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परमात्मा का सच्चा ज्ञान प्राप्त करने के लिए राजयोग का अभ्यास जरूरी – स्वामी ओंकारानंद

पुरी. परमात्मा का सच्चा ज्ञान प्राप्त करने के लिए राजयोग का अभ्यास जरूरी है. उक्त बातें हिमाचल प्रदेश, शिमला हिल्स से पधारे अंतर्राष्ट्रीय वैदिक प्रवक्ता परिव्राजक आर्य संन्यासी इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर ऑफ वैदिक विजन के स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने कहीं. वह गुंडिचा मंदिर, श्री जगन्नाथ पुरी के नजदीक लावण्या बिहार स्थित ब्रह्मा कुमारीज केंद्र एवं गीता पाठशाला में अपना व्याख्यान दे रहे थे. इसके संस्थापक एवं संचालक अवकाशप्राप्त कर्नल सुधीर पात्र एवं उनकी धर्मपत्नी सुनीता पात्र हैं. कर्नल सुधीर पात्र ने समय से पहले ही रिटायरमेंट लेकर 2009 से ही गुरुग्राम हरियाणा स्थित ब्रम्हाकुमारी केंद्र से जुड़कर शिव बाबा का सच्चा गीता ज्ञान सुनकर एवं राजयोग का निरंतर अभ्यास करने लग गए और आज ब्रह्माकुमारी का भव्य और सुंदर केंद्र शिव बाबा और ब्रह्मा बाबा की कृपा से लोक जनहित में निर्माण कर सेवा दे रहे हैं.

स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने ब्रम्हाकुमारी केंद्र के संचालक कर्नल सुधीर पात्रा के निमंत्रण पर मुरली क्लास में अपनी उपस्थिति दर्ज की और वहां उपस्थित सभी भाइयों और बहनों के साथ मधुबन माउंट आबू का अपना अनुभव साझा किया. स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने कहा कि परमात्मा का ज्ञान प्राप्त करने के लिए राजयोग का अभ्यास जरूरी है. आजकल लोग ज्यादातर ध्यान रोटी-कपड़ा और मकान पर दे रहे हैं. सच्चे परमात्मा के ज्ञान से लोग अनभिज्ञ हैं, जबकि मनुष्य का जन्म का अंतिम लक्ष्य है. परमात्मा द्वारा प्रदत ज्ञान को प्राप्त कर मुक्ति को पाना यह संसार पूरा माया का जाल है. लोग ज्यादातर माया के संसार में ही फंसे रहते हैं. संपूर्ण माया का मालिक परमात्मा की ओर कोई ध्यान नहीं देता. वेद शास्त्र में भी आता है कि जब तक मनुष्य परमात्मा को नहीं जानता, तब तक दुखों से मुक्त नहीं हो सकता और दूसरा कोई उपाय भी नहीं है. मात्र एक ही रास्ता है और वह रास्ता है परमात्मा को जाने बगैर दुखों से मुक्ति नहीं. स्वामी ओंकारानंद ने कहा कि हमें रोटी-कपड़ा-मकान के साथ-साथ भगवान को भी लाना आवश्यक है और सिर्फ भगवान को लाना ही नहीं, परंतु उसके द्वारा प्रदत ज्ञान को प्राप्त करना भी आवश्यक है. आज ब्रम्हाकुमारी केंद्र जो प्रजापिता ईश्वरीय विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाता है. पूरे विश्व में 10000 के आसपास केंद्र हैं और प्रत्येक केंद्र से रोज परमात्मा का ज्ञान मुरली के रूप में सभी साधकों के लिए केंद्र के संचालक अथवा संचालिका के द्वारा उपस्थित भाइयों-बहनों के लिए निःशुल्क बांटा जाता है. उपनिषद में भी आता है सभी मनुष्य को स्वाध्याय और प्रवचन पर अपना ध्यान एकाग्र करना चाहिए. इससे मनुष्य पवित्र बनता है. शुद्ध बनता है. परमात्मा के ज्ञान को पाने की योग्यता को हासिल करता है. ब्रम्हाकुमारी केंद्र अपने दैनिक जीवन खान-पान, रहन-सहन पर पूरा नियंत्रण रखता है, ताकि शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी अच्छा रहे और अच्छे स्वास्थ्य के द्वारा ही हम राष्ट्र की सेवा में अपना जीवन अर्पित कर सकते हैं. स्वामी ओंकारानंद ने कहा कि आज आंतरिक शांति को पाने के लिए स्वाध्याय और राजयोग का अभ्यास बहुत जरूरी है. कभी-कभी संत महात्मा कहा करते हैं कि 24 घंटे में कम से कम 24 मिनट तो निकालो और परमात्मा का ध्यान करो. यह शुरुआत में है. धीरे-धीरे इस अभ्यास को बढ़ाना चाहिए और कम से कम एक घंटा का अभ्यास प्रतिदिन सुबह और शाम अवश्य ही करना चाहिए. महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपने सत्यार्थ प्रकाश में भी स्पष्ट रूप से लिखा है नवे समुल्लास में कि प्रत्येक मनुष्य को कम से कम 1 घंटे का ध्यान अभ्यास निश्चित रूप से करना चाहिए. तभी हम शांति के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं. स्वामी ओंकारानंद सरस्वती ने कहा कि धन्य है हमारे ब्रम्हाकुमारी के भाई-बहन ,जिन्होंने अपने जीवन को राष्ट्र की सेवा में समर्पित किया है. रोज सुबह सुबह 4:00 बजे प्रतिदिन जागकर राजयोग ध्यान का अभ्यास करने वाले परमात्मा के काफी नजदीक रहते हैं और धीरे-धीरे परमात्मा के उस असीम आनंद को प्राप्त कर लेते हैं, जिसके लिए यह मनुष्य जन्म हुआ है. अंत में बृहस्पतिवार के विशेष भोग का सभी ने आनंद लिया. कर्नल सुभाष पात्र एवं उनकी पत्नी सुनीता पात्र ने स्वामी जी के प्रति आभार जताया.

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