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नगड़ा की जमीनी हकीकत देख सख्त हुए मुख्य सचिव मनोज आहूजा

  •  बोले – कुपोषण और अव्यवस्था अब नहीं सहेंगे

भुवनेश्वर। ओडिशा के जाजपुर जिले का नगड़ा गांव एक बार फिर चर्चा में है। नौ साल पहले कुपोषण से हुई बच्चों की मौतों के कारण सुर्खियों में आए इस गांव में अब भी हालात नहीं सुधरे हैं। बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़क, बिजली और पानी तो पहुंची हैं, लेकिन आम लोगों के जीवन स्तर में बदलाव नहीं दिख रहा। इस जमीनी हकीकत को देखकर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज आहूजा हैरान रह गए। उन्होंने दौरे के दौरान गांव की हर गलियों और घरों में जाकर वास्तविक स्थिति को देखा और कई खामियों की ओर अधिकारियों का ध्यान दिलाया।
घर पर ही बच्चों का जन्म, अस्पताल नहीं पहुंच रहीं महिलाएं
मुख्य सचिव को जानकारी मिली कि गांव की अधिकांश महिलाएं अब भी प्रसव के लिए अस्पताल नहीं जातीं। वे घर पर ही बच्चों को जन्म दे रही हैं, जिससे जच्चा-बच्चा दोनों के स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा बना रहता है। इतना ही नहीं, कई महिलाएं टीकाकरण से भी वंचित हैं। ममता योजना के तहत मिलने वाली सुविधाएं भी उन तक नहीं पहुंच रही हैं, जबकि यह योजना गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों के लिए अहम मानी जाती है।
स्कूल में बच्चों की उपस्थिति कम, अधूरे मकान, गुम ठेकेदार
गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बेहद कम पाई गई। कई बच्चे नियमित स्कूल नहीं आ रहे हैं। शिक्षा व्यवस्था का यह हाल मुख्य सचिव को बेहद खल गया।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनाए जा रहे मकानों की भी स्थिति खराब है। कई मकान अधूरे पड़े हैं। ग्रामीणों ने शिकायत की कि ठेकेदार ने निर्माण का पैसा तो ले लिया लेकिन मकान अधूरा छोड़कर चला गया। इससे गरीब परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों की दुर्दशा, कर्मचारी अशिक्षित
नगड़ा गांव की आंगनबाड़ी व्यवस्था भी अस्त-व्यस्त मिली। कई कार्यकर्ता और सहायिकाएं मोबाइल ऐप पर विभागीय डाटा दर्ज नहीं कर पा रही हैं क्योंकि वे शिक्षित नहीं हैं। इससे बच्चों को पोषण और शिक्षा देने में बाधाएं आ रही हैं। पोषण आहार की आपूर्ति और निगरानी में भी लापरवाही सामने आई है।
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को दिए सख्त निर्देश
मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने नगड़ा गांव में देखी गई अव्यवस्थाओं पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि ऐसे संवेदनशील गांवों में योजनाओं के लाभ हर हाल में जमीनी स्तर तक पहुंचें। अब सिर्फ योजनाएं बनाना काफी नहीं, उनका क्रियान्वयन भी पूरी गंभीरता से होना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि जो कर्मचारी और अधिकारी अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल हो रहे हैं, उन पर जल्द कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने नगड़ा को ‘मॉडल विलेज’ के रूप में विकसित करने की योजना का संकेत भी दिया।
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