Home / Odisha / कुआखाई हादसा – अमरजीत को बचाने के लिए सुरक्षाकर्मियों के पैर पकड़ने पड़े
अमरजीत साह

कुआखाई हादसा – अमरजीत को बचाने के लिए सुरक्षाकर्मियों के पैर पकड़ने पड़े

  • लोगों से गुहार लगाती रही अमरजीत की मां

  • भाई को बचाते समय डूबने लगी थी बहन, नहीं बचा पाने का है मलाल

अमरजीत की मां और बहन

भुवनेश्वर- छठ के दिन कुआखाई घाट पर हुए हादसे में एक के बाद एक करके लापरवाही की कड़ियां खुलने लगी हैं। कल अमरजीत की मां ने जो हादसे का बयां की वह रोंगटे खड़े कर देने वाले थे। एक बेटे की जिंदगी बचाने के लिए मां को जो कुछ भी करने चाहिए थे, वह मां ने सभी किये। यहां तक सुरक्षाबलों का पैर भी पकड़ने पड़े कि नदी में उतर कर अमरजीत को बचाने के लिए प्रयास करें। मां के पैर पकड़ने के बाद वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने बच्चे को तलाश करने के लिए नदी में उतरे। मां का पैर पकड़ना सुरक्षाकर्मियों के दायित्वबोध पर प्रश्न चिह्न लगा रहा है। सुरक्षाकर्मियों को जहां स्वतः नदी में बच्चे को बचाने के लिए उतरना चाहिए था, वह आखिर किस बात के लिए इंतजार करते रहे कि मां को पैरों पर गिरकर दुहाई लगानी पड़ी। इतना ही नहीं, अमरजीत के पिता ने तो वहां बनाये गये मंच तक को सूचित किया, लेकिन वहां मामले को दबाने का प्रयास किया गया।

अमरजीत की मां ने जो हादसे की दास्तां बयां कि वह इस प्रकार हैं :-

सुबह-सुबह सभी व्रतियों की तरह मैं भी भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के लिए नदी में उतरी। मैं भगवान सूर्य को स्मरण करते हुए हाथ जोड़ा, लेकिन अचनाक अंदर से घबड़ाहट होने लगी। यह घबड़ाहट नदी में डूबे बेटे की तड़प की वजह से उत्पन्न हुई। फिर मैंने आस-पास चारों तरफ देखा तो अमरजीत का कहीं पता नहीं चला। इस दौरान कुछ लोगों ने कहा कि एक बच्चा उधर डूबा है। इस दौरान किसी ने चिल्लाने की कोशिश की होती तो अमरजीत आज जिंदा होता। इसके बाद मैंने वहां मौजूद लोगों से गुहार लगाई कि वह बच्चे की तलाश में जुटें। इसी दौरान घाट पर एक सुरक्षाकर्मी भी दिखा तो मैं उसके पास गई। उसको बताने पर भी वह सक्रिय नहीं हुआ तो मुझे पैर पकड़ने पड़े। काफी रोने के बाद वह नदी में उतरा। काफी प्रयास के बाद बेटे का शरीर वहां से मिला। इसके बाद उसे हाईटेक अस्पताल ले जाया गया, जहां से मृत घोषित करते हुए उसे कैपिटल अस्पताल भेज दिया गया। इस दौरान यदि नदी के तट पर घेरा होता और उसे डूबते देखने वाले लोग यदि शोर मचाए होते तो अमरजीत आज जिंदा होता।

बहन ने कुछ इस तरह बताई घटना ;-

डूबसे समय अमरजीत ने मुझे बचाने के लिए चिल्लाया, तो मैं उसे बचाने गई, लेकिन मैं भी डूबने लगी। मुझे एक अन्य लड़की ने बचाया और मैं अपने भाई को नहीं बचा सकी। जब तक मैंने शोर मचाया, तबतक अमरजीत का कहीं पता नहीं था। वह गहरे पानी में डूब गया था। उसे नहीं बचा पाने का मुझे आज भी मलाल है।

यादगार रहेगी वह आखिरी सेल्फी ;-

अमरजीत साह

हादसे से पहले अमरजीत ने सभी परिवार के साथ एक-दो सेल्फियां लीं। अमरजीत ने काफी मशक्कत के बाद परिवार के सभी सदस्यों को एकजुट किया और कहा कि आज हम सब एकसाथ सेल्फी लेंगे। किसी को यह पता न हीं था कि अचानक अमरजीत को यह जिद कैसे आई। वह तब तक जिद पर अड़ा रहा, जब तक सबने एकजुट होकर सेल्फी नहीं ली। इसके कुछ ही देर बाद अमरजीत वहां से नदी में क्या गया, जो इस जहां से ही दूर हो गया।

आयोजन समिति कटघरे में  ;-

अमरजीत की मां रीता देवी ने अश्रुपूर्ण नेत्रों से कहा कि मैंने अपना कोख खोया है क्या समाज या प्रशासन मेरे अमरजीत को वापस दे सकता है? भुनेश्वर छठ पूजा  समिति की तरफ से बांस का घेराव एवं नाव की व्यवस्था नहीं की गई थी। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक भुनेश्वर छठ पूजा समिति का कोई भी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता इस दुर्घटना के बाद मेरे से मिलने भी नहीं आया है।

 

 

 

Share this news

About desk

Check Also

बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र बना

भुवनेश्वर में सीजन में पहली बार पारा 16 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिरा 27 से …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *