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तटीय जिलों में राहत, लेकिन चक्रवात डाना से प्रभावित जिलों में तबाही

  • कृषि, आवास, पेड़ और बिजली ढांचे को पहुंचा है भारी नुकसान

  • 2.80 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि हुई जलमग्न

  • 1.75 लाख हेक्टेयर पर खड़ी फसलें हो चुकी हैं बर्बाद

  • 7 दिनों में क्षति का आकलन पूरा होगा

भुवनेश्वर। ओडिशा के कई तटीय जिलों को चक्रवात डाना से राहत मिली, लेकिन कुछ प्रभावित जिलों में लोगों ने इस भीषण चक्रवात की मार झेली है। डाना ने 24-25 अक्टूबर को भितरकनिका और धामरा के बीच तट पर दस्तक दी थी। मूसलधार बारिश और तेज हवाओं के साथ आए चक्रवात डाना ने कई जिलों में पेड़, बिजली के खंभे उखाड़ दिए और बुनियादी ढांचे और फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचाया।

प्रारंभिक आकलन के अनुसार, 2.80 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है और 1.75 लाख हेक्टेयर पर खड़ी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। कृषि और राजस्व विभाग द्वारा संयुक्त रूप से नुकसान का आकलन किया जाएगा। कृषि विभाग के प्रधान सचिव अरविंद पाढ़ी ने बताया कि यह पूरा आकलन संबंधित जिलों के कलेक्टरों की देखरेख में किया जाएगा।

राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी ने पहले ही घोषणा की थी कि 26 अक्टूबर से नुकसान का आकलन कार्य शुरू किया जाएगा और यह कार्य सात दिनों के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।

मकान क्षति पर मुआवजा

चक्रवात डाना के कारण कई जिलों में मकानों को भी भारी क्षति पहुंची है। हालांकि मंत्री पुजारी ने बताया कि जिन लोगों के मकान पूरी तरह नष्ट हो गए हैं, उन्हें पक्के मकान प्रदान किए जाएंगे।

बिजली के ढांचे में क्षति और बहाली कार्य

चक्रवात डाना ने कृषि के साथ-साथ बिजली के बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचाया है। ऊर्जा विभाग के प्रभारी केवी सिंहदेव ने बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में 33 केवी फीडरों का 95% से अधिक बहाल कर दिया गया है और शेष भी जल्द ही चालू हो जाएगा। 11 केवी नेटवर्क के स्तर तक वितरण ट्रांसफार्मर की बहाली का कार्य भी जारी है। जांबू, तलचुआ, कंडिरा और बगापाटिया जैसे क्षेत्रों में भारी बारिश के बावजूद, बहाली टीम बिना रुके काम कर रही है।

महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित

चक्रवात डाना के कारण हुई फसल क्षति का आकलन करने के लिए आज कृषि भवन में एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता कृषि और किसान सशक्तिकरण मंत्री तथा उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंहदेव ने की। बैठक में प्रमुख सचिव डॉ अरविंद कुमार पाढ़ी, कृषि निदेशक प्रेम चंद्र चौधरी, बागवानी निदेशक निखिल पवन कल्याण और अन्य अधिकारी (वर्चुअल माध्यम से) उपस्थित रहे।

किसानों को हक दिलाना सरकार की प्राथमिकता

उपमुख्यमंत्री सिंहदेव ने बैठक में कहा कि सरकार प्रभावित किसानों को उचित सहायता और समर्थन प्रदान करने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने जोर देकर कहा कि चक्रवात के प्रभाव के बाद किसानों को उनका हक दिलाना सरकार की प्राथमिकता है। बैठक में तय किया गया कि बारिश थमने के बाद जिलास्तर के अधिकारी फील्ड में जाकर फसल क्षति का आकलन करेंगे और इसका जियो-टैगिंग रिपोर्ट तैयार कर सरकार और कृषि विभाग को भेजेंगे। इसी रिपोर्ट के आधार पर आगे की आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे।

14 जिले गंभीर रूप से प्रभावित

चक्रवात ने राज्य के 14 जिलों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है, जिसमें विशेष रूप से 5 जिले—केंद्रापड़ा, भद्रक, बालेश्वर, जाजपुर और मयूरभंज में फसल क्षेत्र डूब चुकी है और फसलें प्रभावित हुई हैं।

कहां कितनी डूबी है फसल

भद्रक जिले के 7 ब्लॉकों में 88,594 हेक्टेयर भूमि डूबी हुई है, जबकि अनुमानित 24,827 हेक्टेयर कृषि भूमि प्रभावित होने की संभावना है। इसी तरह, केंद्रापड़ा के 8 ब्लॉकों में लगभग 28,426 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है। जाजपुर जिले के 7 ब्लॉकों में 17,666 हेक्टेयर भूमि डूबी हुई है, जबकि 2,709 हेक्टेयर प्रभावित है। मयूरभंज के 16 ब्लॉकों में 1,872 हेक्टेयर भूमि डूबी हुई है और अनुमानित 2,381 हेक्टेयर प्रभावित है। बालेश्वर के 12 ब्लॉकों में 4,396 हेक्टेयर भूमि डूबी हुई है, जबकि 3,140 हेक्टेयर प्रभावित है।

सहायता राशि भी हुई तय

सरकारी निर्देशों के अनुसार, 2 हेक्टेयर तक की भूमि रखने वाले छोटे और सीमांत किसानों, जिनकी फसल 33 प्रतिशत से अधिक नष्ट हुई है, को सहायता प्रदान की जाएगी। वर्षा सिंचित क्षेत्रों में प्रति हेक्टेयर 8,500 रुपये, सुनिश्चित सिंचाई क्षेत्रों में 17,000 रुपये और बारहमासी फसलों के लिए 22,500 रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। डॉ पाढ़ी ने बैठक में बताया कि जिलास्तर से रिपोर्ट मिलने के बाद सहायता के संबंध में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

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