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नफीसा ने रची समाजसेवा की नई इबारत

  • लॉकडाउन और शटडाउन के दौरान की जरूरतमंदों की सेवा

 शैलेश कुमार वर्मा, कटक

बहुत ही कम समय में अपने हुनर और जज्बे की बदौलत नफीसा अख्तर ने समाजसेवा की एक नई इबारत रच डाली. आज वह अन्य महिलाओं के लिए एक मिशाल बन गयी है. उनमें लगन और जज्बा कूट-कूटकर भरा है. तपती गर्मी में न भूख की चिंता और न प्यास की. माह-ए-रमजान में रोजा रखकर नफीसा ने जरूरतमंदों के लिए जो सेवा की, उससे उनकी भूमिका किसी फरीस्ते से कम नहीं दिखी. नफीसा अख्तर आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं.

मात्र 30 साल की उम्र में ही उन्होंने एक प्राइवेट कंपनी में वर्क्स मैनेजर के पद पर नौकरी करते हुए लॉकडाउन और शटडाउन के दौरान जो सेवा कार्य की है, उसकी लोग सराहना कर रहे हैं. नफीसा का मतलब ही होता है कीमती चीज, रत्न, राजकुमारी. जिस तरह उनका नाम है, आज उस नाम से बढ़कर समाज में सेवा कार्य करके अपना एक अलग नाम कमायी है. लॉकडाउन और शटडाउन के दौरान जो परिस्थिति कटक में आई, उसको देखते हुए नफीसा ने समाजसेवा करने की ठान ली और मजदूरों, असहाय लोगों की सहायता की ओर हाथ बढ़ाया. बिना किसी संस्था और बैनर के खुद अपने बल पर सेवा कार्य करती हुईं दिखीं.

उनके सेवा कार्य सिर्फ कटक ही नहीं, बौद्ध जिला में भी देखने को मिला. बौद्ध जिलांतर्गत पुरना कटक में जाकर दो विधवा महिलाओं, जिसमें एक विकलांग है. यह तीन साल से परेशान थीं. इसका घर तो था, ऊपर छाया या छत नहीं. वहां जाकर उन महिलाओं के घर को बनवाया. उस कार्य में बौद्ध जिला अंतर्गत पुरना कटक थाना प्रभारी ज्योत्सना कावड़ी का सराहनीय सहयोग रहा और उनके सहयोग के बल पर उन्होंने वहां पर घर के लिए बास, पुआल, प्लास्टिक और श्रमिक का इंतजाम किया और रहने के लिए घर को ठीक कराया. इतना ही नहीं, उन महिलाओं को एक-एक महीने का राशन भी दिया.

तपती गर्मी में नफीसा अख्तर ने रमजान के महीने में उपवास रखकर बिना कुछ खाए-पीए लॉकडाउन के दौरान सेवा कार्य करती रहीं. रजनाम का महीना पाक महीना होता है और इस दौरान जो इन्होंने सेवा कार्य की वह अतुलनीय है. रोजा रखकर एक महिला के लिए कार्य करना बहुत बड़ी बात है. इस दौरान इनकी सेवा ने राज्य में मानवता की एक मिशाल कायम की. नफीसा अख्तर ने कटक के उड़िया बाजार, कदम रसूल, दीवान बाजार, दरगाह बाजार आदि इलाकों में जाकर सेवा कार्य की. इस सेवा में उन्होंने अपने वेतन को लगाया. 11 जुलाई शनिवार को चौद्ववार के खखारी इलाके में जाकर 13 साल के बच्चे एवं 35 साल की महिला जो पूर्ण रूप से विकलांग थी, उनको एक महीने का जरूरत की सामाग्री दी गई. इसके अलावा 90 साल की विधवा महिला को कपड़े एवं खाने-पीने का सामान वितरण किया. लॉकडाउन के दौरान एक महिला ने एक शिशु को जन्म दिया था.

उस महिला के पास कुछ भी नहीं था. उस महिला को एक महीने के राशन के साथ-साथ छोटे बच्चे के सारे सामान एवं एक पंखा भी उपलब्ध करवाया. वह खुद कोरोना योद्धा बनकर देश और राज्य की सेवा कर रही थीं. फिर भी वह अपने को कोरोना योद्धा न समझ कर पुलिस प्रशासन के छोटे-बड़े सभी अधिकारियों को कोरोना योद्धा माना.

साथ ही कटक के डीसीपी कार्यालय,  दरघा बाजार थाना, लालबाग थाना, एसीपी ऑफिस में जाकर सभी को सम्मानित कर अपने आपको गौरवान्वित महसूस की. नफीसा की लगन और जज्बे से की जारी सेवा दूसरों को प्रेरित कर रही है. उनका मानना है कि सेवा जारी रहेगी.

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