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ओड़िशा में पिछले चार साल में 11763 महिलाएं हुई हैं दुष्कर्म का शिकार

  • दुष्कर्म पीड़ित को निर्भया कोष से सहायता राशि देने में ओड़िशा सरकार फिसड्डी:

  • छह साल में मात्र 20 प्रतिशत राशि ही किया है खर्च

भुवनेश्वर,ओडिशा में बीजद सरकार महिलाओं को अपने वोट बैंक के रूप में प्रयोग करती है मगर राज्य के दुष्कर्म पीड़ितों को निर्भया कोष से सहायता राशि देने में फिसड्डी साबित हुई है। राज्य में पिछले चार साल में कुल 11763 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार हुई हैं मगर इन महिलाओं के लिए केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए निर्भया कोष से मदद राशि देने में ओड़िशा सरकार आंतरिकता नहीं दिखा रही है। वर्ष 2016-17 से वर्ष 2021-22 तक केन्द्र सरकार ने निर्भया कोष में कुल 97.54 करोड़ रुपये की सहायता राशि दिया है, इसमें से लगभग 20 प्रतिशत अर्थात 19.26 करोड़ राशि ही ओड़िशा सरकार ने खर्च किया है। यह आंकड़ा और कोई नहीं बल्कि केन्द्र महिला एवं शिशु विकास मंत्री स्मृति इरानी ने दिया है।
राज्यसभा में केन्द्र महिला एवं शिशु विकास मंत्री स्मृति इरानी ने बुधवार को बीजद सांसद ममता महांत के एक प्रश्न के लिखित उत्तर देते हुए ओड़िशा सरकार के निर्भया कोष खर्च करने में विफलता का पर्दाफाश किया है। केन्द्र मंत्री इरानी ने कहा है कि निर्भया कोष से ओड़िशा को 2016-17 आर्थिक साल में 20.24 करोड़ रुपया, 2017-18 आर्थिक साल में 4.12 करोड़ रुपया, 2018-19 आर्थिक साल में 8.74 करोड़ रुपया, 2019-20 आर्थिक साल में 24.87 करोड़ रुपया, 2020-21 आर्थिक साल में 15.77 करोड़ रुपया तथा 2021-22 आर्थिक साल में 23.80 करोड़ रुपया दिया है। राज्य सरकार ने इसमें से मात्र 19.2 करोड़ रुपया ही खर्च किया है। उसी तरह से राज्य में वन स्टाप सेंटर स्थापित करने एवं संचालन करने के लिए निर्भया कोष से 26.54 करोड़ रुपया केन्द्र सरकार की तरफ से ओड़िशा को दिया गया है।
यहां उल्लेखनीय है कि राज्य में प्रत्येक साल महिलाओं के साथ दुष्कर्म का मामला बढ़ते चला जा रहा है। बावजूद इसके पीड़ितों को निर्भया कोष से आर्थिक मदद देने में राज्य सरकार क्यों तत्परता नहीं दिखाई रही है, इस पर सवाल उठ रहे हैं। दुष्कर्म पीड़िता को कानूनी एवं आर्थिक सहायता के लिए निर्भया कोष से सहायता दी जाती है तथा उनके परिचय को भी गुप्त रखने का प्रावधान है। ओड़िशा में दैनिक 8 महिलाओं के साथ दुष्कर्म हो रहा है। इसके बाद भी राज्य में महिला विरोधी हिंसक मामले में दंडविधान की दर मात्र 9.2 प्रतिशत है। दुष्कर्म की शिकार महिला किस प्रकार से निर्भया कोष से त्वरित सहायता पाएंगी, उसे लेकर राज्य में सरकारी स्तर पर विशेष तत्परता या फिर जागरूकता कार्यक्रम नहीं चलाया जा रहा है। यही कारण है कि राज्य में महिलाओं के साथ दुष्कर्म का मामला बढ़ते चला जा रहा है और निर्भया कोष की राशि भी खर्च नहीं हो पा रही है।
गौरतलब है कि राज्य में 2018 से 2021 के बीच कुल 11763 महिलाएं दुष्कर्म का शिकार हुई हैं। 2018 में 2502 महिला के साथ दुष्कर्म हुआ है जबकि 2019 में 2950 महिला, 2020 में 2984 महिला तथा 2021 में 3327 महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ है।

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