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ओड़िया राष्ट्रीयता के केंद्र के रूप में विकसित होगा मधुबाबू का जन्मस्थान

  • सत्यभामापुर में राज्यस्तरीय ओडिशा दिवस पर मुख्यमंत्री ने की घोषणा

  • जन्म स्थल के समग्र विकास कार्य का आधारशिला भी रखी

  • मुख्यमंत्री ने ओड़िया पखवाडा मनाने की अपील

भुवनेश्वर। आज ओडिशा दिवस पर राज्यभर में ओड़िया अस्मिता का उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर राज्य सरकार ने पहली बार स्वतंत्र ओडिशा गठन के मुख्य आधार उत्कल गौरव माधुसूदन दास के जन्मभूमि सत्यभामापुर में राज्य स्तरीय ओडिशा दिवस समारोह आयोजित किया।

समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि मधुबाबू का जन्म स्थान सत्यभामापुर हमारे लिए एक पवित्र स्थल है, एक तीर्थ है। इस स्थान को ओड़िया राष्ट्रीयता के एक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज का दिन ओड़िया अस्मिता का दिवस है। ओड़िया स्वाभिमान का दिवस है। ओड़िया अस्मिता, ओड़िया स्वाभिमान को महत्व देते हुए जो परिवर्तन ओडिशा वासियों ने लाया, उसे सम्मान देते हुए आज हम स्वतंत्र ओडिशा प्रदेश गठन के मुख्य स्तंभ मधुबाबू के गांव में ओडिशा दिवस मना रहे हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्कल गौरव माधुसूदन दास के जन्म स्थल के समग्र विकास कार्य का आधार शिला रखी। 21 करोड़ रुपये के निवेश से विकास हो रहे इस कार्य में माधुबाबू के जन्म स्थान के उन्नतिकरण के साथ-साथ व्याख्यान केंद्र निर्माण, प्रतिमा निर्माण, अतिथि भवन, पुस्तकालय और वहां के जलाशयों में लाइट एंड साउंड सिस्टम की स्थापना की जाएगी।

समृद्ध ओडिशा के सपनों को अवश्य पूरा करेंगे

मुख्यमंत्री ने उद्घाटन के दौरान कहा कि स्वतंत्र ओडिशा प्रदेश गठन के लिए हमारे वीर पुत्रों ने जो त्याग और संघर्ष किया, उसके लिए हम कभी भी उनका कर्ज चुका नहीं पाएंगे। एक समृद्ध ओडिशा का निर्माण कर हम उनके सपनों को अवश्य पूरा करेंगे।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कि मधुबाबू के आदर्शों से प्रेरित होकर जब चार करोड़ ओडिशावासी एकजुट होकर समृद्ध ओडिशा के निर्माण के लिए आगे बढ़ेंगे, तो पृथ्वी की कोई भी ताकत उन्हें रोक नहीं सकती। चार करोड़ ओडिशावासियों का सपना पूरा होगा। लक्ष्य सफल होगा।

ओड़िया अस्मिता को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध

मुख्यमंत्री ने राज्यवासियों से ओड़िया पखवाडा पालन करने का आह्वान करते हुए कहा, हमारे ओडिशा की असली संपत्ति आप लोग हैं। हमारे चार करोड़ ओडिशावासी। हमारे प्रत्येक रक्त बिंदु में ओड़िया अस्मिता समाई हुई है। हमारे चलने-फिरने, बोल-चाल, भोजन-व्यंजन, सबमें एक अदृश्य ओड़ियापन छुपा है। हम ओड़िया अस्मिता को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसीलिए आज से लेकर 14 अप्रैल तक हम ‘ओड़िया पखवाड़ा’ पालन कर रहे हैं।

इस समय के दौरान मुख्यमंत्री ने हर ओड़िया से पारंपरिक ओड़िया भोजन खाने, ओड़िया परिधान पहनने और ओड़िया में बातचीत करने की अपील की। साथ ही, ओड़िया पत्र-पत्रिकाएं पढ़ने की भी अपील की।

प्रत्येक ओड़िया के लिए एक तीर्थ स्थल है सत्यभामापुर

उन्होंने कहा कि उत्कल गौरव माधुसूदन दास का जन्म स्थल सत्यभामापुर केवल उनके जन्मभूमि नहीं है, यह प्रत्येक ओड़िया के लिए एक तीर्थ स्थल है। आधुनिक भारत में ओड़िया भाषा का उत्थान और स्वतंत्र ओडिशा प्रदेश गठन के पुरोधा का जन्म स्थान यही पवित्र भूमि है। इस भूमि के संतानों ने प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए हमें एक स्वतंत्र पहचान दी, उन्हें हम श्रद्धा पूर्वक नमन करते हैं।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि स्वतंत्र ओडिशा प्रदेश गठन के संघर्ष का उद्देश्य केवल ओडिशा को एक स्वतंत्र भूगोलिक प्रदेश बनाना नहीं था, इसका मुख्य उद्देश्य ओड़िया भाषा और साहित्य का पुनरुत्थान करना और उसे घर-घर सम्मानित करना था।

ओड़िया भाषा और सांस्कृतिक जागरूकता के लिए आंदोलन चलाया

इसलिए, ओडिशा प्रदेश गठन के साथ-साथ ओड़िया भाषा और सांस्कृतिक जागरूकता के लिए भी आंदोलन चलाया गया था, जिसका नेतृत्व स्वभाविक कवि गंगाधर मेहेर, कविवर राधानाथ राय, कर्मवीर गौरी शंकर राय, व्यासकवि फकीर मोहन सेनापति जैसे महान व्यक्तित्वों ने किया।

