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सरकारी वर्क ऑर्डर के नाम पर 1.17 करोड़ की ठगी, आर्थिक अपराध शाखा ने दो आरोपियों को धर-दबोचा

भुवनेश्वर. ओडिशा अपराध शाखा की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने एक ठेकेदार से 1.17 करोड़ रुपये की ठगी करने के आरोप में शुक्रवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया.

दोनों की पहचान सूर्यमणि त्रिपाठी और अमित स्वाईं के रूप में बतायी गयी है. जानकारी के अनुसार,, दोनों आरोपियों ने मुकेश जैन को 85 करोड़ रुपये से अधिक की राशि के ओडिशा सरकार के विभिन्न वर्क ऑर्डर दिलाने के नाम पर ठगी की थी.

बताया गया है कि आरोपी सूर्यमणि को कटक से और अमित को भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया है. उन्हें आज एसडीजेएम, भुवनेश्वर की अदालत में भेज दिया गया.

सूत्रों ने बताया कि रिकब चंद मनौत उर्फ ​​मुकेश जैन, मैसर्स राष्ट्रीय स्टेनलेस स्टील, जिंदल हाउस, आसफ अली रोड, नई दिल्ली के मालिक ने ठगी को लेकर शिकायत दर्ज करायी थी. दर्ज शिकायत के अनुसार,, आरोपी व्यक्ति सूर्यमणि और अमित ने एक अन्य आरोपी के साथ आपराधिक साजिश रची तथा खुद को क्रमशः रॉ, आईएएस और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के रूप में पेश किया तथा जैन और उनके बेटे को एक अन्य महिला की मदद से धोखा दिया. महिला ने उनके लिए निर्माण विभाग, ओडिशा सरकार में बड़े सरकारी वर्क ऑर्डर, ठेकों की व्यवस्था के बहाने 1.17 करोड़ रुपये लेने में मध्यस्थ के रूप में थी.

मुकेश का कलिंगनगर, भुवनेश्वर में मेसर्स राष्ट्रीय स्टेनलेस स्टील का एक शाखा कार्यालय था, जिसके मालिक उनके बेटे अक्षय मनौत उर्फ अक्षय जैन थे. साल 2017 में शिकायतकर्ता अपने एक दोस्त के माध्यम से राजेश गहलोत के संपर्क में आया, जिसने खुद को रॉ के एक अधिकारी के रूप में पेश किया और उसके ओडिशा में कई आईएएस अधिकारी उसके दोस्त थे.

बाद में गहलोत ने मुकेश और उनके बेटे अक्षय को ओडिशा निवास, चाणक्यपुरी, नई दिल्ली में बुलाया और आरोपी सूर्यमणि को एक आईएएस अधिकारी के रूप में पेश किया, जो पीडब्ल्यूडी (लोक निर्माण विभाग) में ओडिशा सरकार के अतिरिक्त सचिव के रूप में तैनात थे. दोनों ने मुकेश और उनके बेटे को ओडिशा में प्रधानमंत्री योजना के तहत उच्च मूल्य के सरकारी ठेके और वर्क ऑर्डर दिलाने करने में मदद करने का आश्वासन दिया.

जानकारी के अनुसार,, इसके बाद जनवरी 2018 के दौरान सूर्यमणि की ओर से पीडब्ल्यूडी, ओडिशा के साथ मुकेश की फर्म के पक्ष में वर्क ऑर्डर से संबंधित समझौते को अंतिम रूप देने के लिए बुलाया जा रहा था. इस पर मुकेश और उनका बेटा ईआईसी, निर्माण सौध, भुवनेश्वर के कार्यालय में आए, जहां आरोपी अमित को पेश किया गया था.

सूर्यमणि और अमित अपने साथ मुकेश और उनके बेटे अक्षय को भुवनेश्वर कोर्ट ले गए और स्टांप पेपर पर समझौते तैयार किए. दस्तावेजों और अनुबंध पत्रों पर सहायक अभियंता, ओ/ओ ईआईसी (सिविल), निर्माण सौध, भुवनेश्वर द्वारा हस्ताक्षरित किया गया. इसके बाद राष्ट्रीय स्टेनलेस स्टील की ओर से अक्षय की तरफ से और समझौते के कागजात नोटरीकृत भी करवाए गये.

मार्च 2018 में सूर्यमणि और अमित ने मुकेश और अक्षय को भुवनेश्वर बुलाया और उनसे कार्य आदेश जारी करने के लिए अपनी फर्म यानी मेसर्स राष्ट्रीय स्टेनलेस स्टील को पीडब्ल्यूडी, ओडिशा के साथ पंजीकृत करने के लिए सरकारी खजाने में 25 लाख रुपये जमा करने के लिए कहा. उनके समझाने पर मुकेश दोनों आरोपियों के साथ ओला कैंपस, भुवनेश्वर स्थित सरकारी खजाने के परिसर में गया और आरोपी व्यक्ति के कहने पर एक महिला को 25 लाख रुपये नकद दिए और सूर्यमणि ने उसके संबंध में कोषागार की रसीद एकत्र की.

इसके बाद, सूर्यमणि ने मुकेश को दो कार्य आदेश सौंपे, जो कथित रूप से सहायक अभियंता, कार्यालय ईआईसी (सिविल) निर्माण सौध, भुवनेश्वर द्वारा 15.03.18 को 3 करोड़ और 4 करोड़ के अनुबंध मूल्य के लिए जारी किए गए थे. इसके बाद फिर 21.08.18 को ओडिशा में 30 जिलों और 314 ब्लॉक के तहत पाइप जलापूर्ति योजनाओं के लिए बढ़ती मुख्य और वितरण पाइपलाइनों को बिछाने, पंप हाउस, परिसर की दीवार आदि के निर्माण के लिए 32.52 करोड़ रुपये और 47.52 करोड़ रुपये के अनुबंध मूल्य वाले दो कार्य आदेश जारी किये गये. आरोपी व्यक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए विभिन्न दलीलों के तहत धन इकट्ठा करता रहा.

सूर्यमणि ने एक फर्जी पत्र भी सौंपा, जिस पर कथित तौर पर अधिकारी कार्यालय ईआईसी (सिविल), निर्माण सौध, भुवनेश्वर के एकाउंट आफिसर ने हस्ताक्षर किए थे. इसमें कुल 4.68 करोड़ रुपये की राशि को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया.

इस हिसाब से मुकेश के बेटे अक्षय ने 4.68 करोड़ रुपये की दो रसीदें दीं, लेकिन उनके खाते में कोई राशि ट्रांसफर नहीं हुई. जब कोई काम नहीं दिया गया तो मुकेश ने आरोपी व्यक्तियों के आचरण पर संदेह करना शुरू कर दिया और आरटीआई के तहत आरोपी व्यक्तियों और उन्हें दिए गए कार्य आदेश के बारे में जानकारी मांगी, तो पता चला कि ट्रेजरी रसीद सहित सभी दस्तावेज फर्जी हैं. साथ ही आरोपी व्यक्तियों की पहचान भी फर्जी निकली.

इसके बाद शिकायत के आधार पर जांच के दौरान ईओडब्ल्यू ने पाया कि आरोपी सूर्यमणि डीटीईटी (तकनीकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण निदेशालय), कटक के कार्यालय में क्लर्क के पद पर कार्यरत है,, जबकि अमित बेरोजगार है. जाली वर्क ऑर्डर, ठेका और ट्रेजरी की रसीदें जब्त कर ली गयी. आशंका जताई जा रही है कि इन लोगों ने और भी कई लोगों को ठगा होगा.

इस दौरान वे ओडिशा निवास, नई दिल्ली का उपयोग करते थे तथा मुकेश के विश्वास को हासिल करने के लिए कोई सौदा किये. सूर्यमणि ने मुकेश व अन्य पार्टी को प्रभावित करने के लिए वरिष्ठ आईएएस, आईपीएस, ओएएस अधिकारियों और न्यायाधीशों के मोबाइल नंबर सेव किया था.

इस धोखाधड़ी के मामले में शामिल अन्य आरोपियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए मामले की जांच जारी है.

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