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हाई कोर्ट के सलाह का वन्य-जीव प्रेमियों ने जताया विरोध

  •  रथयात्रा में रथों को खींचने में हाथियों का प्रयोग नहीं करने की राज्य सरकार से अपील

भुवनेश्वर. पुरी में महाप्रभु की रथयात्रा में रथों को खींचने के लिए हाथियों के प्रयोग का वन्य-जीव प्रेमियों ने विरोध किया है. हालांकि 23 जून को रथयात्रा को लेकर अभी तक कहीं से कोई निर्णय नहीं आया है. मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है. जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने भी भक्तों के बिना रथयात्रा को आयोजित करने का सुझाव दिया है. साथ ही नौ जून को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ओडिशा उच्च न्यायालय ने सुझाव दिया है कि यदि सरकार से चाहे तो रथों को खींचने में हाथियों का या मशीन प्रयोग कर सकती है. अदालत के इस सुझाव के बाद वन्य जीव प्रेमियों ने विरोध जताया है.
पशु कल्याण संगठन पीपुल फॉर एनिमल्स के ओडिशा चैप्टर के सचिव जीवन बल्लव दास ने कहा कि राज्यभर में वन्य-जीव प्रेमी प्रशासन से आग्रह कर रहे हैं कि पुरी में महाप्रभु श्री जगन्नाथ की रथयात्रा के दौरान हाथियों का प्रयोग नहीं किया जाये. इससे वन्य प्राणियों के जीवन को खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि वन्य जीवों की जगह दूसरी व्यवस्था अपनाई जा सकती है.
इस दौरान उन्होंने वर्ष 2002 की एक घटना की याद दिलायी. इस दौरान रथयात्रा उत्सव में लक्ष्मी नामक एक हाथी ने भाग लिया था और बाद में उसकी मौत निमोनिया से गई थी. उन्होंने कहा कि उस समय उचित देखभाल और इलाज के अभाव में लक्ष्मी की मौत हुई थी. उन्होंने कहा कि जब लोगों को अपनी आवश्यकताओं के लिए अन्य स्थानों पर एकत्र होने की अनुमति दी जा रही है, तो कोविद-19 सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए रथों को क्यों नहीं खींच सकते हैं. उन्होंने कहा कि हाथियों को कैद में अमानवीय स्थिति का सामना करना पड़ता है. वे इन व्यवहारों को कभी नहीं भूल पाते हैं. उन्होंने कहा कि वन्य जीवों की यह यादें उस समय जाता हो जाती हैं, जब वे सार्वजनिक रूप से रखे जाते हैं और इस दौरान पटाखों की आवाजें और शोरगुल सुनाई देती है. उन्होंने कहा कि हम मनुष्य अपनी आवश्यकता के लिए जंगली हाथियों को कैद में रखते हैं. इससे होने वाले मानव-पशु संघर्ष की स्थिति के लिए हम जिम्मेदार होते हैं. उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थितियों में आवश्यक न हो तो वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, एक्ट 1972 के तहत पशु के रूप में हाथियों को कैद में नहीं रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थितियों में आवश्यक होने पर राज्य के मुख्य वन्यजीव वार्डन से अनुमति लेनी होती है. उन्होंने आगे कहा कि अधिनियम के तहत किसी भी तरीके से संरक्षित जानवरों का उपयोग निषिद्ध है. दूसरी ओर हाथियों जैसे भारी जानवरों को परिवहन में लगाने से उन्हें अत्यधिक तनाव, दर्द होगा और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है. उन्होंने कहा कि इसलिए हम राज्य सरकार से आग्रह करते हैं कि रथयात्रा उत्सव के दौरान रथ खींचने के लिए हाथियों का उपयोग न करें.

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