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सरकार ने अतिक्रमित कैनाल को खाली कराने का निर्देश दिया

  •  सांसद अपराजिता षाड़ंगी ने लिखा था पत्र

भुवनेश्वर। राजधानी भुवनेश्वर के बाहरी इलाके चंदका क्षेत्र के तहत डेरस बांध में लघु सिंचाई परियोजना के लिए बने कैनाल को खाली करने के लिए राज्य सरकार ने आदेश दिया है। यह जानकारी भुवनेश्वर की सांसद अपराजिता षाड़ंगी ने ट्विटर पर दी है। उन्होंने लिखा है कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को एक पत्र लिखकर उन्होंने कैनाल कब्जा करने का आरोप लगाया था। इसके जवाब में प्रशासन ने तहसीलदार और अधिशाषी अभियंता को जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराकर बाधा हटाने का आदेश दिया है।

उल्लेखनीय है कि अवैध कब्जा के संबंध में स्थानीय किसानों से शिकायत मिलने के बाद षाड़ंगी ने उस स्थान का दौरा किया और स्थानीय निवासियों के साथ चर्चा की।

जगह के कुछ हिस्से की खुदाई करके मामले के पीछे की सच्चाई की जांच करने के बाद उन्होंने सभी संबंधित दस्तावेजों के साथ मुख्यमंत्री और संबंधित अधिकारियों को पत्र भेजकर तीन दिनों के भीतर अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया था।

अपराजिता षाड़ंगी ने सरकार को लिखे पत्र में कहा था कि भगवतीपुर और गिरिंगापुट मौजा, जो क्रमशः कांटाबाड़ा जीपी और मेंधासल जीपी से संबंधित हैं, भुवनेश्वर शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित हैं। इन दोनों मौजा के ग्रामीणों व किसानों ने करीब एक माह पहले उनसे मुलाकात कर त्रिवेणी ग्रुप ऑफ कंपनीज से जुड़ी कृतिका प्रवर्तन नाम की एक प्रभावशाली महिला के खिलाफ शिकायत की थी। यह ओडिशा में खनन और अन्य उद्यमों में लगी हुई है। ग्रामीणों का आरोप था कि यह प्रभावशाली महिला खरीद-फरोख्त कर रही है और जितना संभव हो उतनी जमीन हड़पने की योजना बना रही हैं। उसने इन दोनों मौजा की करीब 150 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया है। क्षेत्र के ग्रामीणों व किसानों के अनुरोध पर मैंने 20 अगस्त 2023 को उस स्थान का दौरा किया और भूमि के इस विशाल हिस्से में बाहरी लोगों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के लिए बनाए गए गेट के साथ-साथ ग्रेनाइट खंभों के साथ कांटेदार तार की बाड़ देखकर आश्चर्यचकित रह गयी। कृतिका प्रवर्तन द्वारा अतिक्रमण किए गए 150 एकड़ के इस हिस्से के भीतर एमआईपी सिंचाई नहर है। दिलचस्प बात यह है कि ग्रामीण व किसान इस पूरे क्षेत्र को पांडियन परियोजना और पूरी भूमि को पांडियन भूमि कहते हैं। यदि चाहें तो कृपया इसे सत्यापित किया जा सकता है। इस अतिक्रमित भूमि के भीतर लगभग 400 मीटर सरकारी सिंचाई नहर को ‘अतिक्रमणकारी’ ने दो साल पहले अवरुद्ध कर दिया है और इस प्रकार लगभग 300 एकड़ भूमि सिंचाई से वंचित है। गरीब किसान परेशान हैं, शिकायत कर रहे हैं। हालांकि, अतिक्रमणकर्ता द्वारा नहर को अवरुद्ध करने की उनकी शिकायत को राज्य सरकार द्वारा अब तक ध्यान नहीं दिया गया है। सांसद के इस पत्र के बाद इसे खाली कराने का निर्देश दिया गया है।

उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले सांसद षाड़ंगी ने सिर्फ इस मौके का दौरा किया था, अपितु इस कैनाल की खुदाई करके वास्तविकता भी सामने लाई थीं।

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