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बीएसएफ के स्थापना के 57 वर्ष पूरे, ओडिशा में नक्सलियों की तोड़ी कमर

  •  कुल 64 खतरनाक नक्सलियों को मार गिराया, 793 नक्सलियों की गिरफ्तारी की

  •  629 हार्डकोर नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराया

  •  417 आईईडी की बरामदगी कर साजिशों को किया विफल

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के स्थापना के आज 57 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इस दौरान बीएसएफ ने ओडिशा में नक्सलियों की कमर तोड़कर शांति कायम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन कर रहा है। इस दौरान इसने कुल 64 खतरनाक नक्सलियों को मार गिराया, 793 नक्सलियों की गिरफ्तारी की तथा 629 हार्डकोर नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराया। इसके साथ ही 417 आईईडी की बरामदगी कर नक्सलियों की बड़ी-बड़ी साजिशों को विफल कर दिया। बीएसएफ भारत का एक प्रमुख अर्धसैनिक बल है एवं विश्व का सबसे बड़ा सीमा रक्षक बल है। इसका गठन 1 दिसम्बर 1965 में हुआ था। बल की जिम्मेदारी भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर निरंतर निगरानी रखना, भारत भूमि सीमा की रक्षा और अंतर्राष्ट्रीय अपराध को रोकना है। शुरूआत में इस बल में केवल 25 बटालियनों का गठन किया गया था, लेकिन वर्तमान में बीएसएफ की 193 बटालियन, भारत की लगभग 6,385 किलोमीटर लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करती है, जो कि पवित्र नदी-घाटियों, दुर्गम रेगिस्तानों और हिमाच्छादित प्रदेशों तक फैली है। सीमा पर होने वाले अपराधों जैसे तस्करी, घुसपैठ और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकना एवं सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के मन में सुरक्षा की भावना को बनाए रखने की जिम्मेदारी बीएसएफ को दी गई है।
यह बातें आज यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए बीएसएफ के आईजी धनेश्वर कुमरा शर्मा ने कहीं। इस मौके पर डीआईजी बीबी गोसाईं, डीआईजी धीरेंद्र कुमार, कमांडेंट आईसी कुमार तथा टूआईसी सुमन कुमार भी उपस्थित थे। शर्मा ने कहा कि भारत पाकिस्तान की सीमाओं पर पहले राज्य आर्मड पुलिस बल के द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाती थी। दिनांक 9 अप्रैल 1965 को गुजरात में कच्छ के इलाके में पाकिस्तान की सेना द्वारा भारतीय सीमा चैकियों पर हमला किया गया था। जिससे भारत सरकार ने पाकिस्तान से लगी सीमाओं की सुरक्षा के लिए विशेष रूप से सषस्त्र एवं प्रशिक्षित एक अलग बल की स्थापना करने का निर्णय लिया जिसके प्रमुख के रूप में श्री के एफ रूस्तमजी को जिम्मा दिया गया। उन्होंने दिनांक 1 दिसम्बर 1965 को विश्व की सबसे बड़ी सीमा सुरक्षा बल का गठन किया।
आज 57 वर्ष पूरे हो चुके है। सीमा सुरक्षा बल पष्चिमी सीमा पर पाकिस्तान सीमा में अडिग एवं दृढ़निश्चय के साथ डटकर रात-दिन अपनी ड्यूटी कर रही है। साथ ही साथ पूर्वी सीमा पर बांग्लादेश बॉर्डर के साथ उत्तरी पूर्वी राज्यों में काउन्टर इंसर्जन्सी आॅपरेषन (ब्प् व्चे) को भी अंजाम दे रही है। इसके अलावा देश के अन्दर होने वाले प्रकृतिक आपदायें, नक्सल समस्या, देश एवं विभिन्न राज्यों में होने वाले चुनावों के दौरान भारत सरकार द्वारा दी गयी हर जिम्मेदारी को दृढ़ संकल्प के साथ निभाते हुए हर कदम पर अपनी वीरता का परिचय दिया है। सीमा सुरक्षा बल न सिर्फ देश के बाहरी दश्मनों से लोहा लेता है बल्कि जरूरत पड़ने पर देश के भीतर घुसे देश द्रोहियों को कुचलने में अपनी जान की परवाह नहीं करता है।
ओडिशा में नक्सल आंदोलन 1960 के दशक में किसान आंदोलन के रूप में शुरू हुआ था। यह आंदोलन बाद में हिंसक रूप ले लिया। इस सदी के आरम्भ में यह आंदोलन उग्र हो गया एवं कानून व्यवस्था के स्थान पर कई जगह पर नक्सल का समानान्तर शासन चलने लगा। 2004 के कोरापुट के शस्त्रागार की लूट, 2006 में मोटू पुलिस चैकी के प्रभारी की हत्या, 2007 के दरलीपुट में ट्रेन के इंजन को विस्फोटक द्वारा उड़ाना एवं स्टेशन मास्टर का आॅफिस जलाना, 2008 में नयागढ़ पुलिस टेªनिंग स्कूल पर हमला जिसमें 14 पुलिस कर्मी शहीद हुए थे तथा 2008 में ही ग्रेहाऊंड के 38 कमांडो/पुलिस जवान की नक्सलियों ने हत्या कर दी, 2009 में सी आई एस एफ के 11 जवानों की हत्या नाल्को/दमनजोड़ी में नक्सल ने किया। इस तरह की अनेक घटनाओं के लगातार होने के कारण 2010 में 5 बटालियन के साथ बीएसएफ ने ओडिशा राज्य में अपना कार्य शुरू किया। बीएसएफ ने राज्य में पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना शुरू किया। इसके साथ-साथ स्थानीय लोगों के दिलो में सुरक्षा की भावना पैदा करने और विकासात्मक कार्यों के कार्यान्वयन में सहयोग करने में आगे रहा। मालकानगिरि, कोरापुट, रायगड़ा एवं नवरंगपुर में नक्सलियों से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन की। इसके साथ-साथ कई अन्य राज्यों में भी तैनात है। सीमा सुरक्षा बल के जिला कोरापुट और मालकानगिरि में आने के बाद विकासात्मक कार्य भी बढ़े हैं। यहां नए 106 स्कूल, 33 अस्पताल, 247 आंगनबाड़ी, 12 पंचायत भवन, 34 कम्युनिटी हाल, 183 छोटे पुल तथा कलवट तथा 155 सड़क निर्माण कार्य किये गये हैं।
बीएसएफ ने कुल 64 खतरनाक नक्सलियों को मार गिराया, जिसमें से वर्ष 2022 में 01 नक्सलियों को मार गिराया गया। कुल 793 नक्सलियों की गिरफ्तारी की गई, जिसमें से वर्ष 2022 में 03 नक्सलियों की गिरफ्तारी की गईं। कुल 629 हार्डकोर नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराया। कुल 417 आईईडी (जिन्दा बम) की बरामदगी की गई, जिसमें से वर्ष 2022 में 30 आईईडी बरामद की गई। वर्ष 2014 व 2019 में विधानसभा चुनाव तथा लोकसभा चुनाव के दौरान सीमा सुरक्षा बल ने अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित इलाको में शांतिपूर्ण मतदान कराने में कामयाबी हासिल की है। इसके अलावा लोगों की मदद करने, रोजगार सृजन तथा ट्राइबल यूथ प्रोग्राम के तहत आदिवासी बच्चों को भारत भ्रमण में ले जाना और प्रदेश की संस्कृति को देश के समक्ष रखना इत्यादि कार्य भी सीमा सुरक्षा बल कर रहा है।
इसके अलावा कोरोना महामारी के दौरान नक्सल प्रभावित गांवों के जरूरत मंद परिवारों को राशन, दवाईयां एवं दैनिक उपयोग सामान मुहैया कराया तथा अलग-अलग राज्यों में फंसे स्थानीय मजदूरों को भी राशन, दवांईयां एवं दैनिक उपयोग के सामान के साथ घर तक पहुंचाने मे भी मदद किया।

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