मधुबाबू के साथ उत्कलमणि पंडित गोपबंधु दास, पारला महाराजा कृष्णचंद्र गजपति, मयूरभंज महाराजा श्रीराम चंद्र भंजदेव, खल्लीकोट राजा बाहादूर रामचंद्र मर्दराज देव, पंडित गोदावरीश मिश्र, फकीर मोहन सेनापति, गंगाधर मेहेर जैसे अनेक महापुरुषों के त्याग और संघर्ष से स्वतंत्र ओडिशा का सपना साकार हुआ। स्वतंत्र ओडिशा गठन के बाद उत्कल केसरी डॉ. हरकेश महताब के प्रयासों से देशी राज्यों का ओडिशा में विलय हुआ और ओडिशा अपने वर्तमान रूप में विकसित हुआ। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।

शिक्षा और स्वास्थ्य समाज की मूलधारा

उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य समाज की मूलधारा हैं। एक शिक्षित और स्वस्थ ओडिशा ही समृद्ध ओडिशा की रचना कर सकता है। शिक्षा क्षेत्र में नये कलेवर का उद्देश्य हमारा लक्ष्य है। नई शिक्षा नीति-2020 लागू करके राज्य के शिक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं।

शिक्षा क्षेत्र के लिए सबसे अधिक खर्च

सभी विभागों में शिक्षा क्षेत्र के लिए सबसे अधिक खर्च किया जा रहा है। शिशु बटिका, गोदावरीश मिश्र आदर्श प्राथमिक विद्यालय योजना, पंचशिक्षा सेतु अभियान आदि योजनाओं के माध्यम से स्कूल शिक्षा को मजबूत बनाने के कदम उठाए जा रहे हैं।

पीएम उषा योजना हो रही कार्यान्वित

उन्होंने कहा कि बच्चों को पोषक आहार उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री पोषण योजना में कल से नौवीं और दशवीं कक्षा के बच्चों को मध्याह्न भोजन प्रदान करने की शुरुआत की जाएगी। उच्च शिक्षा क्षेत्र में पीएम उषा योजना कार्यान्वित की जा रही है, जिससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सभी के लिए समान अवसर सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है।

राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को सुलभ, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और गोपबंधु जन आरोग्य योजना संयुक्त रूप से कार्यान्वित की जा रही हैं। इसके माध्यम से राज्य के साढ़े तीन करोड़ से अधिक लोग देश के 29 हजार अस्पतालों में चिकित्सा सेवाएं प्राप्त कर सकेंगे। इसके जरिए हमारे प्रवासी ओड़िया भाई-बहन भी विशेष रूप से लाभान्वित होंगे। आयुष्मान बयो-बंधना योजना के तहत 70 वर्ष से ऊपर के सभी वृद्ध व्यक्तियों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा की व्यवस्था की जा रही है।

बुनियादी संरचना के आर्थिक वृद्धि की कल्पना नहीं

मूलभूत संरचना विकास की पहली सीढ़ी है। बिना बुनियादी संरचना के आर्थिक वृद्धि की कल्पना नहीं की जा सकती। राज्य के प्रमुख रास्तों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए राज्य सरकार नई सड़क नीति तैयार करेगी और ‘ओडिशा राज्यपथ प्राधिकरण’ का गठन करेगी। आने वाले 5 वर्षों में 75 हजार किलोमीटर लंबी विश्वस्तरीय सड़क निर्माण का लक्ष्य रखा गया है।

ओड़िया अस्मिता की सुरक्षा हमारी मुख्य प्रतिबद्धता

उन्होंने कहा कि ओड़िया अस्मिता की सुरक्षा हमारी एक मुख्य प्रतिबद्धता रही है। श्रीमंदिर के चारों द्वार खोलने से लेकर महाप्रभु श्री जगन्नाथ के श्रीमंदिर की उन्नति के लिए 500 करोड़ रुपए का कोर्पस फंड निर्माण किया गया है।

ओड़िया अस्मिता अस्मिता भवन, ओड़िया अनुवाद अकादमी, तालपत्र पोथी संग्रहालय, पाइक विद्रोह स्मारक आदि कई प्रमुख प्रस्ताव कार्यान्वित किए जाएंगे। धनु यात्रा जैसी महोत्सवों को राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। हमारे स्वतंत्रता संग्रामियों के परिवारों को कुटुम्ब योजना के तहत पेंशन देने और आपातकालीन परिस्थितियों में मुछा कानून के तहत गिरफ्तार हुए संग्रामियों को पेंशन देने की व्यवस्था की गई है।

कार्यक्रम में कानून और आबकारी मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि ओडिशा के लोग पूजा-पाठ की परंपरा पर विश्वास रखती है और देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाले महापुरुषों को सम्मान देना हमारी सरकार की प्राथमिकता है। यह पूजा-पाठ की परंपरा हमेशा के लिए अक्षुण्ण रहेगी।

कार्यक्रम में ओडिशा दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति द्वारा भेजे गए संदेश पढ़े गए। उत्कल प्रसंग और ओडिशा रिव्यू के स्वतंत्र संख्या का विमोचन किया गया और दिव्यांगों को पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में अन्य उपस्थित लोगों में विधायक प्रशांत बेहरा,  सौविक विश्वाल, इं. सोफिया फिरदोस, इं. प्रकाश चंद्र सेठी,  छवि मल्लिक, सारदा प्रधान,  विजय कुमार दलबेहरा थे।

केंद्रीय आरडीसी बी. परमेश्वरन ने स्वागत भाषण दिया और जिलापाल श्री दत्तात्रेय भौसाहेब शिंदे ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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