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हाईकोर्ट में निरतार निदेशक को झटका

  •  डेपुटेशन समाप्त होने के बाद डा एसपी दास निदेशक नहीं रह सकते

भुवनेश्वर. डेपुटेशन समाप्त होने के बाद केन्द्र सरकार की राष्ट्रीय पुनर्वास प्रशिक्षण व अनुसंधान संस्थान (निरतार) के निदेशक के पद पर डा शक्ति प्रसाद दास नहीं रह सकते. कटक स्थित हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर व न्यायाधीश एके महापात्र की खंडपीठ ने यह निर्णय सुनाया है. डा शक्ति प्रसाद दास द्वारा दायर एक रिट पिटिशन की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने उनकी याचिका को खारिज कर यह निर्णय सुनाया है. खंडपीठ ने पूर्व में न्यायाधीश बीआर षाड़ंगी द्वारा दिये गये निर्णय को सही ठहराया है.
उल्लेखनीय है कि डा दास ने 28 जनवरी 2016 को निरतार में निदेशक के पद पर तीन साल के डेपुटेशन पर जिम्मेदारी संभाली थी. बाद में केन्द्र सरकार ने उनके डेपुटेशन को और दो साल बढ़ा दिया था. कुल पांच साल का डेपुटेशन आगामी 27 जनवरी 2021 को पूरा हो रहा है. इसे और दो साल बढाने के लिए उन्होंने सरकार के पास आवेदन किया था, लेकिन सरकार ने ऐसा न कर नियमित नियुक्ति तक सामयिक रुप से इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए उन्हें कहा था. सरकार ने नियमित निदेशक की नियुक्ति के लिए अखिल भारतीय स्तर पर विज्ञापन जारी किया था, लेकिन डा दास ने इस विज्ञापन को रद्द करने तथा उनकी डेपुटेशन की अवधि को और दो साल बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट में आवेदन किया था. गत 16 नवंबर को हाईकोर्ट के न्यायाधीश ड़ा षडंगी ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. इसके बाद डा दास ने इस निर्णय के खिलाफ एक रिट पिटिशन दायर की, जिसे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने खारिज कर दिया है.

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