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एच1एन1 और एच3एन2 को लेकर ओडिशा में स्वास्थ्य प्रशासन अलर्ट पर

  • सामुदायिक स्तर पर इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियों और गंभीर तीव्र श्वसन संबंधी बीमारियों की निगरानी तेज करने का निर्देश

  •  व्यक्तिगत स्वच्छता पर सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने पर जोर

  • भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की सलाह

भुवनेश्वर। देश के साथ-साथ ओडिशा में दस्तक दे चुके एच1एन1 और एच3एन2 इन्फ्लुएंजा वायरस को लेकर राज्य सरकार ने स्वास्थ्य प्रशासन को अलर्ट पर रखा है और स्थिति पर निरगानी रखने के निर्देश दिये गये हैं। ओडिशा की स्वास्थ्य सचिव शालिनी पंडित ने जिलों में स्वास्थ्य प्रशासन को सतर्क रहने और स्वास्थ्य सुविधा स्तर और सामुदायिक स्तर पर इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियों और गंभीर तीव्र श्वसन संबंधी बीमारियों की निगरानी तेज करने का निर्देश दिया।

पंडित ने व्यक्तिगत स्वच्छता पर सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने पर जोर देते हुए भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचने की सलाह दी है।

स्वास्थ्य सचिव ने जिलों में स्वास्थ्य प्रशासन को जारी एक पत्र में कहा है कि इन्फ्लुएंजा वायरस एक सामान्य मौसमी वायरस है, जो बुखार, खांसी और नाक बहने जैसी बीमारी परिस्थितियां सृजत करता है। इसके साथ ही सह-रुग्णता की स्थिति वाले व्यक्तियों, बुजुर्गों और इम्यूनो-कॉम्प्रोमाइज़्ड व्यक्तियों में श्वसन संबंधी जटिलताओं को जन्म दे सकता है। 90% लोग अपने आप ठीक हो जाते हैं, क्योंकि यह वायरल बीमारी प्रकृति में स्व-सीमित है। हालांकि आईएलआई और एसएआरआई के लक्षणों वाले 10% मामलों में सांस लेने में कठिनाई हो सकती है और लगातार खांसी हो सकती है, जिसके लिए दवाओं की आवश्यकता होती है।

एच1एन1 और एच3एन2 इन्फ्लुएंजा ए वायरस के उपप्रकार हैं। दिसंबर से मार्च तक यह सामान्य फ्लू वायरस बच्चों और बुजुर्गों में काफी आम है।

पत्र में कहा गया है कि हमारी 23 आरटीपीसीआर प्रयोगशालाओं और डीपीएचएल में नियमित रूप से नमूनों का परीक्षण करके 30 डीपीएचएल आईएलआई और एसएआरआई मामलों की प्रवृत्ति की निगरानी कर रहे हैं। 30 डीपीएचएल नियमित आधार पर एच1एन1 परीक्षण कर रहे हैं। यदि निकट भविष्य में वृद्धि देखी जाती है तो उनमें से प्रत्येक के पास परीक्षण करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा और प्रयोगशाला रसद उपलब्ध है।

अधिकांश बीमारियां हल्की और आत्म-सीमित होती हैं। हाथ धोना, व्यक्तिगत स्वच्छता और भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना प्रमुख उपाय हैं, जिनका पालन पहले किया जाता था।

जिला आईडीएसपी इकाइयां तैयार हैं और स्थिति पर लगातार नजर रख रही हैं। यदि कोई होता है तो मामलों की वृद्धि को संभालने के लिए प्रयोगशालाओं को तत्परता से रखा जाता है।

राज्य में कोविद मामलों का पता लगाने के लिए आईएलआई और एसएआरआई मामलों के नमूनों की लगातार जांच की जा रही है।

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