अध्यात्म का पर्याय शाकाहार है,
साधक के जीवन का मूल आधार है!!
प्रेम की राह पर निरंतर बढ़ने का प्रयास है,
पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों के प्रति मानवता का उपहार है!!
पशु कदाचित मनुष्य का नैसर्गिक आहार नहीं,
भोजन के नाम पर नीरीह जीवों की हत्या स्वीकार नहीं,
करो प्रेम दया और करुणा,
अहिंसा परमो धर्मा:!!
सब जीवों को भी है जीने का बराबर अधिकार,
पशु-पक्षी,जलचरों को दे दो अभय दान,
हर प्राणी में है उसी का नूर,
देख रहा वो तेरे हिंसक कर्म, मत समझ दूर,
तेरा किया तुझे भोगना होगा,
रक्त के बदले रक्त चुकाना होगा!!
सत्य स्वरूप और अर्थ यही आत्मज्ञान का,
सकारात्मक सोच व सतकर्म महान प्रदान का!!
परमात्मा की यदि हो सच्ची संतान,
क्रूरता से धरा को मुक्ति दे,
निर्भयता व शांति का,
दे दो सबको वरदान,
हे मानव,दे दो सबको वरदान!!
✍️कविता गुप्ता, भुवनेश्वर, ओडिशा