Home / Entertainment / व्यवस्था पर चुटीली चोट करता नाटक `मास्टर गनेसी राम`

व्यवस्था पर चुटीली चोट करता नाटक `मास्टर गनेसी राम`

नाटक के एक दृश्य में मास्टर गनेसी राम (महेंद्र प्रसाद सिंह), ज्ञानप्रकाश (अखिलेश कुमार पांडेय), बुद्धिनाथ (लव कांत सिंह लव) एवं लछुमन (रुस्तम कुमार)

नई दिल्ली – कथाकार स्वर्गीय नरेन्द्र रस्तोगी `मशरक` के नाटक `मास्टर गनेसी राम` का मंचन नई दिल्ली के `मुक्तधारा सभागार` में 11 नवंबर की शाम को किया गया। लगभग 35 साल पहले लिखे गए इस नाटक को विभिन्न थिएटर समूहों द्वारा हिंदी , बांग्ला, अंग्रेजी (उसी नाम) और भोजपुरी थिएटर मंचों पर लगातार प्रस्तुत किया जा रहा है।

मूल रूप में कहानी लिखी गई थी `सलाम मास्टर गनेसी राम`। आकाशवाणी कोलकाता के लिए लेखक ने ही हिंदी में नाट्यांतर किया। नाट्यांतर करने में जो संवाद लिखे गए, उनके पंच जबरदस्त हैं और इस नाटक की खासियत भी।
नाटक का कथानक एक सरकारी मिडिल स्कूल के माहौल पर आधारित है। उस स्कूल के हेडमास्टर और उनके सहयोगी शिक्षक स्कूल के फंड का बंटवारा करते रहते हैं। बच्चों को पढ़ाने से मतलब नहीं। स्कूल के समय में अपनी खेती-बाड़ी और शिक्षक राजनीति पर ध्यान देते हैं। स्कूल का चपरासी हेडमास्टर का निजी नौकर जैसा हो गया है। हेडमास्टर और उनके सहयोगियों ने ऊपर के अधिकारियों को अपने साथ कर रखा है। ऐसे में एक दिन मेरिट के आधार पर एक नई शिक्षिका की नियुक्ति उसी स्कूल में होती है। वह शिक्षिका जब पढ़ाई पर जोर देती है और बच्चों के पोषण की बात उठाती है तो उसे हटाने की साजिश रची जाती है। लेकिन नारी शक्ति की सच्चाई सामने आती है। गड़बड़ियों का भंडाफोड़ होता है।
नाटक के संवाद चुटीले और धारदार हैं और अंतस तक पैठ करते हैं। जैसे, `गनेसी राम तो उड़ती चिड़िया को हरदी लगा देते हैं, यह तो अभी नई चिरैया है।’ …`वन का गीदड़ जाएगा किधर’ … `हम भी दिखा देंगे कि कितना धान में कितना चाउर होता है’… `इनके कहने से हम सबकुछ छोड़छाड़ कर सन्यासी हो जाएं। मिस लाली तुमने हमको चिन्हा नहीं है, अभी लगाते हैं दिमाग ठिकाने’। हर चरित्र के इस तरह के पंच नाटक का मूल आधार रहे हैं।

नाटक के एक दृश्य में मास्टर गनेसी राम (महेंद्र प्रसाद सिंह) और मिस लाली (किरण अरोड़ा)

दिल्ली में रंगश्री ने इसका मंचन किया। मंच पर नाटक का प्राण साकार दिखा। अभिनेताओं ने अभिनय की एक-एक बारीकी पर ध्यान दिया। मसलन, मास्टर गनेसी राम के द्वारा छाता को चपरासी के गर्दन में डालकर आगे खींचना, हेडमास्टर के डपटने पर उनके सहयोगी शिक्षक बुद्धिनाथ के द्वारा पान गटक जाना, डिप्टी साहेब को घूस के तौर पर घी और सेजाव दही पहुंचाना, चपरासी द्वारा हेडमास्टर के घर का काम करते हुए बड़बड़ाना और उनकी पत्नी के बुलावे पर हाथ जोड़ते पहुंचना जैसे दृश्य प्रभावी बन पड़े।
निर्देशक महेंद्र प्रसाद सिंह (मास्टर गनेसी राम की भूमिका), सहायक निर्देशक लव कांत सिंह लव (बुद्धिनाथ), रुस्तम कुमार (लछुमन), अखिलेश कुमार पांडेय (ज्ञानप्रकाश), किरण अरोड़ा (मिस लाली), डिप्टी साहेब (आरजी श्याम), मस्टराइन (कृति) बिल्कुल उसी अंदाज में दिखे, जिस तरह की कल्पना नाटककार की थी।

कथाकार स्व. नरेंद्र रस्तोगी `मशरक

मंच व्यवस्था- सुचित्रा सिंह, पार्श्व ध्वनि – गौरव सूद एवं अंजू सिंह, पार्श्व संगीत- रश्मि गोदारा, पुष्पा पाठक, मंच सज्जा- तारक सरकार, प्रकाश – सौमित्र वर्मा, मेकअप- रविकांत और नम्रता सिंह, समन्वयन- डॉ. रश्मि चौधरी और फोटोग्राफी- रविकांत यादव, सभी के काम सराहनीय रहे।

अतिथियों में गायक और अभिनेता मनोज तिवारी, मुजफ्फरपुर के एलएस कॉलेज में प्रोफेसर जयकांत सिंह जय, भोजपुरी के विद्वान डॉ. ब्रजभूषण सिंह समेत विभिन्न हस्तियां उद्घाटन समारोह में शामिल हुईं।

Share this news

About desk

Check Also

कश्मीर की वादियों में शूटिंग करेंगी आलिया और शरवरी

मुंबई ,अभिनेत्री शरवरी वाघ ने बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया है। ‘मुंज्या’ में दमदार …

One comment

  1. डॉ. ब्रजभूषण मिश्र

    नाटक लेखन जितना अच्छा है ,नाटकीयता भी बहुत है, नाटक के संवाद उसे और प्रभावोत्पादक बनाता है । अनुभवी निर्देशक और मँजे हुए कलाकार उसे पूर्ण रूपेण उतारते हैं ।पात्र जी उठते हैं ।सबको बधाई ।लेखक की आत्मा जहाँ भी हो तृप्त होगी ।तर्पण भावपूर्ण रहा ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *