यूँ लगता है,
भाषायी संक्रमण से,
संक्रमित हैं हम,
कैसा सूर्यग्रहण हुआ,
फैल रहा है तम !!
आओ ना !
ऐसा मास्क लगाएँ,
अपने मुख पर,
विदेशी वायरस का,
ना हो कोई असर !
कितने आकर्षण बिखरे,
गाँव-गली और नगर,
करते रहना है बार-बार,
सचेतनता सेनीटाईजर !!
दूसरों का करना है सम्मान,
रख सोशल डिस्टेन्सिंग,
अस्तित्व बचा रहेगा तभी,
बन जायेंगे ‘सुपर किंग’ !!
आओ ना !
संकल्पों का क्वाथ पियें,
राजभाषा बने जन भाषा,
चलें संग-संग लक्ष्य पाने,
यही है पुष्प-अभिलाषा !!
पुष्पा सिंघी , कटक