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अस्पताल में जनरेटर की सुविधा नहीं होने के कारण डॉक्टरों को अंधेरे में ही चढ़ानी पड़ रही है ड्रिप
सोनपुर। सोनपुर जिले के बिनिका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में मरीजों का इलाज वर्षों से मोबाइल की टॉर्च लाइट में किया जा रहा है। अस्पताल में जनरेटर की सुविधा नहीं होने के कारण डॉक्टरों को अंधेरे में ही ड्रिप चढ़ानी पड़ रही है। यह स्थिति शुक्रवार को सामने आई जब सूत्रों ने अस्पताल की बदहाल व्यवस्था की जानकारी दी।
बिजली कटते ही टॉर्च का सहारा
बिजली गुल होते ही अस्पताल का सारा काम मोबाइल की रोशनी में होता है। आपातकालीन स्थिति में बैकअप जनरेटर की कमी गंभीर सुरक्षा चिंता का विषय बन चुकी है। मेडिकल स्टाफ इलाज के दौरान मोबाइल फोन की टॉर्च जलाकर काम करते हैं।
मरीज गुरुदेव बेहेरा ने सवाल उठाया कि अस्पताल में घंटों बिजली नहीं रहती। बिना बिजली के मरीज कैसे रहेंगे? उन्होंने कहा कि डॉक्टर अंधेरे में मोबाइल की रोशनी से इलाज कर रहे हैं।
शिकायतें बेअसर, अधिकारी अब भी निष्क्रिय
कहा जा रहा कि कई शिकायतों के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। मरीजों और स्टाफ को इस बदहाल व्यवस्था से रोज जूझना पड़ रहा है।
बिनिका सीएचसी के मेडिकल ऑफिसर सत्यनारायण पाणिग्राही ने बताया कि पावर कट के समय यह समस्या होती है। इनवर्टर भी जवाब दे देता है, तब किसी तरह से काम चलाना पड़ता है। डीजी सेट शिफ्ट हो जाने के बाद समस्या के समाधान की उम्मीद है। मैंने इस संबंध में एसडीओ से बात की है, अधीक्षण अभियंता को भी जानकारी दी गई है। एसडीओ ने जल्द समाधान का भरोसा दिया है।
बुर्ला में भी दिखा था ऐसा ही मंजर
इससे पहले संबलपुर के वीर सुरेन्द्र साई इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च (विम्सर), बुर्ला में भी मरीजों को मोबाइल की टॉर्च लाइट में कीमोथेरेपी दी गई थी। वहां जनरेटर होने के बावजूद उसका इस्तेमाल नहीं हो पाया, जिससे अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए थे।
सरकारी अस्पतालों की यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की लचर व्यवस्था को उजागर करती है, बल्कि मरीजों की जान के साथ हो रहे खिलवाड़ को भी सामने लाती है।