Home / Odisha / हिंदी के माध्यम से ब्रह्मांड को जोड़ने की आवश्यकता – प्रो चक्रधर त्रिपाठी

हिंदी के माध्यम से ब्रह्मांड को जोड़ने की आवश्यकता – प्रो चक्रधर त्रिपाठी

  • 75वां राष्ट्रीय अधिवेशन एवं परिसंवाद का भव्य उद्घाटन

कोरापुट। हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय, कोरापुट के संयुक्त तत्त्वावधान में 75वां राष्ट्रीय अधिवेशन एवं परिसंवाद का उद्घाटन मुख्य अतिथि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति प्रो आर एस सर्राजु ने किया।

सर्वप्रथम दीप प्रज्ज्वलन के बाद ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय, कोरापुट के कुलपति प्रो चक्रधर त्रिपाठी ने स्वागत वक्तव्य में कहा कि हिंदी एक भाषा नहीं, बल्कि एक संपूर्ण संस्कृति है। हिंदी के माध्यम से ब्रह्मांड को जोड़ने की आवश्यकता है। हिंदी केवल भाषा ही नहीं, भारत की समावेशी संस्कृति का प्रतीक है, जो भारत के जन-जन को जोड़कर भारतीय संस्कृति को वैश्विक पटल पर प्रचार-प्रसार करने की क्षमता रखती है। उन्होंने अपना हिंदी प्रेम तथा हिंदी को लेकर बड़े सपने देखने की ओर संकेत किया। जिन मनीषियों ने इसे संवारा है उन्हें हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। भाषा के माध्यम से देश की सांस्कृतिक एकता को बरकरार रखने की आवश्यकता है और इस सांस्कृतिक एकता को बरकरार रखने में हिंदी समर्थ है। ओडिशा में हिंदी साक्षरता अभियान में सरकार से भी सहायता मिल रही है।

हिन्दी की महत्ता को पहचानने की आवश्यकता

हिंदी साहित्य सम्मेलन के प्रधानमंत्री कुन्तक मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में अधिवेशन होने से सम्मेलन खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है। आज ओड़िया में भी हिंदी साहित्य लिखा जा रहा है, अगर लिपि में भिन्नता ना हो तो हिंदी बहुत आगे बढ़ सकती है। हिंदी साहित्य सम्मेलन के गौरवशाली इतिहास को स्मरण करते हुए इसकी महत्ता को पहचानने की आवश्यकता है। जिन मनीषियों ने इसे संवारा है उन्हें हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। भाषा के माध्यम से देश की एकता को बरकरार रखने की आवश्यकता है और इस में हिंदी समर्थ है।

हिंदी की साधना संस्कृतिक पूर्णता की साधना

उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति प्रो आरएस सर्राजु ने हिंदी से जुड़ने तथा हिंदी के माध्यम से दक्षिण भारत सहित देश के अन्य भागों को सम्मिलित होने की आवश्यकता की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि भारत की मध्यवर्गीय चेतना को हिंदी साहित्य के लेखकों ने विशेष रूप से चित्रित किया है। हिंदी को तकनीकी रूप से समृद्ध करते हुए उसे आगे ले जाना है क्योंकि हिंदी की साधना संस्कृतिक पूर्णता की साधना है। ऐसे में संस्था अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं। हिन्दी साहित्य सम्मेलन ऐसी संस्था है, जिसका ऐतिहासिक महत्व है। प्रो सर्राजु ने कहा कि अब हिंदी भाषा भारत ही नहीं; बल्कि कई देशों में बोली जाती है। हिंदी हमारी अपनी भाषा है जबकि अंग्रेजी अपनाई गई भाषा है। हिंदी, अंग्रेजी व अन्य भारतीय भाषाओं के साथ मिलकर विकसित हो रही है। शब्दों के माध्यम से ही हम दुनिया को आत्मसात कर रहे हैं।

