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मैत्री ब्रिज : अनंत संभावनाओं का नया अध्याय, त्रिपुरा समेत पूरे पूर्वोत्तर को होगा फायदा

अगरतला, ‘मैत्री ब्रिज’ फेनी नदी पर बना यह पुल त्रिपुरा में भारत और बांग्लादेश को जोड़ता है। इस पुल के जरिये त्रिपुरा में एक नया अध्याय लिखा गया है। साथ ही अनंत संभावनाएं भी पैदा हुई हैं। यह सब त्रिपुरा की भौगोलिक स्थिति के कारण संभव हुआ है। 1.9 किमी लंबा पुल आगे चलकर पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार बनने जा रहा है। माना जा रहा है कि मैत्री ब्रिज सामानों के आयात का सबसे किफायती साधन बनेगा। बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह के उपयोग से बहुत कम समय में और कम परिवहन लागत पर सामानों का आयात करना संभव होगा। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि त्रिपुरा और पूर्वोत्तर को इससे बेहद फायदा होगा।

गत 09 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मैत्री ब्रिज का उद्घाटन किया था। हालांकि, अभी सामानों का आयात-निर्यात शुरू नहीं हुआ है, क्योंकि इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट बनाने के लिए नवम्बर, 2022 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हालांकि, त्रिपुरा यात्री परिवहन के लिए ढांचागत रूप से तैयार है। त्रिपुरा के उद्योग और वाणिज्य विभाग के निदेशक तरित कांति चकमा ने दावा किया कि जैसे ही बांग्लादेश की ओर से हरी झंडी मिलती है, यात्रियों का आना-जाना मैत्री ब्रिज से शुरू होगा।
अतीत की ओर देखें तो यह स्पष्ट है कि भौगोलिक स्थिति ने त्रिपुरा को मुख्य भूमि से लगभग अलग-थलग कर दिया था। एकमात्र राष्ट्रीय सड़क जो बरसात के मौसम में यातायात के लिए दुरूह हो जाती थी और त्रिपुरा के लोगों कष्ट अंतहीन हो गया था। हवाई यात्रा अन्य राज्यों में जाने का एकमात्र साधन था। समय के साथ त्रिपुरा की स्थिति बदलने लगी। उग्रवादी समस्या पर काबू पाने के बाद त्रिपुरा पूरी तरह सामान्य हो गया। हालांकि, यातायात में सुधार ज्यादा नहीं हो पाया।

2008 में जब त्रिपुरा में पहली मीटर गेज रेलवे लाइन पर ट्रेन ने जब अपना हॉर्न बजाया तो लोगों ने नए सपने देखने शुरू कर दिये। ट्रेन का इंजन जब अगरतला स्टेशन पहुंचा तो हजारों की संख्या में लोगों ने आजादी के स्पर्श मिलने की भावना को व्यक्त करना चाहा। तभी से त्रिपुरा ने भी यातायात में सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया। जैसे-जैसे समय बीतता गया, त्रिपुरा में यातायात के नए अध्याय लिखे जाने लगे। 2014 में केंद्र में सरकार बदलने बाद त्रिपुरा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2016 में त्रिपुरा देश के विभिन्न राज्यों के साथ ब्रॉडगेज लाइन से जुड़ गया, जिसके चलते यातायात की गति काफी तेज हो गयी।

राष्ट्रीय राजमार्ग का विस्तार किया गया। वैकल्पिक राष्ट्रीय सड़क के उद्घाटन के साथ यातायात के और साधन मिलते गये। नतीजतन, त्रिपुरा अपनी भौगोलिक स्थिति के अभिशाप से धीरे-धीरे मुक्ति के कगार पर पहुंच गया। इस बीच, भारत सरकार बांग्लादेश के नदी बंदरगाहों का उपयोग करके दक्षिण पूर्व एशिया में एक विशाल बाजार पर कब्जा करने की योजना बना रही थी। इसके साथ त्रिपुरा ने यातायात में एक नए युग का द्वार खोल दिया। अगरतला-अखौरा रेल लिंक और मैत्री ब्रिज के साथ त्रिपुरा को मुख्य भूमि से जोड़ने की नींव रखी गई। अगरतला-अखौरा रेल लिंक को स्थापित करने के लिए अभी कुछ काम किया जाना शेष है लेकिन 2015 में निर्माण कार्य शुरू होने के बाद महज साढ़े तीन साल में मैत्री ब्रिज बन कर तैयार हो गया।
त्रिपुरा सरकार ने पुल के मद्देनजर सबरम में एक विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने की योजना बनाई है। केंद्र सरकार के आर्थिक सहयोग से सबरम में 16 हेक्टेयर भूमि पर विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित किया जाएगा। सबरूम के विधायक शंकर रॉय कहते हैं, “मुझे लगता है कि मैत्री ब्रिज त्रिपुरा के विकास में उत्कृष्ट योगदान देगा।” क्योंकि, उस ब्रिज के इर्द-गिर्द काफी संभावनाएं पैदा हो चुकी हैं।

