नई दिल्ली । भारत ने चीन को एक और बड़ा झटका दिया है। 59 चाइनीज मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाने के बाद सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल ने 4जी सेवाओं के लिए जारी निविदा को अपग्रेडेशन के लिए रद्द कर दिया है। अब नई निविदा फिर से जारी की जाएगी, जिसमें ‘मेक इन इंडिया’ को प्रोत्साहन देने के प्रावधान होंगे।
दरअसल केंद्र सरकार ने चीनी कंपनियों को झटका देने के लिए भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) को निर्देश दिया था कि वह अपग्रेडेशन के लिए चीनी उपकरण का इस्तेमाल न करें। अपग्रेडेशन के लिए रद्द की गई निविदा की लागत 7,000-8,000 करोड़ रुपये है। अब नई निविदा में मेक इन इंडिया और भारतीय तकनीक को प्रोत्साहन देने के लिए नए प्रावधान होंगे। बीएसएनएल और एमटीएनएल पर सबसे अधिक चीनी प्रोडक्ट खरीदने का आरोप लगा था।
गौरतलब है कि दूरसंचार मंत्रालय की ओर से जारी निर्देश में कहा गया था कि 4जी फैसिलिटी के अपग्रेडेशन में किसी भी चाइनीज कंपनियों के उपकरणों का इस्तेमाल न किया जाए। इसके साथ ही पूरी निविदा प्रक्रिया को नए सिरे से जारी किया जाए। नई प्रक्रिया से चीनी कंपनियों के अयोग्य होने की संभावना बढ़ गई है। दूरसंचार विभाग भारत में निर्मित उपकरणों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए निजी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ परामर्श कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि बीएसएनएल और एमटीएनएल ने इससे पहले 4जी नेटवर्क के लिए चीनी कलपुर्जे का इस्तेमाल नहीं करने का निर्णय लिया था, जबकि चीन को झटका देने के लिए रेलवे ने 471 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट रद्द कर दिया था। साथ ही महा मुंबई मेट्रो ऑपरेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरडीए) ने मोनोरेल से जुड़ी चीन की 2 कंपनियों का टेंडर रद्द कर दिया। इसी तरह मेरठ रैपिड रेल का टेंडर भी चीनी कंपनी के पास था, जिसे रद्द कर दिया गया था। इतना ही नहीं महाराष्ट्र सरकार ने तलेगांव में ग्रेट वॉल का टेंडर रद्द कर दिया, जबकि हरियाणा सरकार भी चीनी कंपनियों का 780 करोड़ रुपये का ऑर्डर रद्द कर चुकी है।
साभार-हिस