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पुल नहीं होने के कारण पानी से गुजरे लोग
कोरापुट। जिले के बगेईपदर गांव में मंगलवार को एक ऐसी तस्वीर सामने आई जिसने हर किसी का दिल दहला दिया। बिना किसी स्थायी पुल के गांव के लोग एक मृतक के शव को कंधों पर उठाए मुरन नदी के उफनते पानी में चलकर पार करने को मजबूर हो गए। यह दृश्य न केवल ग्रामीणों की परेशानियों की कहानी कह रहा था, बल्कि प्रशासन की उपेक्षा का एक कड़वा सच भी उजागर कर रहा था।
मामला दसमंतपुर ब्लॉक के कुसुमगुड़ा पंचायत के बगेईपदर गांव का है, जहां एक व्यक्ति की मौत के बाद उसे अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाना था। परंतु समस्या यह थी कि श्मशान घाट नदी के उस पार स्थित है और नदी पर कोई पुल नहीं है। ग्रामीणों के पास कोई दूसरा रास्ता न होने के कारण उन्हें शव को कंधों पर उठाकर पानी में उतरना पड़ा। नदी में पानी का बहाव तेज था। पानी ठंडा था और जमीन पर पैर टिकाए रखना मुश्किल था, लेकिन यह चार कंधे और पीछे चल रहे लोगों की दृढ़ता थी, जो उन्हें मजबूती दे रही थी।
बारिश के मौसम में यह समस्या और गंभीर हो जाती है। पुल न होने की वजह से गांव के लोग रोजमर्रा के कामों के लिए भी अपनी जान जोखिम में डालते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि यह पहली बार नहीं था, जब उन्हें इस तरह की स्थिति का सामना करना पड़ा। कुछ समय पहले एक महिला की भी मृत्यु हो गई थी, क्योंकि उसे समय पर इलाज नहीं मिल पाया था। उस समय भी बारिश के कारण नदी का बहाव इतना तेज था कि किसी भी वाहन या व्यक्ति के लिए उसे पार करना संभव नहीं था।
इन हिस्सों की आवाज कभी सुनी जाएगी?
गांव के लोगों की व्यथा दिलों को भारी करने वाली है। यहां के लोगों का कहना है कि जहां एक ओर देश में विकास की बातें होती हैं, वहीं दूसरी ओर इन दूरदराज इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी लोगों को हर दिन संघर्ष करने पर मजबूर कर रही है। शव को नदी के पानी में कंधों पर उठाकर अंतिम संस्कार करने ले जाना पड़ा है। यह तस्वीर सवाल उठाती है कि क्या ग्रामीण भारत के इन हिस्सों की आवाज कभी सुनी जाएगी?
अब तक प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठाया
लोगों ने कहा कि अफसोस की बात यह है कि जिला प्रशासन की ओर से अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों की उम्मीदें प्रशासन की ओर हैं, जो शायद किसी दिन उनकी समस्याओं का समाधान करे और उन्हें इस कठिनाई से छुटकारा दिलाए।