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चिलिका झील में जल्द ही चलेंगी सौर ऊर्जा या बैटरी चालित नावें

भुवनेश्वर। चिलिका झील में जल्द ही सौर ऊर्जा चालित या बैटरी चालित नावें चलेंगी। इसको लेकर राज्य सरकार की ओर से तैयारियां चल रही हैं। इस कदम का उद्देश्य चिलिका झील में प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन को कम करना है।

इस संबंध में एक प्रस्ताव शुक्रवार को ओडिशा नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (ओआरईडीए) द्वारा प्रस्तुत किया गया था। मुख्य सचिव प्रदीप कुमार जेना की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह प्रस्ताव रखा गया। बैठक में अपर मुख्य सचिव ऊर्जा निकुंज बिहारी ढल, निदेशक पर्यटन सचिन रामचन्द्र यादव और वन एवं पर्यावरण, पशु संसाधन, मत्स्य विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और ओआरईडीए के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। बताया गया है कि डीजल चालित नावों के चलने से विभिन्न प्रकार के प्रदूषण हो रहे हैं, जिसमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण शामिल हैं।

हालांकि सौर ऊर्जा से चलने वाली या बैटरी से चलने वाली नावें शुरू में थोड़ी महंगी होती हैं, लेकिन इनका वार्षिक रखरखाव और प्रबंधन कम होता है। जबकि यह निर्णय लिया गया कि ओआरईडीए एक पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च करेगा। इसके तहत तकनीकी-वाणिज्यिक पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। बताया गया है कि मौजूदा मछली पकड़ने और पर्यटक नौकाओं के डिजाइन में आवश्यक परिवर्तन करके उन्हें सौर ऊर्जा संचालित इलेक्ट्रिक नौकाओं में परिवर्तित किया जाएगा। मछुआरों, पर्यटक नाव संचालकों और लाभान्वित होने वाले अन्य सभी हितधारकों को नई नावों के आसान प्रबंधन और रखरखाव के बारे में जागरूक किया जाएगा। ओआरईडीए ऊर्जा विभाग, ओटीडीसी, मत्स्य पालन और पशु संसाधन विभाग, वन और पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन विभाग के सहयोग से पायलट परियोजना को क्रियान्वित करेगा। ओआरईडीए को प्रारंभिक चरण में चिलिका के विभिन्न स्थानों पर सौर ऊर्जा संचालित नौकाओं के संचालन के लिए आवश्यक तैयारी करने का निर्देश दिया गया है।

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