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सूर्य नारायण पात्र के निधन से शोक की लहर

भुवनेश्वर। ओडिशा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष तथा विधायक सूर्य नारायण पात्र के निधन से ओडिशा के राजनैतिक गलियारे में शोक की लहर दौड़ गई है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने रविवार सुबह ओडिशा के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और दिग्गपहंडी विधायक पात्र को भुवनेश्वर में उनके नयापल्ली आवास पर श्रद्धांजलि अर्पित की। पटनायक ने पात्र के निधन पर शोक व्यक्त किया और शोक संतप्त परिवार के सदस्यों के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त की।

इससे पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, राज्यपाल प्रोफेसर गणेशी लाल, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बैजयंत पंडा समेत कई नेताओं ने पात्र के निधन पर शोक जताया था।

कई लोग, बीजद पार्टी के कार्यकर्ता, नेता और विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित व्यक्ति पात्र के अंतिम दर्शन के लिए भुवनेश्वर स्थित उनके आवास पर पहुंचे।

पूर्व डीजीपी संजीव मारिक ने कहा कि मैं पात्र बाबू को 1984 से जानता हूं। उस समय मैं ब्रह्मपुर का एसपी था। हमारा पारिवारिक रिश्ता था। उनका निधन ओडिशा के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वह बहुत सरल थे और उनका व्यवहार बहुत मधुर और सुखदायक था। वह बहुत लोकप्रिय नेता थे। उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों का उन पर गहरा विश्वास था। पात्र का जन्म 24 दिसंबर 1948 को गंजाम के ब्रह्मपुर में हुआ था। राजनीति में आने से पहले उन्होंने बीएससी और एलएलबी की पढ़ाई की और उसके बाद समाज सेवा की। साल 1977 में सूर्य नारयण पात्र ब्रह्मपुर के नगर पार्षद बने। उन्होंने लगातार सात बार विधानसभा चुनाव जीता। बीजू पटनायक और नवीन पटनायक सरकार में मंत्री के रूप में उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण विभाग संभाले। वह वन और पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, आईटी, संस्कृति, राजस्व, सूचना और जनसंपर्क, खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण मंत्री थे। इसके बाद वह 2019 में ओडिशा विधानसभा के अध्यक्ष का पद संभाला और 2022 में इस्तीफा दे दिया।

पात्र की नेत्र हुई दान

ओडिशा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष तथा विधायक सूर्य नारायण पात्र की आखिरी इच्छा के मुताबिक, उनके परिवार वालों ने उनकी आंखें दान कर दीं। शनिवार को उनकी मौत के 10 मिनट बाद डॉक्टरों की एक टीम ने उनकी आंखें निकाल लीं। आंखों को किसी दृष्टिबाधित व्यक्ति को प्रत्यारोपित किया जा सकता है, जो दुनिया की रोशनी देख सकेगा। इससे पहले पात्र ने अपनी मां की मृत्यु के बाद उनकी आंखें भी दान की थीं।

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