संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कुलपति डा चक्रधर त्रिपाठी ने कहा कि भारत नारी पूजक देश रहा है। भारत में सती अनुसूया, शबरी, गार्गी, मैत्रेयी, सती सावित्री, सीता जैसी नारियां हुईं हैं, जिनका विश्व में नाम है। मनु स्मृति में कहा गया है कि यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता:। अर्थात् जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता लोग रमण खरते हैं। परमात्मा ने अपने आप को नारी रूप में प्रकट किया है। अतः नारी का सम्मान, परमात्मा का सम्मान है। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली 7 महिलाओं को शॉल, मेंमेंटो और प्रशस्ति पत्र देकर कुलपति ने सम्मानित किया। ये महिलाएं हैं डा रूद्राणी मोहंती, राजश्री दाश, विजया लक्ष्मी टाकरी, बाला स्वर्ण माला, लक्ष्मी खिल्ला, बंसती बेहरा और बी रोजलीन। इस अवसर पर डा हिमांशु महापात्र, डा संजीत कुमार दाश, डा कपिला खेमेंद, डा नूपुर पटनायक, डा गणेश प्रसाद साहू, डा आलोक बराल, डा जयंत नायक, डा प्रदोष कुमार स्वाई, डा सौम्य रंजन दाश, डा रानी सिंह, डा सौरभ गुप्ता, डा फग्गू भोई, डा मीनाती साहू, डा बीएन प्रधान, डा सोनी पाढ़ी, डा प्रदीप सामंराय, प्रशांत कुमार नायक, डा देवेदर रागुला, मोहित चांदवानी विशेष रूप से उपस्थित रहे। आगत अतिथियों का भव्य स्वागत और कुशल संचालन महिला सेल की अध्यक्षा डा काकली बनर्जी ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डा रूद्राणी मोहांती ने किया। इस अवसर पर वेलफेयर आफ बलाइंड संगठन के 11 अंधे छात्र-छात्राओं को 25000 की राशि प्रदान कर कुलपति ने सकारात्मक कदम उठाया, जिसकी सराहना सबों ने की। छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की शानदार प्रस्तुति की गई। राष्ट्र गान से कार्यक्रम का समापन हुआ।
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