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जैन मुनियों का शहर में भव्य स्वागत
जाजपुर। आचार्य महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के आगमन पर स्थानीय जैन समाज व मारवाड़ी समाज द्वारा भावभरा स्वागत किया गया। पूनम चंद सेठिया के निवास स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए मुनि जिनेश कुमार ने कहा कि पानी को ऊपर चढ़ाने के लिए यंत्र की आवश्यकत होती है, मन को शक्तिशाली बनाने के लिए मंत्र की आवश्यकता होती है, वह मंत्र है- धर्म। धर्म शांति का राजमार्ग है। दिव्य शक्ति है। धर्म की प्रेरणा देने वाले संत होते हैं। संतों की संगति शुभंकर, क्षेमंकर, शिवंकर होती है। संतों की संगति से जन्म जन्मातर के कर्म श्रय हो जाते हैं। मुनि ने आगे कहा कि सत्संगत से सुख मिलता है। पापी भी पावन व जीव भी शिव हो जाता है। गृहस्थों की नहीं साधुओं की संगति करनी चाहिए। संसारी जीवों के सम्पर्क से उपाधि बढ़ती है। संतों की संगत से समाधि मिलती है। संतों की पोषाक फिक्स होती है। गृहस्थों की पोषाक भिन्न भिन्न प्रकार की होती है। संतों का पता फिक्स नहीं होता, संसारी जीवों का पता फिक्स होता है।
मुनि ने आगे कहाँ धर्म उत्कृष्ट मंगल है। अहिंसा, संयम्, तप धर्म के लक्षण है अहिंसा संयम तप की साधना से जीवन सुखी होता है धर्म में रत साधक, इच्छीत मंजिल को प्राप्त होता है। धन में आसक्त व्यक्ति दुर्गति को प्राप्त होता है। व्यक्ति की सफलता धर्म में निहित है। मुनि कुणाल कुमार ने गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर पदमचंद सेठिया डॉ. डुंगरवाल झवर इन्द्रचंद मरोठी ने अपने विचार रखे। स्वागत गीत सुशीला देवी काबरा, उषा सेठिया ने प्रस्तुत किया। मुनि परमानंद जी, मनोज बोथरा, मनोज सेठिया, चैनरूप खटेड़, तेजकरण बोथरा, सीताराम मोहता, महावीर चौरड़िया, दिनेश मस्करा, रविन्द्र जैन, गिरीराज लखोटिया, श्याम लाल बजाज, विमल बैद,हिरा बाई बैद, शशि विनायिकिया, देवकरण धाड़ेवा, भुरामल धाड़ेवा आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।