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बिस्वास को जमीन दिलाने का प्रयास करेंगी सांसद अपराजिता षाड़ंगी

  • भुवनेश्वर में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद की घोषणा

  • सांसद की घोषणा के बाद बिस्वास के सदस्यों में खुशी की लहर

भुवनेश्वर: ओडिशा में हिंदीभाषी समुदाय की प्रमुख सामाजिक और सांस्कृतिक संस्था ‘बिस्वास’ के लिए सरकारी जमीन दिलाने के लिए सांसद अपराजिता षाड़ंगी ने अपनी प्रतिबद्धता जताई है।

भुवनेश्वर में बिस्वास की ओर से आयोजित छठ पूजा में छठ व्रतियों के भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सांसद ने यह घोषणा की।

उन्होंने घोषणा की कि बिस्वास संस्था को सरकारी ज़मीन दिलाने के लिए वह हर संभव प्रयास करेंगी और इस उद्देश्य से सरकारी अधिकारियों से चर्चा करेंगी। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषी समुदाय के सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान में बिस्वास संस्था का योगदान महत्वपूर्ण है और ऐसे संगठनों का सुदृढ़ीकरण आवश्यक है ताकि समाज में उनकी पहचान को बल मिल सके।

बिस्वास संस्था हिंदी भाषाओं के लोगों का एक प्रमुख संगठन है, जो विभिन्न प्रकार के धार्मिक आयोजनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय भूमिका निभाता है। संस्था का उद्देश्य न केवल हिंदी भाषी समुदाय को एकजुट करना है, बल्कि समाज के अन्य वर्गों के साथ मिलकर आपसी सद्भाव और एकता को बढ़ावा देना भी है। हर साल संस्था द्वारा भव्य धार्मिक आयोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामुदायिक विकास कार्य किए जाते हैं, जिनमें स्थानीय लोगों का बड़ा समर्थन मिलता है। इसके माध्यम से संस्था धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को न केवल संरक्षित करती है बल्कि उन्हें नई पीढ़ी तक भी पहुंचाती है।

सांसद की घोषणा से बिस्वास में खुशी की लहर

सांसद अपराजिता षाड़ंगी की इस घोषणा से बिस्वास संस्था से जुड़े सभी लोगों में हर्ष की लहर दौड़ गई है। संस्था के संस्थापक और वर्तमान में सलाहकार समिति के अध्यक्ष डीएस त्रिपाठी ने अपराजिता षाड़ंगी के इस कदम का स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है, जब किसी सरकारी प्रतिनिधि ने हिंदीभाषी समुदाय के कल्याण के लिए इतने बड़े स्तर पर कदम उठाने का आश्वासन दिया है। त्रिपाठी ने कहा कि बिस्वास लंबे समय से इस दिशा में प्रयासरत है, और अब भाजपा की नई सरकार से उनकी मांग पूरी होने की उम्मीदें बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि ओडिशा के सामाजिक, आर्थिक, और धार्मिक विकास में हिंदीभाषी समुदाय का भी विशेष योगदान है, जो विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति से राज्य के विकास में सहायक बना हुआ है।

त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी और ओड़िआ भाषाओं का संबंध मां और मौसी जैसा है। दोनों भाषाओं में समानता और संस्कृति की गहरी जड़ें हैं। बिस्वास का उद्देश्य केवल धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करना नहीं है, बल्कि दोनों समुदायों के बीच के संबंधों को प्रगाढ़ करना भी है, ताकि एक सशक्त और एकजुट समाज का निर्माण हो सके। उन्होंने आगे कहा कि बिस्वास एक ऐसा मंच है जो ओडिशा में हिंदीभाषी समाज को एकजुट करने और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखने का काम कर रहा है। इसके साथ ही राज्य की अर्थ व्यवस्था को भी गति देना है।

धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यों को मिलेगा बल

इधर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सांसद षाड़ंगी ने कहा कि बिस्वास संस्था का विस्तार समाज के समग्र विकास के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि इस संस्था के धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों से न केवल हिंदीभाषी समाज, बल्कि अन्य समुदायों में भी एकता और समरसता का संदेश प्रसारित होता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार से जमीन मिलने पर संस्था को एक स्थायी आधार प्राप्त होगा, जिससे वे भविष्य में और बड़े स्तर पर कार्य कर सकेंगे।

आशा और समर्थन का संचार

सांसद अपराजिता षाड़ंगी की इस पहल को हिंदीभाषी समाज के लोगों ने एक सकारात्मक कदम बताया है। लोगों का मानना है कि इससे न केवल उनका सामाजिक और सांस्कृतिक योगदान बढ़ेगा बल्कि बिस्वास संस्था के माध्यम से ओडिशा में हिंदी भाषियों के हितों का भी संरक्षण होगा। मुख्यमंत्री ने भी हिन्दी को बढ़ावा देने का आश्वासन दिया है।

त्रिपाठी ने कहा कि इस पहल से भविष्य में संस्था के कार्यों का विस्तार होगा और समाज में हिंदी भाषियों की आवाज को एक सशक्त मंच मिलेगा। उन्होंने कहा कि बिस्वास का उद्देश्य हिंदी भाषी समुदाय को ओडिशा में एक नई पहचान देना और राज्य की संस्कृति के प्रति उनका सम्मान बढ़ाना है।

अध्यक्ष राजकुमार ने आभार जताया

बिस्वास के अध्यक्ष राजकुमार ने सांसद अपराजिता षाड़ंगी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी पहल से संस्था को आवश्यक संसाधन मिल सकेंगे, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों को और मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकारी ज़मीन मिलने से बिस्वास का कार्यक्षेत्र विस्तृत होगा और संस्था को अपने धार्मिक-सांस्कृतिक आयोजनों को बड़े स्तर पर संचालित करने में सहायता मिलेगी। यह कदम हिंदी भाषी समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को बढ़ावा देने के साथ ही समाज में एकता और सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करेगा।

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