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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा की धरती से नक्सलियों को दिया सख्त संदेश
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कहा-आदिवासियों के विकास के लिए चलाई जा रहीं केंद्र की योजनाओं को गिनाया
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पिछड़े जिलों के आदिवासियों के लिए घर, सड़क, बिजली और पानी के लिए खर्च होंगे एक लाख करोड़ रुपये
भुवनेश्वर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राजधानी भुवनेश्वर में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए साफ शब्दों में कहा कि नक्सलवाद को खत्म करना मोदी की गारंटी है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले ओडिशा के कई आदिवासी क्षेत्र नक्सलवाद की चपेट में थे और राज्य का एक बड़ा हिस्सा तथाकथित ‘रेड कॉरिडोर’ में था, लेकिन आज भाजपा सरकार की नीतियों और प्रयासों के कारण उन इलाकों में शांति लौट आई है और विकास की नई राहें खुली हैं।
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में भाजपा सरकार के एक साल पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह में नक्सलियों को सख्त संदेश देते हुए मोदी ने कहा कि यह मोदी की गारंटी है कि नक्सलवाद खत्म होगा। नक्सलवाद के नाम पर पिछड़ों जिलों में आदिवासी समुदाय को हम विकास से वंचित नहीं रख सकते हैं। हमने असम से उग्रवाद को खत्म कर उसे विकास के रास्ते पर लाया है और नक्सल प्रभावित जिलों को विकसित करना है।
प्रधानमंत्री ने आदिवासी समुदाय के विकास के लिए 1 लाख करोड़ रुपये की योजना चलाई जा रही है, जिससे 60 हजार गांवों का विकास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं के तहत आदिवासी क्षेत्रों में सड़क, आवास, पेयजल और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। उन्होंने यह भी बताया कि ओडिशा के 11 जिलों में 40 नए आवासीय विद्यालयों की स्थापना की जा रही है, ताकि आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
प्रधानमंत्री ने बीजद और कांग्रेस दोनों पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने वर्षों तक नक्सलवाद के नाम पर आदिवासी समुदाय को केवल “पिछड़ा जिला” घोषित कर दिया और उन्हें योजनाओं के असली लाभ से वंचित रखा। उन्होंने कहा कि हमने जैसे असम में उग्रवाद को समाप्त किया, वैसे ही नक्सलवाद को भी खत्म करना हमारी प्राथमिकता है।
मोदी ने बताया कि उनकी सरकार की नीतियां सिर्फ सुरक्षा पर ही नहीं, बल्कि समावेशी विकास पर भी केंद्रित हैं। उन्होंने कहा कि अति-पिछड़े आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है, ताकि वे भी देश की प्रगति में भागीदार बन सकें।
अपने संबोधन की शुरुआत में प्रधानमंत्री ने ओड़िया भाषा में “नमस्कार” और “जुहार” कहकर लोगों से भावनात्मक रूप से जुड़ाव बनाया और अंत में “जय जगन्नाथ” के जयघोष के साथ अपने भाषण को समाप्त किया।