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फर्जी सिम की जांच के दायरे में आएंगे कंपनी के अधिकारी 

  • राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर डाल रहे हैं पहले से सक्रिय सिम

  • सक्रिय सिम का दुरुपयोग एक गंभीर मुद्दा बन

  • दूरसंचार कंपनियों के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक

भुवनेश्वर। फर्जी या पहले से सक्रिय सिम पर रोक लगाने के लिए प्रशासन ने दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों पर भी लगाम कसना शुरू कर दिया है। बताया गया है कि फर्जी सिम की जांच के दायरे में अब दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के संबंधित अधिकारियों को भी लाया जाएगा। जांच के दौरान उनकी भूमिका पाई गई, तो कानूनी गंभीर परिणाम भी भुगतने होंगे।

बताया गया है कि नकली या पहले से सक्रिय सिम का दुरुपयोग एक गंभीर मुद्दा बन गया है और यह संबंधित व्यक्तियों को प्रभावित करने के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर डाल रहा है। इस बात के सामने आने के बाद दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के साथ एक उच्चस्तीय बैठक हुई है, जिसमें सीआईडी-सीबी और साइबर क्राइम के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

बताया गया है कि इसी मुद्दे पर क्राइम ब्रांच ने हाल ही में यहां बैठक बुलाई थी। बैठक में दूरसंचार और दूरसंचार सेवा प्रदाता विभाग (टीएसपी) के अधिकारी अर्थात बीएसएनएल, एयरटेल, जियो और वोडा-आइडिया (वीआईएल) बैठक में शामिल हुए।

बैठक में अरुण बोथरा, एडीजी, सीआईडी-सीबी, शफीन अहमद के, आईजीपी सीआईडी-सीबी और साइबर क्राइम यूनिट के अधिकारी भी उपस्थित थे।

साल 2022 में बरामद हुए थे 37 हजार फर्जी सिम

बताया जाता है कि साल 2022 में ओडिशा में 37 हजार फर्जी सिम बरामद हुए थे। मई 2022 में 14 लाख रुपये की नकदी के साथ लगभग 20,000 सिम जब्त किए गए थे।  सितंबर 2022 में बारिपदा में बड़ी संख्या में सिम के साथ एक सिम बॉक्स मशीन बरामद हुई थी। भुवनेश्वर में 17000 सिम की बरामदगी हुई थी।

फर्जी सिम को रोकना गंभीर चिंता का विषय

सूत्रों ने बताया कि प्रवर्तन एजेंसियों के लिए इस तरह की गतिविधियों को रोकना गंभीर चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डालती हैं।

दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने एएसटीआर सॉफ्टवेयर का उपयोग करके सिम का सत्यापन किया था और संकेत दिया था कि नकली पते वाले कुछ सिम अभी भी सक्रिय हैं।

बैठक में दिए गए कई सुझाव

बताया गया है कि बैठक में दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों को कई सुझाव दिए गए। इसके तहत टेली सत्यापन के लिए उस फोन नंबर पर कॉल किया जाना चाहिए, जिससे आधार जुड़ा हुआ है। स्थायी दुकान वाले डीलरों को ही सिम बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए। दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) को ग्राहकों के लिए नकली सिम के बारे में शिकायत करने और इसे निष्क्रिय करने के लिए एक तंत्र तैयार करना चाहिए। साथ ही जो प्वाइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) सिम एक्टिवेशन की एसओपी का उल्लंघन करते हुए पकड़े जाते हैं, उन्हें ब्लैक लिस्ट किया जाना चाहिए।

टीएएफसीओपी के बारे में जागरुकता फैलाने पर जोर

बताया गया है कि दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों को टीएएफसीओपी (टैफकॉप) टूल के बारे में ग्राहकों के बीच जागरूकता पैदा करने को कहा गया है। यह टूल ग्राहकों को यह सत्यापित करने और पता लगाने में सक्षम बनाता है कि उनके नाम पर उनकी जानकारी के साथ या जानकारी के बिना कितने सिम का उपयोग किया जा रहा है।

टीएसपी के पास उन सक्रिय सिमों पर एक आंतरिक निगरानी तंत्र होना चाहिए जो लगातार निष्क्रिय पड़े हैं, लेकिन नियमित रूप से रिचार्ज किए जा रहे हैं।

सिम जारी करने पर होगी कार्रवाई

बैठक में क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीजी अरुण बोथरा ने बताया कि ऐसे सिम की बड़ी मात्रा में जब्ती के मामलों में अब से टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के सभी संबंधित अधिकारियों की भूमिका को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा। ऐसे सिम जारी करने और आपूर्ति श्रृंखला में अन्य लोगों के साथ उनके खिलाफ उपयुक्त कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।

उन्होंने टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर से अपने आंतरिक सतर्कता तंत्र को मजबूत करने और नियमित जांच और सत्यापन करने और ऐसे सिम को निष्क्रिय करने का अनुरोध किया, जिनका दुरुपयोग होने की संभावना है। उन्होंने दूरसंचार विभाग (डीओटी) के अधिकारियों से अनुरोध किया कि वे नियमित रूप से पुलिस विभाग को इस तरह की धोखाधड़ी गतिविधियों के खिलाफ जानकारी प्रदान करें।

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