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तीन कुख्यात इनामी माओवादियों ने हथियार डाले, कुछ और से मुख्यधारा से जुड़ने की संभावना

मालकानगिरि. तीन माओवादियों ने आज पुलिस के समक्ष आत्मसमपर्ण कर दिया है. ये तीनों माओवादी भाकपा (माओवादी) संगठन की आंध्र-ओडिशा बॉर्डर स्पेशल जोनल कमेटी के सक्रिय सदस्य हैं और इन्होंने मालकानगिरि के एसपी ऋषिकेश डी खिलारी और बीएसएफ के सामने आत्मसमर्पण किया है. इन तीनों पर राज्य सरकार ने इनाम घोषित कर रखा था.इन तीनों की पहचान चिनातेरेम गांव के मैन्य उर्फ शंभु डोडी और पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के गांगलुर गांव के रामा अपका और ओडिशा के मालकानगिरि जिले के बैजिंग गांव के रघु खारा के रूप में बतायी गयी है.
बताया गया है कि मैन्यू वर्ष 2009 में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) पार्टी में जगुरकोंडा क्षेत्रीय कमेटी के सदस्य के रूप में शामिल हुआ था. 2010 में वह प्लाटून सदस्य के रूप में नारायण पाटना क्षेत्रीय समिति में शामिल हुआ. वर्तमान में वह आंध्र-ओडिशा बॉर्डर स्पेशल जोनल कमेटी की सैन्य प्लाटून की क्षेत्रीय कमेटी के सदस्य के रूप में काम कर रहा था. ओडिशा सरकार ने उस पर चार लाख रुपये का नकद इनाम घोषित किया था.इधर, रामा जगुरकुंडा एरिया कमेटी के स्वदेश समिति सदस्य के रूप में वर्ष 2009 में प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) पार्टी में शामिल हुआ था. 2010 में वह प्लाटून सदस्य के रूप में नारायण पाटना क्षेत्रीय समिति में शामिल हुआ, वर्तमान में, वह एओबीएसजेडसी के मिलिट्री प्लाटून के एरिया कमेटी मेंबर के रूप में काम कर रहा था. ओडिशा सरकार ने इस पर भी चार लाख रुपये का नकद इनाम घोषित कर रखा था.रघु खरा सितंबर 2017 में गुम्मा एरिया कमेटी में प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) पार्टी में शामिल हुआ था. वर्तमान में वह एओबीएसजेडसी के तहत गुम्मा एरिया कमेटी के पार्टी सदस्य के रूप में काम कर रहा था और ओडिशा सरकार ने इस पर एक लाख रुपये का नकद इनाम घोषित कर रखा था.पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नियम के अनुसार इन सभी का समुचित पुनर्वास किया जाएगा और ओडिशा सरकार के आत्मसमर्पण और पुनर्वास योजना के अनुसार उन्हें वित्तीय सहायता मिलेगी. उन्हें घर बनाने, पढ़ाई करने और अपनी मर्जी के व्यापार या व्यवसाय करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने को लेकर भी वित्तीय सहायता भी मिलेगी.उन्होंने बताया कि ओडिशा सरकार द्वारा की जा रही विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों को देखने के बाद माओवादी संगठन छोड़ दिया और नक्सलवाद के हिंसक रास्ते की निरर्थकता का अहसास हुआ.वे समझ गए हैं कि माओवादी स्वयं अपनी विध्वंसक गतिविधियों के माध्यम से क्षेत्र के विकास के मार्ग में खड़े हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि वे निर्दोष आदिवासियों को आपस में लड़ने के लिए माओवादी बना रहे हैं और एक बार उनकी उपयोगिता खत्म हो जाने के बाद उन्हें पुलिस का मुखबिर बताया जा रहा है और निर्दयता से मारा जा रहा है.उन्होंने खुलासा किया है कि शेष कुछ स्थानीय सक्रिय माओवादी कैडर भी छत्तीसगढ़ और आंध्र कैडर के अत्याचारपूर्ण व्यवहार के कारण आत्मसमर्पण करने और समाज की मुख्यधारा में शामिल होने के इच्छुक हैं, लेकिन उन्हें एओबीएसजेडसी के वरिष्ठ नक्सली नेताओं द्वारा आत्मसमर्पण करने की अनुमति नहीं दी जा रही है. वे उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं.

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