Home / National / अवैध मतांतरण पर रोक के संकल्प के साथ विहिप की बैठक संपन्न

अवैध मतांतरण पर रोक के संकल्प के साथ विहिप की बैठक संपन्न

  • कोरोना से रक्षा और मठ-मंदिरों की मुक्ति का भी लिया गया संकल्प

नई दिल्ली,विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की केंद्रीय प्रबंध समिति और केंद्रीय प्रन्यासी मंडल की दो दिवसीय बैठक कोरोना से रक्षा, अवैध मतांतरण पर रोक और मठ-मंदिरों की मुक्ति के संकल्प के साथ रविवार को संपन्न हो गई। हरियाणा के फरीदाबाद स्थित मानव रचना विश्वविद्यालय में आयोजित इस बैठक में पहले दिन कई प्रमुख सांगठनिक बदलाव किए गए।
बैठक के समापन के बाद विहिप कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने पत्रकार वार्ता में कहा कि कोरोना की तीसरी लहर से रक्षा एवं उसके विरुद्ध युद्ध का आगाज इस बैठक में हुआ है। हम देशभर की हिंदू शक्तियों के साथ मिलकर भारत के एक लाख से अधिक गावों एवं शहरी बस्तियों में व्यापक जन-जागरण कर न सिर्फ लोगों को इससे बचाव के प्रति जागरूक करेंगे अपितु पीड़ित परिवारों की हर संभव मदद भी करेंगे। महामारी द्वारा इस बार बच्चों को विशेष निशाना बनाए जाने की संभावना को देखते हुए हम महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था कर रहे हैं। संकट के समय पर अकेली सरकार ही नहीं, सम्पूर्ण समाज जुटता है, तभी उससे मुक्ति मिलती है।
उन्होंने कहा कि अवैध मतांतरण एक राष्ट्रीय अभिशाप है, जिससे मुक्ति मिलनी ही चाहिए। इस पर रोक के लिए 11 राज्यों में तो कानून हैं लेकिन समस्या एवं षड़यंत्र राष्ट्रव्यापी हैं। इसलिए हमारी इस अंतरराष्ट्रीय बैठक का सर्व-सम्मत मत है कि इसके लिए केंद्रीय कानून बनना चाहिए। तभी इस अभिशाप से मुक्ति मिल सकती है। सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय एवं वर्तमान परिस्थितियों से भी यह स्पष्ट हो चुका है कि केंद्र सरकार को इस बारे में और विलम्ब नहीं करना चाहिए। हमने हिंदू समाज से भी आह्वान किया है कि मुल्ला-मिशनरियों के भारत विरोधी एवं हिंदू द्रोही षड्यंत्रों पर सजग निगाहें रखकर सभी संविधान सम्मत उपायों के माध्यम से इन पर रोक लगाएं।

आलोक कुमार ने बताया कि बैठक में देशभर के मठ-मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव में कहा गया है कि मठ-मंदिर न केवल आस्था अपितु, चिरंजीवी शक्ति के केंद्र और हिंदू समाज की आत्मा हैं। इन्हें सरकारी नियंत्रण में नहीं रखा जा सकता। समाज को स्वयं इनकी देख-भाल एवं संचालन का दायित्व सौंपना चाहिए। चिदम्बरम् नटराज मंदिर मामले सहित कई बार न्यायपालिका ने भी कहा है कि सरकारों को मंदिरों के नियंत्रण का कोई अधिकार नहीं है इसलिए विश्वभर से जुड़े विहिप कार्यकर्ताओं ने एक स्वर से अपील करते हुए केंद्र सरकार से कहा है कि इसके लिए भी एक केंद्रीय कानून बनाकर मठ-मंदिरों एवं धार्मिक संस्थाओं को नियंत्रण से मुक्ति दिलाकर हिंदू समाज को सौंपा जाए ताकि संत और भक्त इनकी धार्मिक एवं प्रशासनिक व्यवस्थाएं वहां की समाजोन्मुखी एवं संस्कारक्षम परम्पराओं को पुनः स्थापित कर सकें।
कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि बैठक में लगभग 50 केंद्रीय और क्षेत्रीय पदाधिकारी कोरोना नियमों का पालन करते हुए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहे और शेष लगभग 350 प्रांतीय अधिकारी एवं भारत के बाहर के पदाधिकारी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। उल्लेखनीय है कि शनिवार को बैठक के पहले दिन; विष्णु सदाशिव कोकजे के विहिप अध्यक्ष पद के दायित्व से मुक्ति की इच्छा जताने के बाद प्रख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रवींद्र नारायण सिंह को अध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को उपाध्यक्ष पद पर और मिलिंद परांडे को महामंत्री पद पर बरकरार रखा गया है। इसके अलावा भी कई सांगठनिक बदलाव किए गए हैं।

साभार – हिस

Share this news

About desk

Check Also

Despite monsoon deficit, Kharif acreage up 32% in June, driven by pulses & oilseeds

India sees higher acreage of summer-sown Kharif crops in June despite a larger monsoon rainfall …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *