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ओडिशा में अब तक पांच नेताओं पर हुई फायरिंग

  •  स्वास्थ्य मंत्री की हत्या ने अन्य घटनाओं की यादें ताजा की

  •  नेताओं की सुरक्षाव्यवस्था को लेकर उठने लगे सवाल

भुवनेश्वर। ओडिशा में साल 2007 के बाद पांच नेताओं को टार्गेट बनाया जा चुका है। इन सभी पर बम और गोलियों से हमले किये गये। राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री नव किशोर दास की रविवार को ब्रजराजनगर में एक पुलिसकर्मी द्वारा गोली मारकर हत्या किए जाने से पूरा ओडिशा स्तब्ध है। इस घटना इस शांतिप्रिय राज्य में राजनीतिक नेताओं पर किये गये बंदूक के हमलों की याद ताजा कर दी है। हालांकि, हिंसा की घटनाओं की संख्या कम हैं, लेकिन खासकर राजनीतिक क्षेत्र में ओडिशा में साल 2007 के बाद की अवधि के दौरान कम से कम पांच निर्वाचित प्रतिनिधियों को गोली मारी गई।

2011 में जगबंधु मांझी हुए शिकार

उमरकोट विधानसभा क्षेत्र से बीजू जनता दल के विधायक जगबंधु मांझी ओडिशा के पहले राजनेता थे, जो 2011 में एक घातक बंदूक से किये हमले के बाद गोली लगने से घायल हो गए थे। 24 सितंबर, 2011 को दो हमलावरों ने तत्कालीन विधायक और उनके पीएसओ पर गोली चलाई थी। वह नवरंगपुर जिले के रायघर प्रखंड में गरीब आदिवासियों को जमीन के कागजात सौंपने गये थे। इस दौरान फायरिंग में दोनों की मौके पर ही मौत हो गयी। घटना के 19 दिन बाद माओवादियों ने जगबंधु मांझी की हत्या की जिम्मेदारी ली थी। माओवादियों ने दावा किया था कि विधायक की हत्या के लिए भाकपा (माओवादी) का मैनपुरी डिवीजन जिम्मेदार है। साथ ही आरोप लगाया था कि राजनेता ने माओवादियों के नाम पर पैसा इकट्ठा करके उनकी छवि धूमिल की और 12 लोगों को मार डाला और दोष माओवादियों पर मढ़ दिया। बाद में सनसनीखेज हत्या के मुख्य आरोपी छत्तीसगढ़ मैनपुर डिवीजन के जानी सलेम ने 2014 में आंध्र प्रदेश में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

नव किशोर दास

जगबंधु मांझी पर घातक गोली चलाने के एक दशक से अधिक समय बाद स्वास्थ्य मंत्री नव किशोर दास दूसरे शिकार बने हैं। मंत्री का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने कहा कि एक गोली शरीर में घुसकर बाहर निकल गई थी, जिससे दिल और बाएं फेफड़े में चोट लगी थी और बड़े पैमाने पर आंतरिक रक्तस्राव हुआ था।

महेश्वर मोहंती

बीजद नेता महेश्वर मोहंती को साल 2014 की अवधि के दौरान कानून, संस्कृति और पर्यटन मंत्री रहते हुए गोली मार दी गई थी। उन्हें दो गोलियां मारी गईं, एक उनके कंधे में और दूसरी बांह में। घटना के रोज 21 फरवरी को पुरी में एक सभा में शामिल होने के बाद वह रात करीब 9.30 बजे अपने स्कूटर से आ रहे थे। गोली लगने के बाद उन्हें जिला मुख्यालय अस्पताल ले जाया गया और फिर भुवनेश्वर के कलिंग अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। डॉक्टरों की एक टीम द्वारा की सफल सर्जरी के बाद हमले में वह बाल-बाल बच गए।

पुलिस ने इस सिलसिले में मास्टरमाइंड श्रद्धामणि महापात्र और दो शूटरों को गिरफ्तार किया था। जांच से पता चला कि हमलावरों ने पुरी में जगन्नाथ मंदिर के एक वरिष्ठ सेवायत की हत्या का बदला लेने के लिए मोहंती पर गोलियां चलाईं। बाद में पता चला कि सेवायत की तलुचा भगवान महापात्र उर्फ गुना सिंघारी की 70 वर्षीय मां श्रद्धामणि ने कथित तौर पर अपने बेटे की हत्या का बदला लेने के लिए अपने बेटे के सभी पूर्व सहयोगियों, पांच संविदा हत्यारों को काम पर रखा था। उसने आरोप लगाया कि महेश्वर मोहंती के आदमी गुना सिंघारी हत्याकांड में शामिल थे।

सुदाम मरांडी

मयूरभंज लोकसभा क्षेत्र से झामुमो के तत्कालीन सांसद सुदाम मरांडी पर की गयी गोलीबारी ने साल 2009 में ओडिशा की राजनीति में हलचल पैदा कर दी थी। मयूरभंज जिले में 13 अक्टूबर को चंदुआ थाने के अंतर्गत बांदप गांव में एक फुटबॉल टूर्नामेंट में वह शामिल होने गये थे। इस दौरान उन पर माओवादियों ने गोलियां चलाई थीं। झामुमो नेता झाड़ी में छिपकर फरार हो गया, लेकिन माओवादियों ने फुटबॉल मैच के बाद मरंडी के सुरक्षा गार्ड समेत तीन पुलिसकर्मियों को गोली मार दी।

धनुर्जय सिद्धू

तत्कालीन केंदुझर कांग्रेस विधायक धनुर्जय सिद्धू को 26 फरवरी 2007 को बड़बिल के पास अज्ञात हमलावरों ने गोली मार दी थी। बंदूक से हमला तब हुआ, जब वह अपने वाहन में जा रहे थे। इस दौरान कुछ मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने भद्रसाही चौक के पास कार पर गोलियों की बौछार कर दी। उन्हें स्थानीय सरकारी अस्पताल में ले जाया गया और बाद में जोड़ा के टिस्को अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां केंदुझर और चंपुआ से बुलाए गए तीन सर्जनों द्वारा उनका ऑपरेशन किया गया। हमले में वह बच गए, क्योंकि डॉक्टरों ने एक ऑपरेशन में उनके पेट के निचले हिस्से और जांघ से 3 गोलियां सफलतापूर्वक निकाल दीं।

रमेश चंद्र जेना

29 मई, 2009 को अज्ञात हमलावरों ने कांग्रेस नेता रमेश चंद्र जेना पर गोलियां चलाईं। हालांकि कांग्रेस नेता रमेश चंद्र जेना बाल-बाल बचे। खबरों के मुताबिक, गंजाम जिला में जिला बस मालिक संघ की ओर से आयोजित एक सम्मान समारोह में वह शामिल हो गये थे। इसी दौरान दो हमलावरों ने उनके वाहन पर फायरिंग की। इसके बाद अगस्त 2010 में फिर से हमला हुआ। इस दौरान गंजाम जिले के ब्रह्मपुर शहर से लगभग 45 किलोमीटर दूर पातापुर शहर में कुछ अज्ञात लोगों ने उनके वाहन पर बम फेंके, जिससे वह बाल-बाल बच गए। जेना पर हमले में कथित संलिप्तता के आरोप में पुलिस ने 2012 में चार युवकों को पकड़ा था। उनके कब्जे से चार रिवॉल्वर और जिंदा कारतूस बरामद किए गए।

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