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ओडिशा के 108 लोकतंत्र सेनानियों को किया गया सम्मानित

  •  राज्यस्तरीय संविधान हत्या दिवस में मुख्यमंत्री ने भाग लिया

  •  ‘आपातकाल’ स्वतंत्र भारत के इतिहास का एक कलंकित अध्याय – मुख्यमंत्री

  • नई पीढ़ी तक इस काले अध्याय की स्मृति पहुँचाना हमारा प्रयास

  • कहा-स्वतंत्रता सेनानियों की तरह लोकतंत्र सेनानियों को भी मिलेगा यथोचित सम्मान

भुवनेश्वर। ‘आपातकालीन परिस्थिति’ स्वतंत्र भारत के इतिहास का एक कलंकित अध्याय है। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने ये बातें भारत में आपातकाल घोषित किए जाने के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित “संविधान हत्या दिवस 2025” कार्यक्रम में कहीं। राज्य सरकार के ओड़िया भाषा, साहित्य एवं संस्कृति विभाग की ओर से “संविधान हत्या दिवस 2025” का आयोजन स्थानीय रेल ऑडिटोरियम में इस कार्यक्रम का आयोजन किय़ा गया था।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल के दौरान जिस प्रकार का दमन, अत्याचार और लोकतंत्र का गला घोंटा गया, उसे कोई भूल नहीं सकता, लेकिन इस दिन को मनाने का उद्देश्य केवल इतिहास को याद करना नहीं, बल्कि निरंकुश शासन के खिलाफ व्यापक जनजागरूकता पैदा करना है। नई पीढ़ी तक उस काले अध्याय की सच्चाई पहुंचाने के लिए भारत सरकार ने वर्षभर चलने वाले कार्यक्रमों का निर्णय लिया है, जो 25 जून 2026 को समाप्त होंगे।

वाजपेयी और आडवाणी जैसे नेता भी गए थे जेल

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान की रक्षा और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए लोकतंत्र की रक्षा के लिए लगे सेनानियों पूरे देश में संघर्ष किया। देश के सभी बड़े नेताओं के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेता भी जेल गए। उस समय दमन इतना था कि जनता के पास दो ही विकल्प थे – या तो सरकार का विरोध कर जेल जाएं या फिर अखबार बंद कर दें। कई पत्रकार जिन्होंने झुकने से इनकार कर दिया, उन्हें जेल जाना पड़ा। हजारों पत्रकारों को जेल की सजा भुगतनी पड़ी।

ओडिशा में भी कई नेता हुए थे गिरफ्तार

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे ओडिशा में भी डॉ. हरेकृष्ण महताब, बीजू पटनायक, विश्वभूषण हरिचंदन जैसे कई बड़े नेता गिरफ्तार किए गए थे। लोकतंत्र सेनानी, जो आज हमारे बीच उपस्थित हैं, वे भली-भांति जानते हैं कि जेलों में उनके साथ किस प्रकार का अत्याचार हुआ था। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान किस प्रकार मिसा एक्ट का दुरुपयोग कर बिना मुकदमा चलाए महीनों तक लोगों को जेल में रखा गया, यह सब उन्हें आज भी स्मरण है।

नई सरकार में लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान देने का निर्णय

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि आज हमारे साथ 108 लोकतंत्र सेनानी उपस्थित हैं। इस कार्यक्रम में उन्हें सम्मानित कर हम गौरव का अनुभव कर रहे हैं। हमारी सरकार के सत्ता में आने के बाद हमने लोकतंत्र सेनानियों को सम्मान देने का निर्णय लिया था। उन्हें प्रतिमाह 20,000 रुपये की पेंशन और चिकित्सा सुविधा दी जा रही है। अब तक 56 लोगों की पेंशन को स्वीकृति मिल चुकी है। अन्य लोकतंत्र सेनानियों की प्रक्रिया भी जारी है और वे भी जल्द ही पेंशन प्राप्त करेंगे। जैसे स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मान दिया जाता है, वैसे ही लोकतंत्र सेनानियों को भी यथोचित सम्मान दिया जाएगा।

50 साल पहले हुई गलती को नई पीढ़ी को जानना चाहिए

कार्यक्रम में स्वागत भाषण देते हुए ओड़िया भाषा, साहित्य और संस्कृति विभाग के मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने कहा कि 50 साल पहले जो गलती हुई थी, उसे आज की पीढ़ी को जानना चाहिए। जैसे इंसान दूसरों की गलतियों से सीखता है, वैसे ही आज की पीढ़ी को भी इस दिन से सबक लेना चाहिए।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री और मान्यवर अतिथियों ने आपातकाल के दौर के लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया। साथ ही, लोकतंत्र सेनानी शोभायात्रा रथ और ‘संविधान हत्या दिवस’ चित्रकला प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया।

उस समय देश पर जिस प्रकार की शासन व्यवस्था थोप दी गई थी, वह सभी के लिए एक अंधकारमय युग था, लेकिन वही संघर्ष आज के दिन के लिए एक शिक्षा बने, ऐसी भावना के साथ कानून मंत्री श्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने अपने वक्तव्य में यह बात कही।

इस कार्यक्रम में एकाम्र विधायक बाबू सिंह, लोकतंत्र सेनानी बिंबाधर कुआँर, कृष्णचंद्र जगदेव और कान्हूचरण बेहरा प्रमुख रूप से मंचासीन थे। इस अवसर पर वरिष्ठ नेता अमर प्रसाद शतपथी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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