीराम के जीवन काल के बारे में सब जानते थे। इसलिए उन्हें मोह माया त्याग कर सेवा करनी पड़ेगी। इसी अनुसार उन्होंने श्री हनुमान जी के रूप में पृथ्वी पर जन्म लिया और सारी मोह माया त्याग कर भगवान श्रीराम की सेवा की। रावण के वध में भोलेनाथ ने भगवान श्रीराम की मदद की। यही नहीं कई देवताओं ने भी भगवान श्रीराम की सहायता करने के लिए पृथ्वी पर जन्म लिया और वह एक-एक करके गायब होते रहे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म एक शक्तिशाली वानर के रूप में हुआ था। उन्होंने यह जन्म साक्षात हनुमान जी के अवतार में आकर श्रीराम की सहायता के लिए लिया था, पर कहा यह भी जाता है कि वह कलयुग से बुराइयां हटाने के लिए भी जन्म लिए थे।उन्हें यह पता था कि कलयुग के समय में पृथ्वी पर ना ही शिवजी नजर आने वाले थे और ना ही श्रीराम, तो उन्होंने इसलिए अपने एक शक्तिशाली रूप को पृथ्वी पर जन्म दिया। आज भी माना जाता है कि हनुमान जी पृथ्वी पर जिंदा हैं, ऐसा कहा जाता है और ऐसे कई सबूत भी पाए गए हैं कि लोगों ने उन के साक्षात दर्शन किए हैं। तो आज भी हम कह सकते हैं कि कुछ सुबूत हमें पाए जाते हैं जिनकी पुष्टि करना नामुमकिन होता है और कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह स्पष्ट शब्दों में कहा जा सकता है कि हनुमान जी अभी भी पृथ्वी पर जीवित हैं। लोगों के दुख दर्द को दूर करने के लिए इस शक्तिशाली अवतार को उन्होंने जीवित रखा हुआ है।
ऊपर बताई हुई कथा अनुसार, भगवान श्रीराम जी की सेवा करने के लिए भगवान शिव ने श्री हनुमान जी का अवतार वानर रूप में पृथ्वी पर लिया था। उन्हें वरदान था श्री विष्णु जी की सेवा करने का। वहीं अंजनी माता को वरदान था भगवान शिव को अपने पुत्र के रूप में पाने का। इन सब पर वरदानों के चलते भगवान शिव को अपने 11वें रूद्र अवतार में धरती पर आना पड़ा। यही नहीं कई सबूतों के अनुसार आज भी है कहा जाता है कि श्री हनुमान जी के कई लोगों ने साक्षात दर्शन भी किए हैं और उनके जिंदा होने की जानकारी आज भी कई विशेषज्ञ जाहिर करते रहते हैं।
साभार पी श्रीवास्तव