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एमएसएमई को सशक्त बनाने वाले सीआरटीडीएच पर लखनऊ में एक दिवसीय दूसरा चिंतन शिविर संपन्न

  • वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि सूचना साझाकरण, सहयोगात्मक अनुसंधान और तकनीकी नवाचार को मजबूती देगा यह शिविर

नई दिल्ली, सूक्ष्म , लघु और मध्यम उद्यम ( एमएसएमई) को सशक्त बनाने वाले कॉमन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट हब ( सीआरटीडीएच ) पर लखनऊ में एक दिवसीय दूसरे चिंतन शिविर का आयोजन किया गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के सीआरटीडीएच द्वारा आयोजित इस शिविर का लक्ष्य शिक्षाविदों और उद्योग के बीच संबंधों को मजबूत करना, औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना है।
इस मौके पर डॉ. एन कलैसेल्वी, सचिव, डीएसआईआर और महानिदेशक, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), डॉ. भास्कर नारायण, निदेशक, भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईआईटीआर), लखनऊ और डॉ. सुजाता चकलानोबिस, प्रमुख-सीआरटीडीएच, डीएसआईआर ने चिंतन शिविर के उद्घाटन सत्र के दौरान अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि यह शिविर सूचना साझाकरण, सहयोगात्मक अनुसंधान और तकनीकी नवाचार को मजबूती देगा। डॉ. एन कलैसेल्वी ने उद्घाटन समारोह में अपनी टिप्पणी में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने के दृष्टिकोण को पूरा करने के लिए एमएसएमई, स्टार्टअप और इनोवेटर्स को सक्षम करने में डीएसआईआर और सीआरटीडीएच के महत्व पर जोर दिया।

डॉ. भास्कर नारायण ने विभिन्न हित धारकों को उनकी अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को पूरा करने में सहायता करने के लिए डीएसआईआर-सीआरटीडीएच-आईआईटीआर, लखनऊ के प्रयासों की सराहना की। डॉ. सुजाता चकलानोबिस ने नवाचार की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के एक प्रमुख घटक के रूप में एमएसएमई, भारत को वैश्विक स्तर पर अनुसंधान एवं विकास और विनिर्माण के केंद्र के रूप में बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। इस अवसर पर डॉ. सुजाता चकलानोबिस और डॉ. भास्कर नारायण ने प्रौद्योगिकी विकास और नवाचार केंद्र में डीएसआईआर-सीआरटीडीएच-आईआईटीआर सुविधा का उद्घाटन किया और डीएसआईआर-आईआईटीआर-सीआरटीडीएच वेबसाइट का अद्यतन संस्करण लॉन्च किया। डीएसआईआर-सीआरटीडीएच-आईआईटीआर और एमएसएमई के साथ दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।
सीएसआईआर-आईआईटीआर, लखनऊ के निदेशक ने डीएसआईआर-सीआरटीडीएच-आईआईटीआर में भविष्य के प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों का अवलोकन प्रदान किया और विषयगत सत्रों के दौरान शिक्षा और एमएसएमई के बीच तालमेल के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. पार्थसारथी और डॉ. बी श्रीकांत ने डीएसआईआर-आईआईटीआर-सीआरटीडीएच के तहत की गई गतिविधियों और एमएसएमई के लिए अवसरों का पता लगाने के प्रयासों पर एक जानकारी प्रदान की। एमएसएमई, स्टार्ट-अप, इनोवेटर्स के प्रतिभागियों को उनके अनुसंधान एवं विकास लक्ष्यों को समझने में आने वाली चुनौतियों पर विचार-मंथन करने के लिए पांच समूहों में विभाजित किया गया था, जिसके बाद उस पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी गई। विषयगत सत्र ‘संवाद’ तक जारी रहा जिसका समन्वयन डॉ.विपिन सी.शुक्ला, वैज्ञानिक-एफ, डीएसआईआर द्वारा किया गया। ‘संवाद’ के दौरान, एमएसएमई, स्टार्टअप और इनोवेटर्स के सामने आने वाली प्रमुख कठिनाइयों पर चर्चा की गई और पीआई, डीएसआईआर-सीआरटीडीएच-आईआईटीआर, लखनऊ द्वारा संभावित समाधानों पर चर्चा की गई।

इस कार्यक्रम में डीएसआईआर-सीआरटीडीएच-आईआईटीआर की पूरी टीम के साथ डीएसआईआर के वरिष्ठ अधिकारी डॉ रणजीत बैरवा और डॉ कैलाश पेटकर ने भाग लिया। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई), स्टार्ट-अप, यूपी राज्य जिला संसाधन व्यक्तियों, व्यक्तिगत नव-प्रवर्तकों और चैंबर ऑफ कॉमर्स, उद्योग संघों, एसोचैम के प्रतिनिधियों ने भी लाभ प्राप्त करने के लिए इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में बड़ी संख्या में हिस्सा लिया।
साभार – हिस

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