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भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर पूर्व सांसद खारवेल स्वाईं और चार बार के विधायक देवाशीष नायक लड़ेंगे निर्दलीय चुनाव
भुवनेश्वर। ओडिशा में आगामी चुनाव के लिए टिकट नहीं मिलने के बाद बागियों ने भाजपा और बीजद की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दोनों पार्टियों के टिकट के दावेदारों ने बगावत का झंडा बुलंद कर दिया है।
भाजपा के पूर्व सांसद खारवेल स्वाईं और चार बार के विधायक देवाशीष नायक ने शुक्रवार को घोषणा की कि वे क्रमशः बालेश्वर संसदीय क्षेत्र और बारी विधानसभा सीट से निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल करेंगे।
इससे पहले दिन में भाजपा ने बालेश्वर से सांसद टिकट पाने की स्वाईं की उम्मीद को खारिज करते हुए संतोष खाटुआ को नीलगिरि से अपना उम्मीदवार घोषित किया। उन्होंने केंद्रीय नेतृत्व को अपने बालेश्वर सांसद उम्मीदवार प्रताप षाड़ंगी को नीलगिरि में स्थानांतरित करने और उनकी जगह लोकसभा सीट से मैदान में उतारने का प्रस्ताव दिया था।
बालेश्वर से तीन बार के सांसद ने कहा कि मैं असली भाजपाई हूं, इसलिए लोग उन्हें वोट देंगे।
जब उनसे पूछा गया कि अगर वह निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं, तो उनके खिलाफ संभावित कार्रवाई हो सकती है, उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के बाद वह फिर से भाजपा में शामिल हो जाएंगे।
देवाशीष फरवरी में बीजद छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। इन्होंने भाजपा द्वारा बारी से उमेश चंद्र जेना को नामांकित करने के एक दिन बाद सोशल मीडिया पर निर्दलीय चुनाव लड़ने का अपना निर्णय पोस्ट किया। उमेश ने 2019 में कांग्रेस के टिकट पर बारी से चुनाव लड़ा था।
बारी के पूर्व विधायक ने लिखा है कि बारी के लोग मेरी ताकत हैं। मेरे लिए पार्टी सर्वोपरि नहीं है। मैं उनकी सेवा करने के लिए चुनाव लड़ूंगा, जिन्होंने 2000 से 2014 तक लगातार चार बार मुझे आशीर्वाद दिया।
बीजद के पूर्व राज्यसभा सदस्य ने पार्टी छोड़ी
ओडिशा में दोहरे चुनाव से पहले बीजद को झटका देते हुए पूर्व राज्यसभा सदस्य रविनारायण महापात्र ने शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। रणपुर के पूर्व विधायक महापात्र ने उन्हें पार्टी से बाहर करने की साजिश का आरोप लगाया है।
वह 2014 में रणपुर से चुने गए थे, लेकिन उन्हें पूर्व विधायक सत्यनारायण प्रधान के लिए रास्ता बनाना पड़ा, जिन्होंने पांच साल बाद 2009 में सीट जीती थी। 2019 के चुनाव में प्रधान 69849 वोट पाकर विजयी हुए। भाजपा उम्मीदवार सुरामा पाढ़ी 65598 वोटों के साथ उपविजेता रहे। इस बार भी प्रधान और पाढ़ी आगामी चुनावों में निर्वाचन क्षेत्र से फिर से आमने-सामने होंगे।