वैश्विक स्तर पर हिंदी का कद, महत्व व सम्मान बढ़ा

केंद्रीय हिंदी निदेशालय के निदेशक डॉ सुनील बाबुराव कुलकर्णी ने सभापतित्व संबोधन में कहा कि आज वैश्विक स्तर पर हिंदी का कद, महत्व व सम्मान बढ़ा है। आज हिंदी की विलुप्त होती बोलियों तथा भाषाओं के संरक्षण तथा प्रलेखन की आवश्यकता है। हमें इस दिशा में मिलकर कार्य करना होगा। सम्मेलन की असाधारण भूमिका के कारण ही हिंदी देश के संविधान व प्रशासनिक व्यवस्था में अपना विशिष्ट स्थान बना पाई है।

डॉ कुलकर्णी को ‘साहित्य वाचस्पति’ उपाधि

इस दौरान हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा डॉ कुलकर्णी को ‘साहित्य वाचस्पति’ उपाधि से सम्मानित किया गया। प्रोफेसर कुलकर्णी  ने फिर से कहा कि हिंदी साहित्य सम्मेलन के अधिवेशन में सम्मिलित होना सौभाग्य की बात है। इसकी परंपरा को निरंतरता के पथ पर ले जाना बहुत जरूरी है। उन्होंने अपने वक्तव्य में हिंदी सेवा को राष्ट्र सेवा से जोड़कर इसकी आवश्यकता  पर अधिक बल दिया। हिंदी के सभी संस्थाओं के अनुदान मिलते रहे उसकी निरंतरता बरकरार रहे एवं लोग हिंदी सेवा को व्रत के रूप में ग्रहण करें।

हिंदी सर्टिफिकेट कोर्स के पाठ्यपुस्तक को ओड़िया में होगा अनुवाद

केंद्रीय हिंदी संस्थान तथा केंद्रीय हिंदी निदेशालय की विभिन्न योजनाओं से अवगत करते हुए उन्होंने हिंदी सर्टिफिकेट कोर्स के पाठ्यपुस्तक को ओड़िया भाषा में अनुवाद करवाने की घोषणा की। हिंदी के द्वारा सारे विश्व को ढंकना है, हिंदी ने इस कार्य को अपने कंधे पर ले लिया है। इसलिए हमें अपने हौसले बुलंद रखने होंगे।

300 से अधिक विद्वानों का जमावड़ा

अधिवेशन परिसंवाद का संचालन हिंदी साहित्य सम्मेलन के पूर्व कार्यालय अधीक्षक शेषमणि पांडेय एवं धन्यवाद ज्ञापन सम्मेलन के साहित्यमंत्री प्रो रामकिशोर शर्मा ने किया। ज्ञातव्य हो कि यह त्रिदिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन 23, 24 और 25 जून तक मनाया जाएगा। इस अधिवेशन समारोह में कुलसचिव डॉ नरसिंह चरण पंडा,  विभागाध्यक्ष डॉ चक्रधर प्रधान, सहायक प्राध्यापक डॉ मनोज कुमार सिंह, डॉ श्रीकांत आर्ले, प्रोफेसर हेमराज मीणा, डॉ निर्झरिणी त्रिपाठी, डॉ पद्माचरण मिश्रा, डॉ प्रसेनजीत सिन्हा, डॉ काकोली बैनर्जी, डॉ नवीन प्रधान, डॉ गुरजीत वालिया, प्रो भरत पंडा, डॉ निखिल गौड़ा, डॉ कपिल खेमेंदु, डॉ सर्वेश्वर बारिक, डॉ फगुनाथ भोई, कुमार गौरव, असीम टिकरी के साथ-साथ देशभर के अलग-अलग राज्यों से लगभग 300 से अधिक विद्वान साहित्यकार, शिक्षक व हिंदीसेवी प्रेमी उपस्थित थे।

Share this news

About desk

Check Also

IAT NEWS INDO ASIAN TIMES ओडिशा की खबर, भुवनेश्वर की खबर, कटक की खबर, आज की ताजा खबर, भारत की ताजा खबर, ब्रेकिंग न्यूज, इंडिया की ताजा खबर

राज्यपाल ने जयंती पर विरसा मुंडा को दी श्रद्धांजलि

भुवनेश्वर। राज्यपाल रघुवर दास ने बलिदानी विरसा मुंडा को जयंती पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने सोशल …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *