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लंबाई तीन फीट से अधिक होने के बाद भी छह फीट लंबे टैंक में रखा गया
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उसकी प्राकृतिक वृद्धि और मातृत्व पर सवालिया निशान
केंद्रापड़ा। भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान स्थित खारे पानी के मगरमच्छ प्रजनन केंद्र में रह रही एक दुर्लभ सफेद मगरमच्छ ‘श्वेता’ की एकाकी ज़िंदगी को लेकर वन्यजीव विशेषज्ञों के बीच चिंता बढ़ती जा रही है। चार वर्ष की हो चुकी श्वेता की लंबाई तीन फीट से अधिक हो चुकी है, फिर भी उसे अभी तक केवल छह फीट लंबे टैंक में रखा गया है और प्राकृतिक जल स्रोत में नहीं छोड़ा गया है।
वन्यजीव प्रबंधन की परंपरा के अनुसार, जब कोई मगरमच्छ तीन फीट से अधिक लंबा हो जाए या तीन वर्ष का हो जाए, तो उसे खुले पानी में छोड़ देना चाहिए। लेकिन श्वेता के मामले में इस नियम को नजरअंदाज किया गया है, जिससे उसकी प्राकृतिक वृद्धि और मातृत्व पर सवाल उठने लगे हैं।
पर्यटकों की रुचि, लेकिन प्रजनन की संभावनाएं शून्य
स्थानीय निवासी ने कहा कि श्वेता अब तीन फीट से बड़ी हो गई है और उसे नदी में छोड़ देना चाहिए था। लेकिन वह अब भी टैंक में ही बंद है। सफेद मगरमच्छ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं। अगर श्वेता और मल्ली जैसे अल्बिनो मगरमच्छों को नदी में छोड़ा जाए, तो वे प्रजनन कर सकते हैं और भविष्य में और भी सफेद मगरमच्छ पैदा हो सकते हैं, जिससे भितरकनिका में पर्यटन को और बढ़ावा मिलेगा।
गोरी और मल्ली: एक अधूरी विरासत
गोरी, जिसे भारत की पहली दर्ज की गई सफेद मगरमच्छ माना जाता है और 2003 में जन्मी मल्ली, दोनों भितरकनिका के संरक्षण केंद्र की पहचान हैं, लेकिन इन दोनों को भी आज तक खुले जल में नहीं छोड़ा गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अन्य मगरमच्छों के हमले की आशंका और इंटरकोर्स के दौरान संभावित चोट के खतरे के चलते इन्हें अलग रखा गया, जिससे ये मातृत्व से वंचित रह गईं।
वन विभाग कर रहा विचार-विमर्श
श्वेता की स्थिति पर निर्णय अभी लंबित है। वन अधिकारियों ने बताया कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक के निर्देश के बाद ही श्वेता को खुले जल में छोड़ने का निर्णय लिया जाएगा।
राजनगर के डीएफओ सुधर्शन गोपीनाथ जादव ने कहा कि पीसीसीएफ के आदेश के बाद इस वर्ष श्वेता को खुले जल में छोड़ने का निर्णय लिया जाएगा।