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नहीं रहे उद्योगपति तथा समाजसेवी भगतरामजी गुप्ता

  • उद्योग जगत में शोक की लहर

भुवनेश्वर. ओडिशा के विख्यात उद्योगपति व समाजसेवी भगतरामजी गुप्ता नहीं रहे. 12 नवंबर, 1943 में राजस्थान के श्रीगंगानगर और हिसार से समान दूरी पर अवस्थित सांगरिया मण्डी में जन्मे भगतराम गुप्ता का निधन आज दिनांक 21 फरवरी, 2020 महाशिवरात्रि के दिन हो गया. वे स्वर्गीय जगदीश राय गुप्ता के एक सुयोग्य संतान थे. एक सफल कारोबारी तथा उद्योगपति भगत राम गुप्ता बड़े ही आत्मविश्वासी थे, जिनके चार भाई हैं रामनिवास गुप्ता, महेन्द्र कुमार गुप्ता, सुभाष गुप्ता और आदिनाराण गुप्ता. उनके निधन से उद्योग जगत में शोक व्याप्त है. उनके भाई महेन्द्र कुमार गुप्ता तथा गुप्ता केबुल्स तथा गुप्ता पावर्स आदि कंपनियों के प्रबंध निदेशक ने बताया कि भगतराम गुप्ता एक संवेदनशील व्यक्ति के साथ-साथ प्रियदर्शी भी थे. उन्होंने अपने स्वर्गीय पिताजी जगदीश रायजी गुप्ता अपने समय में भुवनेश्वर में प्रतिदिन प्रभातफेरी के लिए मशहूर थे और उनके नेतृत्व में उनकी अपनी हरिबोल सत्संग संकीर्तन मण्डली एक स्वर में नित्य प्रभातफेरी लगाती और यही गाया करती थी- राम-राम की गाड़ी में राम धाम जाएंगे, चेकिंग होगी रास्ते में, हरिबोल टिकट दिखाएंगे।

स्वर्गीय भगतराम गुप्ता एक हंसमुख, मृदुल, उदार, सहृदय, आत्मीय और धर्मपरायण व्यक्ति थे, जिन्होंने भुवनेश्वर में संयुक्त परिवार की अवधारणा का आजीवन साकार रखा। उनके चैरिटेबुल ट्रस्ट हैं, अस्पताल, प्रसूतिगृह, स्कूल, कालेज और इंजीनियरिंग कालेज आदि हैं. 1960 के दशक से ही दक्षिण भारत में उनका श्री राम सहाय चैरिटेबुल ट्रस्ट आज भी कार्यरत है. मारवाड़ी सोसाइटी भुवनेश्वर के लगभग एक दशक से भी अधिक समय तक स्वर्गीय भगतराम गुप्ता मारवाड़ी सोसाइटी भुवनेश्वर के अध्यक्ष रहे. चेयरमैन भी रहें. अन्तर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन से लेकर अनेक समाजसेवी संगठनों से वे सक्रिय रुप में जुड़े आजीवन जुड़े रहे. नित्य पूजा-पाठ करना,  ईश्वर-गुरु वंदना करना, गाय, ब्राह्मण और दीन-दुखियों की सेवा करते रहे. उनका सुयोग्य पुत्र जितेन्द्र मोहन गुप्ता एक सफल युवा उद्योगपति हैं, जो अपने पिताजी के संस्कार से ही संतुलित विचारवाले, हंसमुख, उदार, सहृदय, कठोर परिश्रमी और दूरदर्शी उद्योगपति तथा निःस्वार्थ समाजसेवी है. स्वर्गीय भगतराम गुप्ता पिछले लगभग तीन दशकों से अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन, अखिल भारतीय मारवाड़ी सम्मेलन, अन्तर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन, विभिन्न गोशालाओं, सेवा आश्रमों, अनाथालयों आदि के विकास से जुड़े रहें. कटक मेल्वीन जोन्स लायंस नेत्र चिकित्सालय, श्रीगोपालकृष्ण गोशाला तथा श्री नन्दगांव वृद्धगोसवा आश्रम से आजीवन सक्रिय रुप से जुड़े रहे. उनके निधन पर न केवल सम्पूर्ण मारवाड़ी सामज अपितु स्थानीय जनपद भी शोकतप्त है. 21 फरवरी की सांध्य बेला में पुरी धाम के स्वर्गद्वार में उनका अंतिम दाहसंस्कार संपन्न हुआ.

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