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फिर से खुला श्री जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार

  • भीतर के रत्नभंडार से आभूषण अस्थायी खटशेज घर में हुआ स्थानांतरण

पुरी। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार गुरुवार सुबह को राजा गजपति महाराज की मौजूदगी में अंदर के रत्नभंडार को खोले जाने के साथ-साथ वहां से आभूषणों का स्थानांतरण की प्रक्रिया शुरु हुई। इन आभूषणों को अस्थायी रुप से बनाये गये खटशेज घर में स्थानांतरित किया गया।

पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, रत्नभंडार खोलने के लिए बनी उच्चस्तरीय समिति के सदस्यों ने आज सुबह सिंहद्वार के सामने भगवान रथारूढ़ महाप्रभु के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। फिर सभी ने एक साथ मंदिर में प्रवेश किया। समिति के सभी सदस्यों ने पारंपरिक धोती पहनकर मां विमला, मां लक्ष्मी के साथ सभी पार्श्व देवताओं के दर्शन करने के बाद शुभ बेला सुबह 9:51 बजे रत्न भंडार में प्रवेश किया।

ट्रेजेरी से लायी गयी चाबी से खुला रत्नभंडार

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, ट्रेजेरी से लायी गयी चाबी से रत्नभंडार खोला गया। यहां से सभी आभूषणों को अस्थायी स्ट्रॉन्ग रूम में ले जाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। स्वयं गजपति महाराज भी उपस्थित थे।

सात घंटे से अधिक का समय लगा

न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ ने बताया कि सोने के आभूषणों और अन्य कीमती सामानों को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया उच्च स्तरीय समिति की एसओपी के अनुसार की गई। इस प्रक्रिया में आज सात घंटे से अधिक का समय लगा। रथ ने कहा कि हमने तय किए गए शुभ मुहूर्त पर ताले खोले थे। हमने केवल एसओपी के अनुसार आंतरिक रत्न भंडार से कीमती सामान को अस्थायी स्ट्रांग रूम में स्थानांतरित किया है।

रत्न भंडार के आंतरिक कक्ष के अंदर तीन लकड़ी की अलमारियां, 1 स्टील की अलमारी, 2 लकड़ी और 1 लोहे की पेटी थी। सभी कीमती सामान नए भंडारण इकाइयों (कंटेनरों) के अंदर रखे गए हैं। रथ ने कहा कि भंडार सेवकों के साथ 11 सदस्यीय टीम की मदद से, कीमती सामानों की पूरी शिफ्टिंग प्रक्रिया आज पूरी की गई।

रत्न भंडार के अंदर गुप्त कक्ष नहीं

रत्न भंडार के अंदर गुप्त कक्ष पर उन्होंने कहा कि हमने ऐसी बातों पर कभी विश्वास नहीं किया। मैं लोगों से अपील करता हूं कि ये तथ्य पर आधारित नहीं हैं। मैं यूट्यूबर्स, मीडिया और अन्य लोगों से भी अपील करता हूं कि वे ऐसी खबरें न फैलाएं। हमने अलमारी शिफ्ट कर दी है और हमें ऐसी कोई चीज नहीं मिली है।

उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि हमने जो कुछ भी देखा, हमें अपनी नंगी आंखों से कोई सुरंग या गुप्त कक्ष नहीं मिला। दोबारा जांच के लिए कोई एसओपी नहीं है और इसकी जरूरत है, इसलिए हम बैठक बुलाएंगे और ओडिशा सरकार के निर्देशों के अनुसार आगे बढ़ेंगे।

सूचीकरण प्रक्रिया

पहले चरण में ओडिशा सरकार ने रत्न भंडार को खोलने और फिर कीमती सामानों को शिफ्ट करने की अनुमति दी थी। न्यायमूर्ति रथ ने कहा कि एसओपी के अनुसार अगली कार्रवाई की जाएगी।

एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने कहा कि भगवान के आशीर्वाद से सभी आभूषणों की शिफ्टिंग प्रक्रिया को आज अस्थायी स्ट्रांग रूम में स्थानांतरित कर दिया गया है।

रत्न भंडार के अंदर कोई सांप नहीं

स्नेक हेल्पलाइन के सदस्य सुवेंदु मल्लिक ने कहा कि हम अंदर नहीं गए। हमारी टीमें तैयार थीं और हमें अधिकारियों ने कोई सांप पकड़ने के लिए नहीं बुलाया था। हमारी सेवाएं नहीं ली गईं। अगर सांप होते तो हमारी टीम को बुलाया जाता। हम रत्न भंडार के उद्घाटन में लगी टीम को आत्मविश्वास और सुरक्षा की भावना देने आए थे।

पहली बार 14 जुलाई को खुला था रत्न भङांर

उल्लेखनीय है कि गत 14 जुलाई को भी रत्न भङांर को खोला गया था। भीतर के रत्न भंडार के के ताले दो चाबियों से नहीं खुलने पर समिति ने ताले तोड़कर अंदर प्रवेश किया था, लेकिन उस दिन समय के अभाव के कारण स्थानांतरण प्रक्रिया संभव नहीं हो सकी थी। उस दिन अंदर के रत्न भंडार के दरवाजे के टूटे हुए तीनों ताले और दो पुरानी चाबियां जिला ट्रेजरी में जमा कर दी गईं थी। इसके साथ ही मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में 2 नए ताले डालकर सील कर दिया गया और उनकी चाबियां भी ट्रेजरी में जमा करा दी गईं थी।

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