-
जल गया 4,575 हेक्टेयर जंगल
-
2024 की तुलना में इस वर्ष अधिक वन प्रभावित
-
रायगढ़ डिवीजन में सबसे अधिक 2,011 जंगलों में आग
भुवनेश्वर। कालबैसाखी के असर के बावजूद ओडिशा में जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ी हैं। 2024 की तुलना में इस बार अधिक क्षेत्रों में आग लगी है और व्यापक जंगल जलकर राख हो गए हैं। वन विभाग की आग को रोकने की तमाम कोशिशों के बावजूद 1 जनवरी से अब तक 29,165 वनाग्नि से 4575.11 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हो चुके हैं। 2024 में 22,868 स्थान जंगल की आग की चपेट में आ गए और 4,067.05 हेक्टेयर जंगल जल गए। रायगड़ा, कंधमाल, सुंदरगढ़, केंदुझर, झारसुगुड़ा और कलाहांडी जैसे जिले इस साल जंगल की आग से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। अभी बड़े पैमाने पर जंगल जलने की आशंका है क्योंकि गर्मी की लहर एक और महीने तक जारी रहने की संभावना है।
रायगढ़ डिवीजन बुरी तरह प्रभावित
कोरापुट सर्कल के रायगढ़ डिवीजन में सबसे अधिक 2,063 जंगल की आग दर्ज की गई है और यह सबसे बुरी तरह प्रभावित है। इसके बाद ब्रह्मपुर सर्कल के फूलवाणी डिवीजन में 1,805, बालिगुड़ा में 1,735, राउरकेला सर्कल के सुंदरगढ़ डिवीजन में 1,566, देवगढ़ डिवीजन में 1,351, कोरापुट सर्कल के नवरंगपुर में 1,246, भवानीपाटना सर्कल के खरियार में 1,217, ब्रह्मपुर सर्कल के पारलाखेमुंडी में 1,189 मामले सामने आए हैं। इसी तरह से बौद्ध में 1163, संबलपुर सर्कल के बामडा डिवीजन में 1061, कोरापुट सर्कल के मालकानगिरि में 1041, भवानीपाटना सर्कल के कलाहांडी दक्षिण में 1026 वनाग्नि घटनाएं हुईं है।
आग घटना को रोकने में वन विभाग को शत प्रतिशत सफलता
बताया गया है कि अधिकांश डिवीजन में जंगल की आग घटना को रोकने में वन विभाग को शत प्रतिशत सफलता मिली है। 1 जनवरी से 5 मई के बीच राज्य में 29165 जगह पर आग लगने की घटना हुई है। जंगल के अंदर 20,484 तथा जंगल के बाहर 8681 जंगली आग घटना सामने आई है। अभी तक 99.97% आग को बुझा लिया गया है। 4475.11 हेक्टर जंगल के प्रभावित होने की बात पता चली है।
कुल 8,259 बड़े जंगल भी धधके
ओडिशा में कुल 8,259 बड़े जंगल की आग की सूचना मिली है। इस महीने रायगढ़ जिले के मुनिगुड़ा रेंज के रघुबारी बिट, कंधमाल जिले के बेलघर रेंज के झिरीपानी बीट, सीमानबाड़ी रेंज के तिलोरी बीट और देवगढ़ जिले के बालाकोट रेंज के सैदा बीट में जंगल में आग लगने की बड़ी घटनाएं सामने आई हैं। जिस पर वन विभाग का नियंत्रण हो गया है। वन विभाग ने कहा कि 106 स्थानों पर जंगल की आग का पता चला है और 99 पर काबू पा लिया गया है।
बड़े पैमाने पर वनों का नष्ट होना चिंता का विषय
चिंता का कारण जंगल की आग के कारण बड़े पैमाने पर वनों का नष्ट होना है। वर्ष 2021 में राज्य में सबसे अधिक जंगल की आग लगी और 28,569 हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो गए। इसके बाद के वर्षों में, जंगल की आग का प्रभाव कम हो गया, लेकिन नियंत्रण में नहीं आ सका। 2022 में, 28,755 आग लगने की सूचना मिली। इनमें से 21,996 जंगल के अंदर और 6,759 बाहर पाए गए। आग ने 8,414.55 हेक्टेयर जंगल को जलकर खाक कर दिया। 2023 में, आग फिर से बढ़कर 36,713 हो गई और 9,550.86 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए। इस साल की जंगल की आग ने पिछले साल की आग को पीछे छोड़ दिया। भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 में आग लगने की 31,624 घटनाओं के साथ मध्य प्रदेश सूची में सबसे ऊपर है।