उनके मुताबिक इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के निर्माण के लिए 50 एकड़ जमीन मुहैया कराई गई है। इसके अलावा बस टर्मिनल के लिए 10 एकड़ और ट्रक टर्मिनल के लिए 14 एकड़ जमीन पहले ही आवंटित की जा चुकी है। एक एकड़ भूमि पर मल्टी चैंबर कोल्ड स्टोरेज का निर्माण किया जाएगा। 50 एकड़ भूमि पर सूअर फार्म और मीट आउटलेट स्थापित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि रेलवे में माल की लोडिंग और अनलोडिंग के लिए भी जमीन आवंटित की गई है। पर्यटन के लिए 22 एकड़ जमीन मुहैया करायी गयी है।
उन्होंने दावा किया कि दिसम्बर, 2022 तक मैत्री ब्रिज के माध्यम से माल परिवहन का लक्ष्य रखा गया है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि केंद्र सरकार ने नवम्बर 2022 तक इंटिग्रेटेड चेकपोस्ट बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि चटगांव बंदरगाह के माध्यम से बहुत कम समय में त्रिपुरा और पूरे पूर्वोत्तर में सामानों के परिवहन के लिए चार लेन की राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया जाएगा।

त्रिपुरा मर्चेंट एसोसिएशन के सचिव सुजीत रॉय का कहना है कि व्यापारी मैत्री ब्रिज से माल के आयात का बेसब्री से इंतजार कर रहे है, क्योंकि चटगांव बंदरगाह का उपयोग करने से माल परिवहन में कम से कम 20 प्रतिशत लागत की बचत होगी। इस तरह उत्पाद की कीमत काफी कम हो जाएगी और खरीदारों को भी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि मैत्री ब्रिज के शुरू होने से दक्षिण एशिया से सामानों का आयात काफी आसान हो जाएगा और व्यापारियों को आर्थिक लाभ होगा। उन्होंने दावा किया कि न केवल त्रिपुरा बल्कि पूरा पूर्वोत्तर इस अवसर का लाभ उठा सकेगा। इससे दूसरे राज्यों के व्यापारियों को भी आर्थिक लाभ होगा।
उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश से माल का आयात और निर्यात धीरे-धीरे बढ़ रहा है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में 390.68 करोड़ रुपये मूल्य के सामानों का आयात और निर्यात किया गया। इसकी तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 में यह बढ़कर 733.26 करोड़ रुपये हो गया है। इस संबंध में त्रिपुरा के उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के निदेशक तरित कांति चकमा बताते हैं कि चालू वित्त वर्ष में 12 एकड़ जमीन पर अगरतला इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट पर 700 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ है। उसकी तुलना में सबरूम में 50 एकड़ जमीन पर बने इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट व्यापार की राशि काफी अधिक होगी, इसका अंदाजा लगाना आसान है।

तरित कांति चकमा कहते हैं कि मैत्री पुल के माध्यम से यात्रियों को ले जाने के लिए त्रिपुरा तैयार है। उनके मुताबिक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर लिया गया है। हालांकि, बांग्लादेश के हिस्से में अभी भी कुछ बुनियादी ढांचे का काम किया जाना है। इसलिए बांग्लादेश से हरी झंडी मिलते ही यात्री परिवहन मैत्री ब्रिज से शुरू हो जाएगा।

साभार-हिस

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