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लघुकथा – मातृ दिवस पर मां की यात्रा

जागृति महिला मंच द्वारा आयोजित मातृ दिवस समारोह में अध्यक्ष सुनीता जी ने आगन्तुकों का स्वागत करते हुए माँ की महिमा का गुणगान किया. इस दौरान अपने मोबाइल में बार-बार बजने वाली घंटी को काटती रहीं. वक्तव्य समाप्त होने के बाद उन्होंने झुँझलाते हुए फोन उठाया. देवरानी स्निग्धा ने घबराये शब्दों में कहा “भाभी, जल्दी से घर आ जाइये. माँजी की तबीयत बिगड़ती जा रही है” “मैं क्या करूँ? डॉक्टर को बुला लो. तुम्हारे ही पास रहती हैं, उनकी सेवाभावी बहू जो ठहरीं” रमा देवी ने तिक्त स्वर में कहा. स्निग्धा ने आने के लिए पुन: अनुनय किया. “तुम मुझे डिस्टर्ब न करो. अभी मातृ दिवस का बड़ा कार्यक्रम चल रहा है. अतिथिगण के साथ मंच सँभाल रही हूँ” कठोर स्वर में कहते हुए उन्होंने लाईन काट दी.

अतिथिवृन्द एवं प्रबुद्ध जनों का वक्तव्य पूरा होने के बाद अध्यक्ष ने मातृत्व गौरव सम्मान हेतु लीला देवी रस्तोगी के नाम की घोषणा की. वे शहर के नामी-गिरामी रईस अजय रस्तोगी की माताजी थीं और संस्था को उन्होंने मोटा चंदा भी दिया था. रस्तोगी साहब से घनिष्ठता होने पर कहीं ऊँची पोस्ट मिलने की भी गुंजाइश थी. सचिव आराधना जी ने सम्मान पत्र का वाचन किया. तत्पश्चात् मोमेंटो व पुष्प-गुच्छ भेँट कर माल्यार्पण किया गया. सुनीता जी ने आदर के साथ लीला रस्तोगी के चरण स्पर्श किये. उनका आशीर्वाद पाकर मानों वे कृतकृत्य हो गयीं. अंत में विमला जी ने आभार ज्ञापन किया. अल्पाहार करते हुए कीर्ति चिंहुकी “आज मीडिया में अच्छी कवरेज हुई है.” “हमारी सुनीता दीदी का हर कार्य परफेक्ट होता है.” अमृता ने भी सुर मिलाया. सभी कर्मठ नेत्रियाँ सफल कार्यक्रम की चर्चा किये जा रही थीं.

आकाश में एक नया तारा उगा. स्निग्धा माँजी के निर्जीव शरीर पर पछाड़ें मारकर रोयें जा रही थीं. पति एवं रिश्तेदार उसे सँभालने का जतन कर रहे थे. हाँ, एक माँ ने अन्य लोक की यात्रा के लिए मातृ दिवस चुन लिया.

  पुष्पा सिंघी, कटक

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