पुरी। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच महाप्रभु श्री जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की पहंडी बिजे अनुष्ठान निर्धारित समय से पूरा हुआ। रथयात्रा की प्रमुख नीतियों में एक पहंडी बिजे निर्धारित समय से दो घंटे पहले आयोजित की गई। देर रात से चली आ रही कई रीति-रिवाजों के बाद, चक्र राज सुदर्शन को देवी सुभद्रा के देबदलन रथ पर भव्य जुलूस के साथ लाने के साथ पहंडी की शुरूआत हुई। इसके बाद भगवान बलभद्र की पहंडी हुई। भगवान बलभद्र और बहन सुभद्रा के अपने रथों पर विराजमान होने के बाद ब्रह्मांड के स्वामी महाप्रभु श्री जगन्नाथ की बारी थी। भगवान जगन्नाथ की पहंडी लाखों भक्तों के लिए सबसे प्रतीक्षित क्षण था। भगवान जगन्नाथ अपने विशाल ताहिया (मुकुट) को झुलाते हुए पहंडी में सिंहद्वार से बाहर आए, वैसे ही हरि बोल, जय जगन्नाथ और हुलुहुली के दिव्य मंत्र हवा में गूंज उठे। दोपहर करीब 01 बजे भगवान जगन्नाथ को सुसज्जित नंदीघोष रथ पर विराजमान करने के साथ ही अनुष्ठान समाप्त हो गया।
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