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मिशन दिव्यास्त्र: एमआईआरवी तकनीक वाली अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण

  • एमआईआरवी क्षमता वाले चुनिंदा देशों में शामिल हुआ भारत

  • प्रधानमंत्री मिशन दिव्यास्त्र के सफल क्रियान्वयन के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई दी

बालेश्वर। भारत के ‘मिशन दिव्यास्त्र’ के हिस्से के रूप में मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ स्वदेशी रूप से विकसित अग्नि-5 मिसाइल का पहला उड़ान परीक्षण सोमवार को ओडिशा के तट पर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से सफलतापूर्वक किया गया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिशन दिव्यास्त्र के सफल क्रियान्वयन के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों को बधाई दी।

बताया गया है कि जहां तक भारत की रक्षा रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करने का सवाल है, एमआईआरवी तकनीक के साथ अग्नि-5 मिसाइल की सफल परीक्षण उड़ान को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है।

जानकारी के अनुसार, इस परीक्षण से यह सुनिश्चित होगा कि एक ही मिसाइल विभिन्न स्थानों पर कई वार-हेड को तैनात कर सकती है। इसकी परियोजना निदेशक एक महिला हैं और इसमें महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।

बताया जाता है कि मिशन दिव्यास्त्र के परीक्षण के साथ ही भारत उन चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास एमआईआरवी क्षमता है।

यह प्रणाली स्वदेशी एवियोनिक्स प्रणालियों और उच्च सटीकता सेंसर पैकेजों से सुसज्जित है, जो यह सुनिश्चित करती है कि पुन: प्रवेश करने वाले वाहन वांछित सटीकता के भीतर लक्ष्य बिंदुओं तक पहुंचें। यह क्षमता भारत की बढ़ती तकनीकी शक्ति का प्रतीक है।

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