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ब्रह्मोत्सव में साधु संतों और अखाड़ा प्रमुखों ने की एकात्म धाम प्रकल्प की प्रशंसा

  • शंकराचार्य नहीं आते तो हमारी संस्कृति इस तरह विकसित नहीं होतीः स्वामी अवधेनानंद

भोपाल। जूना पीठाधीश्वर के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि मध्य प्रदेश में नर्मदा के तीरे इस धाम में भगवान ओंकारेश्वर पर्वत पर भागवतपाद जगतगुरु की भव्य और दिव्य प्रतिमा स्थापित करने का प्रकल्प अद्भुत है। आज यहाँ दक्षिण भारत से भी अनेक संत पधारे है। आदि शंकराचार्य जी आज भारत के सांस्कृतिक स्वरूप का मेरुदंड बने हैं। हमारी संस्कृति इस तरह विकसित नहीं होती यदि शंकराचार्य जी नहीं आते।

स्वामी अवधेशानंद गुरुवार को ओंकारेश्वर में सिद्धवरकूट क्षेत्र में ब्रम्होत्सव को सम्बोधित कर रहे थे। समारोह में देश से हजारों संत, आध्यात्मिक विचारक और प्रबुद्धजन उपस्थित थे। ब्रह्मोत्सव में साधु-संतों और अखाड़ों के प्रमुखों ने एकात्म धाम प्रकल्प की प्रशंसा की।

गुरू देने वाली धरा है मध्यप्रदेश

स्वामी अवधेशानंद ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश का हृदय प्रदेश गुरू देने वाली धरा भी है। शंकराचार्य जी को मध्यप्रदेश में आगमन पर गुरू गोविंद पाद मिले और मध्यप्रदेश की धरती से जगतगुरू भी मिले। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जगतगुरू ने ही इस कार्य के लिये चयनित किया। ओंकारेश्वर में शंकराचार्य की प्रतिमा की स्थापना और अद्वैत धाम की पहल मानवीय नहीं बल्कि ईश्वरीय या दैवीय संकल्प है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान अच्छे शासक, प्रशासक होने के साथ ही उच्च कोटि के उपासक भी है। मुख्यमंत्री चौहान की धर्मपत्नी जीवन साथी के सद्कार्यों में सहायक बनती हैं। मध्यप्रदेश में शंकरदूत भी बनाये जा रहे हैं। अद्धैत दर्शन के संदेश को समाज तक पहुंचाने वाले युवा-उत्प्रेरक और प्रचारक शिविरों के माध्यम से तैयार किये जा रहे हैं। स्वामी अवधेशानंद ने आशा व्यक्त की कि मध्यप्रदेश सेवा कार्यो में अग्रसर बना रहेगा।

हरिद्वार के परमानंद गिरी ने कहा कि आज का दिन प्रसन्नता का दिन है। यह दिन सिर्फ भारतीयों के लिये नहीं सम्पूर्ण विश्व के लिये महत्वपूर्ण है। युवाओं द्वारा वेदांत का प्रचार हो रहा है, आज मनुष्य छोटी-छोटी बातों में फंसा हुआ है। इन छोटी बातों को जड़ से उखाड़ फेंकना है। अर्थात इन्हें समाप्त कर एकता और वेदांत के विचार को प्रचारित करना होगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ विचारक सुरेश सोनी ने कहा कि झंझावातों के बाद भी भारत आगे बढ़ रहा है। दीर्घ काल के बाद भारत “स्व” को अभिव्यक्त कर रहा है। भारत की सांस्कृतिक चेतना और आध्यात्मिक परम्परा के प्रति स्थानों का विकास हो रहा है। केदारनाथ, अयोध्या, काशी और उज्जैन में महाकाल लोक से राष्ट्रवासियों का ध्यान आकर्षित हुआ है। नागरिकों की आशा और आंकाक्षा है कि देश एक हो, अद्वैत का सिद्धान्त प्रचारित करने के प्रयास सराहनीय हैं। मुख्यमंत्री चौहान इसके लिये साधुवाद के पात्र हैं।

उन्होंने कहा कि ओंकारेश्वर की भौतिक प्रतिमा लोगों के आध्यात्मिक मानस तक पहुँचेगी। संतो की तपस्या और सिद्धान्त हमारे व्यवहार में व्यक्त होंगे, इसके चिन्ह दिखाई दे रहे हैं। आज अद्वैत के विचार को जीवन में उतारने की आवश्यकता है। ओंकारेश्वर का प्रकल्प एक गंगोत्री के समान है जो जल की धारा को बढ़ाते हुये महासागर के रूप में सामने आयेगा। संतों की प्रेरणा और आशीर्वाद मिल जाने से यह साकार होगा। उन्होंने कहा कि जी-20 के सन्दर्भ में एक पृथ्वी एक परिवार और एक भविष्य के विचार को भी बल मिला है।

ब्रम्होत्सव में पहुंचे विविध क्षेत्रों के प्रतिनिधि

ब्रम्होत्सव में जहां मित्रानंद महाराज पधारे, जो युवाओं को आईएएस बनने के लिये कोचिंग सुविधा उपलब्ध करवाते हैं, वहीं 13 प्रमुख अखाड़ों के प्रतिनिधि और देश के विभिन्न सम्प्रदायों के प्रतिनिधि भी उपस्थित हुये। गुरू मॉ आनंदमूर्ति के साथ ही पद्मश्री वीआर गौरीशंकर भी पधारे। उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से लेकर परिचय तक अनेक प्रान्तों के प्रतिनिधि आए।

ब्रम्होत्सव में वर्चुअली भी जुड़े संत

सिद्धवरकूट में हुये ब्रम्होत्सव में विभिन्न पीठों के जगद्गुरू शंकराचार्य ने भी लाईव संदेश के माध्यम से एकात्म धाम के लिये शुभकामना संदेश दिये। जगद्गुरू शंकराचार्य, शारदा पीठ, श्रृंगेरी विधुशेखर भारती महास्वामी ने कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य जी की भव्य मूर्ति बन जाने से श्रृद्धालुओं को परम सुख की अनुभूति मिलेगी।

उन्होंने कहा कि अद्वैत के सिद्धान्त अनंत है। इन सिद्धान्तों में समाज के विभिन्न लोगों को जोड़ा है। जगद्गुरू शंकराचार्य, शारदापीठ द्वारिका सदानंद सरस्वती जी ने अपने संदेश में कहा कि यह अवसर बेहद शुभ है। एक दौर में वेद ग्रन्थों के प्रमाण मांगे जाने लगे थे। आचार्य शंकराचार्य ने अपने धार्मिक सूत्रों से उनका खण्डन किया। आचार्य मानते थे कि प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का अंश है।

जगद्गुरू शंकराचार्य, कांची कामकोटि पीठ, कांचीपुरम स्वामी विजयेन्द्र सरस्वती ने अपने संदेश में कहा कि वेदो का सार है विश्व कल्याण। आज इस विचार को सारा विश्व मान रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री के समाज के कल्याणकारी कार्यों जैसे मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की सराहना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान ने महाकाल धार्मिक क्षेत्र का भी विस्तार किया है। अद्वैत के सिद्धान्तों से देश का विकास होगा और भारत जल्द विश्व गुरू बन सकेगा।

कार्यक्रम के अंत में संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने आध्यात्म के इस कार्यक्रम में संतों के पहुँचने और नागरिकों के शामिल होने पर सभी का आभार माना।

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