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मुख्यमंत्री ने की ओडिशा की गौरवशाली समुद्री विरासत की प्रशंसा
पारादीप। ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने आज पारादीप बंदरगाह में आयोजित ‘बोइत बंदाण उत्सव 2025’ में भाग लेकर राज्य की प्राचीन नौ वाणिज्य परंपरा, आर्थिक प्रगति और बंदरगाह आधारित विकास पर जोर देते हुए एक सशक्त संदेश दिया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि बोइत बंदाण और बालियात्रा केवल त्योहार नहीं, बल्कि ये ओडिशा की गौरवशाली समुद्री इतिहास और साहसी साधबों (प्राचीन नाविकों) के जज्बे का प्रतीक हैं। यह परंपरा आज भी ओडिया समाज को प्रेरणा देती है कि वे धैर्य और साहस के साथ नई ऊँचाइयों को छू सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पारादीप बंदरगाह ओडिशा की प्रगति का प्रवेशद्वार और राज्य की अर्थव्यवस्था का “कोणार्क” है। मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 2015 में पारादीप पोर्ट की माल ढुलाई क्षमता 71 मिलियन टन थी, जो 2025 में बढ़कर 150 मिलियन टन हो चुकी है। उन्होंने घोषणा की कि मैरिटाइम इंडिया विजन 2030 के तहत इस पोर्ट की क्षमता 300 मिलियन टन तक और विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के तहत 500 मिलियन टन तक बढ़ाई जाएगी, जिससे पारादीप को ‘मेगा पोर्ट’ के रूप में विकसित किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार और पारादीप पत्तन प्राधिकरण संयुक्त रूप से गंजाम जिले के बाहुड़ा मुहाने पर 21,500 करोड़ रुपये की लागत से नया बंदरगाह और महानदी मुहाने पर 24,700 करोड़ रुपये की लागत से जहाज निर्माण व मरम्मत केंद्र स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। साथ ही, पुरी में एक विश्वस्तरीय क्रूज टर्मिनल भी विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं ओडिशा के व्यापार, पर्यटन और औद्योगिक विकास को नई दिशा प्रदान करेंगी।
मुख्यमंत्री मांझी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत समुद्री व्यापार में एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। ‘सागरमाला’, ‘गति शक्ति’ और ‘नेशनल लॉजिस्टिक्स पॉलिसी’ जैसी योजनाओं के साथ ओडिशा में पोर्ट-आधारित अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है।” उन्होंने जोड़ा कि “मैरिटाइम अमृतकाल विजन 2047” के तहत भारत के सभी बंदरगाह विश्वस्तरीय बनेंगे।
कार्यक्रम में उद्योग, कौशल विकास एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सम्पद चंद्र स्वाईं ने कहा कि राज्य सरकार बंदरगाह-आधारित उद्योग, अधोसंरचना, रोजगार सृजन और कौशल विकास को विशेष प्राथमिकता दे रही है। पारादीप बंदरगाह का विकास न केवल ओडिशा बल्कि पूरे भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था को सशक्त बना रहा है। उन्होंने कहा कि पारादीप आज केवल एक बंदरगाह नहीं, बल्कि ओडिशा की असीम संभावनाओं और नए भारत के निर्माण की शक्ति का प्रतीक है।
जगतसिंहपुर के सांसद डॉ विभू प्रसाद तराई ने कहा कि आने वाले वर्षों में पारादीप बंदरगाह के इर्द-गिर्द कई नए उद्योग, शिक्षा और परिवहन-आधारित परियोजनाएं शुरू होंगी, जो जगतसिंहपुर और पूरे ओडिशा की आर्थिक तस्वीर बदल देंगी। उन्होंने कहा कि पारादीप की सफलता ओडिशा का गर्व और भविष्य की आशा है।
पारादीप पत्तन प्राधिकरण के अध्यक्ष पीएल हरनाध ने बताया कि पिछले चार वर्षों में बंदरगाह ने निरंतर नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं और अपनी 50 वर्षों की उपलब्धियों को पार किया है। उन्होंने कहा कि क्षमता वृद्धि, व्यावसायिक सुधार, कौशल विकास और “टीम पारादीप” की अथक मेहनत की बदौलत आज यह बंदरगाह देश का नंबर-वन पोर्ट बन चुका है।
कार्यक्रम में जिलाधिकारी जे सोनल, डीआईजी डॉ सत्यजीत नायक और पारादीप पोर्ट के उपाध्यक्ष अलेख चरण साहू सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। समारोह का समापन श्री साहू के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
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